स्वदेश विशेष: हाथ में पत्थर उठाने से पहले 1971 में भारत के योगदानों का स्मरण करें बांग्लादेश की मौजूदा पीढ़ी?
क्या बांग्लादेशी की कट्टपंथी जमात पं. रविशंकर के एहसान की कीमत चुका पाएंगी? बांग्लादेश की सहायता के लिए पं. रविशंकर ने सितार बजाकर एकत्र की थी करोड़ों की धनराशि।
मधुकर चतुर्वेदी, नई दिल्ली। बांग्लादेश में इन दिनों ‘काटो, पीटो, मारो’ के जुमले गूंज रहे हैं। हिंदुओं के नरसंहार का आव्हान किया जा रहा है। यही नहीं, कट्टरपंथी जमात लगातार हिंदु आस्था के साथ खिलवाड़ कर मंदिरों को तोड़ रही है और मूर्तियों को खंडित कर रही है।
अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस भलेही नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री हैं, लेकिन कट्टरपंथियों की मार-काट मुहिम के सामने असहाय हैं और मूकदर्शक बने हैं।
कई मामलों में वह खुद घोर कट्टरपंथी प्रतीत होते हैं। ऐसे में बांग्लादेश ‘हत्यारा देश’ बनकर रह गया है। क्या बांग्लादेश की जमात वर्ष 1971 को भूल गयी है। क्या बांग्लादेश को 1971 में भारत के योगदानों की याद नहीं दिलानी चाहिए?
बांग्लादेश को हिंदू-मुक्त करने की मुहिम पर निकली इस कट्टरपंथी जमात और बांग्लादेश की मौजूदा पीढ़ी को याद नहीं है कि 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश बनाने में भारत का निर्णायक योगदान था।
ना केवल भारत बल्कि, प्रख्यात भारतीय सितारवादक पंडित रविशंकर ने एक कार्यक्रम के जरिए बांग्लादेश की आर्थिक सहायता कर उसे उसके पैरों पर खड़ा किया था। बांग्लादेश में आज के कट्टरपंथी कठमुल्लाओं को यह ध्यान में नहीं होगा कि जब बांग्लादेश में भूखमरी फैली हुई थी।
लोगों के पास खाने को और पहनने के लिए कपड़े नहीं थे, तब प्रख्यात सितारवादक पंडित रविशंकर आगे आए और संगीत कार्यक्रम कर ‘बांग्ला अस्मिता’ के लिए सहयोग किया था। यह बात 1 अगस्त, 1971 की है।
न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में रवि शंकर और जॉर्ज हैरिसन ने बांग्लादेश के लिए संगीत कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में बॉब डायलन, एरिक क्लैप्टन, रिंगो स्टार, बिली प्रेस्टन जैसे संगीत जगत के बड़े नाम शामिल हुए थे।
‘बांग्ला अस्मिता’ को भी भुला चुकी बांग्लादेशी कट्टपंथी जमात क्या भारत और पं. रविशंकर के इस एहसान की कीमत चुका पाएगी हैं?
बांग्लादेश के लिए जुटाए थे 100 करोड़ रू.
पं. रविशंकर के इस कार्यक्रम में करीब 40 हजार लोग शामिल हुए और करीब 2,50,000 डॉलर (100 करोड़ रू.) जुटाए गए। बाद में इस धनराशि का उपयोग बांग्लादेश में राहत कार्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था।
इसी कार्यक्रम में जॉर्ज हैरिसन ने अपनी एलबम ‘सिंगल बांग्लादेश’ को भी रिलीज किया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से बांग्लादेश की सहायता करने के लिए पंडित रविशंकर और हैरिसन को ‘चाइल्ड इज द फादर ऑफ मैन’ से भी सम्मानित किया गया था।