नईदिल्ली। ट्रेक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों को हटाने को लेकर चौतरफा दबाव बन रहा है। एक ओर जहां दिल्ली पुलिस किसानों को हिंसा के लिए आरोपित मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई का हथकंडा अपना रही है। वहीं बॉर्डर के आसपास के स्थानीय लोग भी लामबंद हो गए हैं। लेकिन इन सबके बीच भी किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। भले ही सरकार की ओर से बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं बंद कर दी जाएं वो नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि जब तक सांस चलती रहेगी किसान अपने हक के लिए लड़ता रहेगा।
गाजीपुर बॉर्डर पर जारी कार्यवाही के दौरान भारतीय किसान नेता राकेश टिकैत के आंसू छलक आये।
गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत ने कहा - " किसानों पर अत्याचार किया जा रहा है। उन्हें मारने की साजिश रची जा रही है। अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। मैं इस देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा। " उन्होने कहा की गोली चलाएं मैं मरने के लिए तैयार हूँ।
टिकैत ने कहा है कि किसान नेता और साथी निश्चिंत रहें, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने आंदोलन को प्री-प्लान्ड तरीके से बदनाम करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए कहा कि कोई कुछ कर ले किसान हार नहीं मानेंगे। ये आंदोलन जारी था, जारी है और जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा की हम धरना तो समाप्त कर देंगे। धरना स्थल (गाज़ीपुर बॉर्डर) पर पानी, बिजली अन्य सुविधाएं बंद कर दिए गए हैं। अब हम वहां क्या करेंगे? उठ ही जाएंगे।
वहीँ किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा जबरदस्ती से किसान आंदोलन बंद नहीं होगा। जब तक सांस चलेगी तब तक लड़ेंगे। अभी हमारी कोई योजना नहीं है। अभी हम मीटिंग करेंगे। पता नहीं सरकार क्या-क्या षड्यंत्र करती है।
दरअसल, गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से किसान आंदोलन लगभग बेपटरी हो गया है। राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आरोप लगने के बाद कुछ किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया लेकिन अब भी कुछ संगठन आंदोलन करने पर अड़े हुए हैं।