Morning Mantra: सुबह उठकर इन मंत्रों का करें जाप, सारा दिन हंसी खुशी से बीतेगा

Update: 2024-05-30 01:30 GMT

Morning Mantra: हर आदमी चाहता है कि उसका दिन अच्छा जाए। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सुबह आंख खुलते ही भगवान का नाम लेने से पूरा दिन अच्छा गुजरता है। इसके अलावा भाग्योदय भी होता है। साथ ही दिन की अच्छी हो इसके लिए शास्त्रों में कुछ मंत्रों के बारे में भी बताया गया है।

दरअसल, हिंदू धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व माना गया है। हर देवी देवताओं के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं। रोजाना सुबह इन मंत्रों का जाप करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है कि किसी भी मंत्र का ध्यानपूर्वक जाप करने से शरीर की आंतरिक शक्तियां जागृत होती हैं। ये शक्तियां सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती हैं, जिससे पूरा दिन व्यक्ति ऊर्जा से भरा रहता है और बिगड़े काम धीरे-धीरे बनने लगते हैं। तो चलिए आपको उन मंत्रों के बारे बताते हैं जिसे सुबह उठकर जाप करने से आपका दिन हंसी खुशी से बीतेगा।

सुबह उठकर इन मंत्रों का करें जाप/Morning Mantra for Positive Energy

सबसे पहले आंखें खोलकर बिस्तर पर बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को देखें और इस मंत्र का जाप करें। माना जाता है कि सुबह उठते ही इस मंत्र का जाप करने और अपने हाथ देखने से लाभ मिलता है।

कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।

करमूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्।।

इसके बाद धरती माता को प्रणाम करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। इससे विशेष फल मिलता है और पूरा दिन अच्छा बीतता है।

समुद्र वसने देवी, पर्वत स्तन मंडले।

विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे।।

फिर स्नान करें और नीचे दिए गए इस मंत्र के साथ भगवान सूर्यदेव को नमन करें। मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और धन की वृद्धि होती है।

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।

इसके बाद अपने ईष्टदेव के सामने दीप जलाकर नीचे दिए मंत्र का जाप करें। ऐसी मान्यता है कि इससे सारे पापों का नाश हो जाता है।

दीप ज्योति: पर ब्रह्म, दीप ज्योतिजनार्दन:।

दीपो हरतु मे पापं, दीप ज्योतिर्नमोऽस्तुते।।

रोजाना सुबह भगवान की पूजा करने के बाद नाश्ता करें और नाश्ते से पहले नीचे दिए मंत्र का जाप करें। इससे आपकी बुद्धि बढ़ेगी।

ब्रह्मार्पण ब्रह्म हवि: ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।

ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं, ब्रह्म कर्म समाधिना।।

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