नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी राज्य सरकारों को सुनना जरूरी है, क्योंकि हमारे फैसले का व्यापक असर होगा।
कोर्ट ने 9 दिसम्बर, 2020 को मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगे रोक फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया था। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितम्बर, 2020 को महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस मामले को पांच जजों या उससे ज्यादा की संख्या वाली बेंच को विचार करने के लिए रेफर कर दिया था। 27 जून, 2019 को बांबे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया। बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 16 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर शिक्षा के लिए 12 प्रतिशत और नौकरियों के लिए 13 प्रतिशत करते हुए यह पाया कि अधिक कोटा उचित नहीं था।