Ram Mandir: आस्ट्रेलिया में बनने जा रहा है दुनिया का सबसे ऊंचा राम मंदिर, अद्भुत होगी मंदिर की विशेषताएं और भव्यता
पर्थ (ऑस्ट्रेलिया): सनातन धर्म की महिमा और भगवान श्रीराम की आस्था अब ऑस्ट्रेलिया में एक नया आयाम लेने जा रही है। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में दुनिया का सबसे ऊंचा श्रीराम मंदिर बनने जा रहा है। यह भव्य मंदिर न केवल अपनी ऊंचाई बल्कि अपनी वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए भी विश्वभर में प्रसिद्ध होगा।
मंदिर की भव्यता और विशेषताएं
- यह मंदिर 5 मंजिला होगा और इसकी कुल ऊंचाई 721 फीट होगी।
- मंदिर परिसर में 151 फीट ऊंची बजरंग बली की मूर्ति भी स्थापित की जाएगी।
- परिसर में एक सप्तसागर होगा, जिसके बीच 51 फीट ऊंची महादेव की प्रतिमा स्थापित होगी।
- इसके अलावा, यहां अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी बनाए जाएंगे।
पर्थ में 150 एकड़ में बनेगा मंदिर
- यह मंदिर पर्थ शहर के 150 एकड़ क्षेत्र में बनाया जाएगा।
- इसका निर्माण भारतीय संस्कृति और वास्तुकला को ध्यान में रखकर किया जाएगा, जिससे यह मंदिर पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रमुख केंद्र बनेगा।
आर्किटेक्ट और डिजाइन
मंदिर का स्वरूप मशहूर भारतीय आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने तैयार किया है। आशीष वही वास्तुकार हैं, जिन्होंने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर निर्मित भगवान राम के मंदिर का डिजाइन तैयार किया था।
भूमि पूजन और प्रधानमंत्री की उपस्थिति
मंदिर का भूमि पूजन 2025 में होगा। इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है। हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
अगर प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाते हैं, तो उनकी जगह किसी अन्य वरिष्ठ नेता को बुलाया जा सकता है।
सनातन धर्म की आस्था का प्रतीक
यह मंदिर श्रीराम टेम्पल फाउंडेशन द्वारा बनवाया जा रहा है। संस्था के सचिव अमोद प्रकाश कटियार के अनुसार, यह दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। उन्होंने बताया कि इस मंदिर के निर्माण के बाद ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोग अपने ही देश में रामलला का दर्शन कर सकेंगे।
ऑस्ट्रेलिया में सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोग इस परियोजना को लेकर बेहद उत्साहित हैं। मंदिर निर्माण से स्थानीय भारतीय समुदाय को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ने का एक प्रमुख केंद्र मिलेगा।
यह मंदिर न केवल भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम करेगा, बल्कि पूरी दुनिया में सनातन धर्म के प्रति बढ़ती आस्था का प्रतीक बनेगा। 2025 में होने वाले भूमि पूजन के साथ, यह परियोजना इतिहास में दर्ज होने के लिए तैयार है।