डोनाल्ड ट्रंप की वापसी: भारतीय आईटी और फार्मा सेक्टर पर असर, मोदी से केमिस्ट्री से भारत को मिलेगी नई उम्मीद?

Update: 2024-11-07 16:41 GMT

ज्ञानेश पाठक: डोनाल्ड ट्रंप जब दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। तब दुनिया भर की निगाहें उन पर होंगी। आमतौर पर उन्हें व्यवसाय के अनुकूल माना जाता है। लेकिन साथ में सबसे ऊपर अमेरिका उनकी पहली प्राथमिकता रहता है। अपने पहले कार्यकाल में अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने में उन्होंने अपनी ऊर्जा लगाई थी। इसके लिए ट्रंप ने संरक्षणवादी रुख अपनाया था। जिसमें आयात पर टेरिफ बढ़ाने पर जोर दिया गया था। डोनाल्ड ट्रंप इस बार भी ऐसा कर सकते हैं। पर इस बार यह इतना आसान नहीं होगा। इसकी वजह अमेरिका में बढ़ती महंगाई और भू राजनैतिक तनाव है। इसके अलावा अमेरिका में उधार अपने चरम पर है।

फेडरल रिजर्व पिछले दो साल से मंहगाई कम करने के प्रयास कर रहा है। उसे इसमें सफलता भी मिली है। आयात टैरिफ बढ़ने पर सामान की कमी हो सकती है जिसके चलते वहां महंगाई बढ़ने का खतरा होगा। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक के प्रयासों को झटका लगेगा। नतीजतन , ब्याज दरों में कटौती भी देरी से हो सकती है।

माना तो यह भी जा रहा है कि भारतीय आई टी और फार्मा कंपनियों पर ट्रंप की निगाह टेढ़ी पड़ सकती है। इसके लिए वीजा नियमों को सख्त बनाने की बात कही जा रही है। इससे भारतीय आईटी सेवा में मांग कम हो सकती है। अगर ऐसा होता है तब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है। एआई को लेकर भारतीय तकनीकी क्षेत्र पहले से दवाब में है। भारत में सेवा क्षेत्र , विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे प्रमुख स्रोत है।

टाटा कंसलटेंसी, इन्फोसिस सरीखी कंपनियों का आधे से ज्यादा राजस्व अमेरिका से आता है। अरविंदो फार्मा जैसी जेनरिक कंपनियां भी प्रभावित हो सकती हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने का भारतीय नजरिए से दूसरा पहलू भी है। प्रधानमंत्री मोदी से ट्रंप की केमिस्ट्री अच्छी है। इसका सबूत शेयर बाजार दे रहा है। लगातार दूसरे दिन बाजार बढ़कर बंद हुआ है। आईटी इंडेक्स चार फीसदी और फार्मा इंडेक्स 1.2 प्रतिशत बुधवार को चढ़ा है।

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