Jagannath Rath Yatra 2024: 7 जुलाई से शुरू हो रही है रथ यात्रा, आखिर क्या होता रथ की लकड़ियों का इस्तेमाल

ओडिशा के पुरी शहर से इस साल भी भगवान जगन्नाथ की रथ की भव्य यात्रा निकाली जाएगी इसकी शुरुआत इस साल 7 जुलाई से हो रही है।

Update: 2024-07-04 13:43 GMT


Jagannath Rath Yatra 2024:ओडिशा राज्य के पुरी का जगन्नाथ धाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। हर साल की तरह इस साल भी भगवान जगन्नाथ की रथ की भव्य यात्रा ( Jagannath Rath Yatra 2024 )निकाली जाएगी इसकी शुरुआत इस साल 7 जुलाई से हो रही है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ जी के अलावा उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र अलग-अलग रथ निकाले जाते है। मान्यता के अनुसार कहा जाता हैं कि, सभी अलग-अलग रथों पर सवार होकर भगवान अपनी मौसी के घर जाते हैं। तो क्या आपने सोचा यात्रा के बाद इन रथों का क्या होता है।

इस शुभ मुहूर्त में शुरू हो रही है यात्रा

आपको बताते चलें कि, इस दिन से शुरू हो रही है रथ यात्रा पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। इस बार की रथयात्रा हर साल की तरह फलदायनी हैं। 




जानिए क्या होता है यात्रा के बाद रथ का 

जैसा कि, सब जानते है रथ यात्रा में भव्य रूप से सजे सभी रथों का काफी महत्व होता है इन रथों को बनाने की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से होती है। इन्हें नीम के पेड़ की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए, बलभद्र के रथ में 14 पहिए और सुभद्रा के रथ में 12 पहिए होते हैं। जो देखने पर काफी शानदार होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं यात्रा के बाद इन रथों को क्या होता है। तो रथ की यात्रा के बाद रथों की लकड़ी का इस्तेमाल भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। वहीं, तीनों के रथों के पहियों को भक्तों में बेच दिया जाता है।




स्कंद पुराण में क्या है रथ यात्रा का उल्लेख

बताया जाता हैं कि, स्कंद पुराण में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का उल्लेख मिलता है जो स्पष्ट करता है कि यात्रा का कितना महत्व है। स्कंद पुराण की मानें तो, जो इंसान रथ यात्रा के दौरान को भगवान जगन्नाथ के नाम का जप-कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, उसे पुनर्जन्म से छुटकारा मिलता है। साथ ही इस उत्सव में शामिल होने से व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी होती हैं और संतान प्राप्ति में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।

Tags:    

Similar News