टिकट के लिए कांग्रेस में घमासान, क्या मुंगावली-कोलारस की जीत को जारी रख पायेगी कांग्रेस ?

भाजपा-कांग्रेस दोनों ने नहीं की है अभी उम्मीदवारों की घोषणा

Update: 2018-10-29 09:00 GMT

स्वदेश वेब विशेष। ग्वालियर- चम्बल संभाग की 34 सीटों में से भाजपा के खाते में 20 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास 12 सीट हैं और दो सीट पर बीएसपी का कब्जा है। आमतौर पर चुनावों में अधिकांश सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर देखने को मिलती रही है लेकिन इस बार दोनों ही पार्टियों में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है।

कांग्रेस की बात की जाये तो वो निश्चित ही इस चुनाव में 12 सीटों के आंकड़ों को और बढ़ाना चाहेगी। लेकिन पिछले कुछ समय से सत्ताधारी भाजपा पर हमलावर हो रही कांग्रेस को इसका भरोसा तो है पर आपसी फूट के चलते ये भरोसा कब तक रहता है यह तो समय ही बताएगा । अब बात करते हैं सीटों की। पिछले चुनाव में ग्वालियर जिले की 6 सीटों में से दो सीट डबरा और भितरवार कांग्रेस ने जीती थी। डबरा से कांग्रेस की इमरती देवी ने भाजपा के सुरेश राजे को हराया था और भितरवार से कांग्रेस के लाखन सिंह ने भाजपा के अनूप मिश्रा को हराया था। अभी की स्थिति में दोनों ही विधायकों की स्थिति ठीक बताई जा रही है, लेकिन पिछले दिनों सिंधिया के सामने वर्तमान डबरा विधायक इमरती का जबरदस्त विरोध हुआ था और लाखन सिंह की अभी चुनावी माहौल में कुछ खास हलचल नहीं दिख रही है। इस अवसर का फायदा उठाकर भाजपा को ये सीट कांग्रेस से छीननी है तो यहाँ से दमदार प्रत्याशी उतारना पड़ेगा।

अब बात करते हैं अशोकनगर की । इस जिले की चंदेरी सीट से कांग्रेस के गोपाल सिंह चौहान जीते थे लेकिन इस बार उनका टिकट खतरे में बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि उन्होंने क्षेत्र में ज्यादा कम नहीं किया जिसके चलते जनता नाराज है और ये रिपोर्ट कांग्रेस हाईकमान को भी है। लेकिन मुंगावली सीट से उपचुनाव जीते ब्रजेन्द्र सिंह यादव की स्थिति अच्छी बताई जा रही है। दोनों ही सीटों पर टक्कर लेने के लिए भाजपा को मजबूत प्रत्याशी उतारना होगा।

गुना जिले की बमौरी सीट महेन्द्र सिंह सिसौदिया के पास है इनको फिर टिकट दिए जाने की चर्चा है। जानकर बताते हैं कि जीत भी सकते हैं। वहीँ राधौगढ़ सीट पर दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन ने 98 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। यहाँ बीजेपी से गुना सीट पर जीते पन्नालाल शाक्य और चांचौड़ा सीट से बीजेपी की विधायक ममता मीणा की हालत ठीक नहीं बताई जा रही। भाजपा गुना और चांचौडा पर मजबूत उम्मीदवार उतारे तो लाभ हो सकता है।

शिवपुरी में कांग्रेस के पास तीन सीटें हैं इनमें उपचुनाव जीतकर कोलारस से विधायक बने महेन्द्र सिंह यादव की स्थिति ठीक बताई जा रही है उनका टिकट काटने की गुंजाईश कम है। वहीं पिछोर से दिग्गज नेता केपी सिंह का क्षेत्र में दबदबा है। उनके हारने के चांसेज भी कम हैं। उधर करैरा से शकुंतला के टिकट को लेकर संशय है । हालाँकि उनके करीबी आश्वस्त हैं कि टिकट उन्हें ही मिलेगा और जीत भी जाएँगी। अब भाजपा कोलारस उपचुनाव की कमियों को दूरकर और करैरा पर जिताऊ उम्मीदवार खड़ा करेगी तभी उसे जीत मिल पायेगी।

भिंड जिले की अटेर और लहार सीट कांग्रेस के पास है अटेर से पार्टी के पूर्व विधायक स्वर्गीय सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे विधायक हैं और लहार से पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री डॉ गोविन्द सिंह विधायक हैं। दोनों ही सीटों को जितने के लिए भाजपा को कड़ा जोर लगाना पड़ेगा।

श्योपुर की दो सीटों में से विजयपुर सीट पर रामनिवास रावत जीते थे। लेकिन इस बार इनकी सीट बदले जाने की चर्चा जोरों पर है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि ये मुरैना की सबलगढ़ सीट से चुनाव लड़ सकते हैं और इसीलिए राहुल गांधी का रोड शो श्योपुर से जौरा होते हुए सबलगढ़ तक आया था और उसमें रामनिवास रावत प्रमुख रूप से शामिल थे। उल्लेखनीय है कि मुरैना में कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई थी इसीलिए कोई जिताऊ उम्मीदवार यहाँ से उतारना चाहती है उधर मुरैना जिले की दो सीटों अम्बाह और दिमनी पर बीएसपी ने कब्जा किया था।

बताना आवश्यक है कि इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले विधानसभा चुनाव से अलग है। इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला नहीं होगा। बल्कि बीएसपी, गोंगपा, सपाक्स, आप,सपा, शिवसेना,देवकी नंदन ठाकुर की पार्टी सहित कई अन्य पार्टियाँ और निर्दलीय भी मैदान में कूदेंगे जो भाजपा और कांग्रेस के वोटबैंक में ही सेंध लगायेंगे। जीत किसकी होगी, बहुमत मिलेगा या जोड़तोड़ करना पड़ेगी ये 11 दिसंबर को परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा। 

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