सुबह चार बजे से पहले अपना ठिकाना छोड़ देते हैं बदमाश
चुनाव आयोग के निर्देश के बाद पुलिस ने चलाया ऑपरेशन फोर टू सेवन
भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करना पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. चुनाव आयोग के निर्देश के बाद पुलिस एक्शन में नजर आ रही है. पुलिस ऑपरेशन 4 टू 7 के तहत चुनाव में हंगामा करने वाले चिन्हित गुंडे-बदमाशों की धरपकड़ कर रही है। पुलिस के इस अभियान के बाद बदमाश व असामाजिक तत्व या तो भूमिगत हो गए है या सुबह चार बजे से पहले घर या जहां वह छिपे रहते है छोड़ कर गायब हो जाते है।
दरअसल, 2013 का विधानसभा चुनाव कई छोटी-बड़ी घटनाओं के बीच संपन्न हुआ था। पुराने अनुभव के चलते ही पुलिस ने नई रणनीति के तहत चुनाव में हंगामा करने वाले, मतदाताओं को डराने वाले, इलाके में दहशत पैदा करने वाले संभावित गुंडे-बदमाशों के खिलाफ ऑपरेशन 4 टू 7 शुरू किया है। भोपाल पुलिस ने ऑपरेशन के तहत 30 से ज्यादा बदमाशों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की है। पुलिस का यह ऑपरेशन तडक़े 4 बजे से शुरू होकर सुबह 7 बजे तक चलता है तथा थाने के चिन्हित इलाके में पुलिस छापेमार कार्रवाई अपराधियों की धरपकड़ करती है। छापेमार कार्रवाई में थाना प्रभारी के साथ संभाग का सीएसपी भी मौजूद रहते है।पुलिस का मानना है कि उसने चार से सात बजे का समय इसलिए चुना, क्योंकि इस समय चिन्हित अपराधी आसानी से मिल जाते हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दिन के समय अपराधी अपने ठिकानों पर नहीं मिलते हैं. रात के समय जरूर गुंडे बदमाश और वारंटी अपने घर या फिर संभावित ठिकानों पर छुपते हैं। इस बार चुनाव आयोग के निर्देश के बाद पुलिस की खास नजर प्रदेश के चंबल, ग्वालियर और विंध्य अंचल पर है. पुलिस को 6 महीने से लंबित 5630 गैर जमानती वारंटियों को पकडऩे में सफलता मिली है. जिलों में 16,694 मामलों में 4,451 गुंडे-बदमाशों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की है।
2013 चुनाव में हुई थी हिंसा
बता दें कि 2013 के चुनाव में मुरैना और भिंड में चार-चार स्थानों पर उमीदवारों के समर्थकों ने गोलीबारी की थी. मुरैना के सुमावली विधानसभा क्षेत्र में उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को हवा में गोली चलाना पड़ी थी, जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम को छीनने पर बीएसएफ के जवानों को गोली चलाई थी, साथ ही चंबल के कई स्थानों पर हिंसा हुई थी. लहार में ईवीएम मशीन तोड़ी गई और गोलीबारी भी हुई थी, अटेर में पथराव हुआ था। यहां यह भी जानना जरूरी है कि विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान 650 प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इनमें से 246 व्यक्तियों को दोषी पाया गया और 152 प्रकरणों में ट्रायल लंबित है। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान 199 प्राथमिकी दर्ज हुई थी, जिसमें 104 को दोषी पाया गया और 38 प्रकरणों में ट्रायल लंबित हैं। पिछले अनुभव के चलते चुनाव आयोग के साथ प्रशासन भी अपनी कार्रवाई को लेकर सतर्क है।