विधानसभा चुनाव के बाद भी होगा भाजपा-कांग्रेस में घमासान

जनवरी-2019 में होना है प्रदेश की 257 मंडियों के चुनाव

Update: 2018-10-13 06:50 GMT

भोपाल/स्वदेश वेब डेस्क। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा-कांग्रेस विधानसभा चुनाव के बाद भी आमने-सामने होगी। दोनों दलों में यह आमना-सामना मंडी चुनावों में होगा। दरअसल सरकार ने दो बार मंडियों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। नियमानुसार सरकार ऐसा दो बार ही कर सकती है और सरकार ने अपने अधिकार का उपयोग कर लिया है, इसलिए जनवरी में हर हाल में मंडियों के चुनाव कराना ही होगा। जानकारी के अनुसार प्रदेश में 257 मंडिया हैं और 293 उपमंडियां हैं। इन मंडी और उपमंडियों के चुनाव प्रत्येक पांच साल में होते हैं। सरकार को दो बार इनका कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार हैै। इसके बाद चुनाव कराना अनिवार्य है। यही कारण है कि अब विधानसभा चुनाव के बाद सरकार को जनवरी-2019 में मंडियों के चुनाव कराना ही होगा। मंडियों के चुनाव भी आजकल दलगत तरीके से होने लगे हैं। इनमें भाजपा और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार ही अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी करते हैं। इसके कारण इन चुनावों में भी जमकर पैसा खर्च किया जाता है।

दो बार बढ़ चुका है कार्यकाल

मंडियों में पांच साल के लिए समितियों का गठन किया जाता है। इसके बाद सरकार को दो बार 6-6 माह का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है। इसके बाद मंडियों के चुनाव कराना अनिवार्य होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार दिसंबर-2017 में एक बार कार्यकाल बढ़ा चुकी है, तो वहीं एक बार जुलाई-2018 में भी कार्यकाल बढ़ाने की अधिसूचना जारी हो गई। इसके बाद सरकार को चुनाव कराना अनिवार्य होगा।

हाईटैक हो गए हैं चुनाव

मंडी समिति के चुनावों में वोट डालने का अधिकार मंडी सदस्यों को ही है, इस कारण ये चुनाव हाईटैक हो गए हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक मंडी अध्यक्ष ने बताया कि इन चुनावों में करोड़ों रुपए बांटे जाते हैं। मंडियों में सदस्यों को खरीदने के लिए जमकर खरीद-फरोख्त का काम चलता है। इसके कारण इन चुनावों का विरोध भी खूब होता है।

नई सरकार के सामने होगी चुनौती

प्रदश में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 28 नवंबर को होगी और 12 दिसम्बर को चुनाव नतीजे आ जाएंगे। यानी कि जनवरी-2019 में नई सरकार का गठन हो जाएगा। जनवरी-2019 में ही मंडियों के चुनाव होना है। ऐसे में जो भी नई सरकार होगी उसके सामने ये मंडी चुनाव चुनौती के रूप में सामने होंगे। यहां बता दें कि वर्तमान में ज्यादातर मंडियों में भाजपा समर्थित मंडी अध्यक्ष एवं सदस्य हैं। कुछ ही मंडियों में कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यहां बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव के बाद इन मंडियों में विजयी पताका फहराना होगा।

ये है मंडियों की स्थिति

कुल मंडियां 257

कुल उपमंडियां 293

किसानों को साधने वाली पार्टी जीतेगी

मंडियों का सीधा संबंध किसानों से है। ऐसे में किसानों को साधने वाली पार्टी इन चुनावों में जीत दर्ज कराएगी। फिलहाल विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सभी राजनीतिक दलों का फोकस प्रदेश के किसानों पर ही है। भाजपा ने जहां किसानों के लिए सरकार का खजाना खोल दिया था तो वहीं कांग्रेस भी किसानों को साधने के लिए कई तरह की रणनीति तैयार कर रही है। कांग्रे्रस अपने वचन पत्र में भी किसानों के लिए कई तरह की राहत की घोषणा कर सकती है। हालांकि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि यदि कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में आई तो 15 दिनों में किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ कर दिया जाएगा।

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