सीट बंटवारे में फंसा बसपा-कांग्रेस का गठबंधन
कांग्रेस 15 देने को तैयार, बसपा 30 से कम पर राजी नहीं
भोपाल। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बसपा गठबंधन में पेच फंस गया है। मध्यप्रदेश में गठबंधन की स्थिति में बसपा कम से कम तीस सीटों की मांग कर रही है।लेकिन कांग्रेस उसे 10 से 15 सीटें ही देने को तैयार हैं।कांग्रेस का मानना है कि बसपा प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा दस सीटों पर ही चुनाव जीतने की स्थिति में है वो भी तब जब कांग्रेस व सपा समर्थन दें। ऐसे में बसपा की 30 सीटों की मांग करना गलत है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही कांग्रेस से चुनावी गठबंधन किया जाएगा। अन्यथा बसपा अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
सूत्र बताते हैं कि 5 अगस्त तक कांग्रेस-बसपा में गठबंधन की स्थिति साफ हो सकती है। फिलहाल बसपा प्रदेश की सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने की तैयारी कर रही है। खासकर विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में विशेष जोर दिया जा रहा है। बसपा का वोट बैंक भी इन्हीं क्षेत्रों में ज्यादा है। वहीं दोनों दलों के बीच इस बात को लेकर भी मंथन चल रहा है कि गठबंधन के बाद क्या कांग्रेस का वोट बैंक बसपा को ट्रांसफर होगा। क्योंकि कांग्रेस द्वारा सवर्ण प्रत्याशी नहीं उतरने की स्थिति में सवर्ण वोट भाजपा या अन्य के खाते में जा सकता है। जबकि बसपा का 90 फीसदी वोटबैंक कांग्रेस के पक्ष में जाने की संभावना रहती है।
हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में दलों के मत प्रतिशत के आंकड़ों के अनुसार भाजपा को 44.80 फीसदी, कांग्रेस को 36.38 फीसदी एवं बसपा को 6.29 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस और बसपा का कुल मत प्रतिशत भाजपा से कम है।इससे कांग्रेस को फायदा हो अथवा नहीं, मायावती को जरूर फायदा होगा, क्योंकि बसपा को कांग्रेस का भी वोट मिलेगा और वह अपने राष्ट्रीय पार्टी होने के तमगे को बचाने में सफल हो जाएगी।
वैसे मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल संभाग में प्रभाव है। 2013 के चुनाव में विधानसभा चुनाव में बसपा को 4 सीटें मिली थी।इस बार फिर मौजूदा विधायकों को बसपा टिकट देगी। इसमें 62 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा को दस हजार और 17 सीटों पर तीस हजार वोट मिले थे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस संबंध में कांग्रेस समान विचार वाले राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन के प्रयास जारी हैं।