दिग्विजय से पीछा छुड़ाने के प्रयास में है कांग्रेस ?
लगातार नजरअंदाज किए जाने से उठने लगे है सवाल
भोपाल। कभी कांग्रेस में चाणक्य कहलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह क्या इस चुनाव में अप्रासंगिक हो गए है या किसी रणनीति के तहत उन्हें किनारे किया जा रहा है । यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जब-जब राहुल गांधी प्रदेश के दौरे पर आते हैं उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है और उनके जाने के बाद भी पर्दे के पीछे ही सक्रिय दिखाई देते है।
17 सितंबर को राहुल गांधी के भोपाल दौरे के समय भी ऐसा ही घटनाक्रम हुआ था। भेल दशहरा मैदान में राहुल गांधी को कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करना था। कार्यक्रम स्थल पर प्रदेश के सभी नेताओं के कटआउट थे लेकिन दिग्विजय सिंह का नहीं था, इस मामले के सामने आते ही दिग्विजय सिंह ने यह कह कर अपना सम्मान बचाने का प्रयास किया था कि उन्होंने ही कटआउट लगाने से मना किया था, बाद में यह बात सामने आई थी कि उनका कटआउट बनवाया ही नही गया था। राहुल गांधी के जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने इस अनदेखी पर माफी मांगी थी। उसके बाद फिर अब मालवा-निमाड़ दौरे पर है दिग्विजय सिंह गायब हैं जबकि कमलनाथ, सिंधिया, पचौरी समेत कांग्रेस के सभी नेता उनके साथ नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने फिर सम्मान बचाने के लिए ट्वीट कर सफाई देने की कोशिश की है। उन्होने कहा कि है कि मुझे अध्यक्ष जी ने कुछ आवश्यक कार्य सौंपा हुआ है, जिसके कारण राहुल जी के इंदौर-उज्जैन कार्यक्रम में अनुपस्थित रहूंगा, क्षमा करें। सभी मित्रों से राहुल जी का गर्मजोशी से स्वागत करने की अपील करता हूं। मैं इंदौर में पैदा हुआ, स्कूल व कॉलेज की शिक्षा भी इंदौर में हुई, आज राहुल गांधी जी इंदौर पहुंच रहे हैं, मैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूं। जबकी सूत्रों का कहना है कि उनको फिर अनदेखी करने की आशंका थी इसलिए वह स्वयं ही राहुल गांधी के इस दौरे से दूर हो गए है । इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि राहुल गांधी साफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं जबकि दिग्विजय सिंह के बयान हिंदु विरोधी और विवादित माने जाते रहे हैं। इसलिए राहुल गांधी उन्हे इस समय अपने आस पास नही दिखने दे रहे है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी हुई जिसमें दिग्विजय सिंह का नाम शामिल नहीं है, जबकि अविभाजित मध्यप्रदेश के वे आठ साल तक मुख्यमंत्री रहे और उनके समय ही छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर नए राज्य का दर्जा दिया गया। कारण कुछ भी हो लगातार हो रही घटनाएं बता रही है कि अब कांग्रेस दिग्विजय सिंह से पीछा छुड़ाने के प्रयास में है।पार्टी में उनकी क्या स्थिति हो गई है यह इससे ही समझा जा सकता है कि पिछले दिनो वह प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के बंगले में सार्वजनिक रूप से यह कहते सुने गए कि वह अब कोई भाषण नही देंगे उनके भाषण से कांग्रेस के वोट कटते है।
यह कारण भी
भाजपा ने दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाढार का नाम देकर 2003 में सत्ता हासिल की। भाजपा तब से अब तक उनको इसी नाम से लोगों के बीच ले जाती रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनसभाओं में दिग्विजय सिंह के लालटेन युग की याद दिलाते रहते है। भाजपा नेता जब भी विकसित प्रदेश की बात करते है तो वह दिग्विजय काल का जिक्र जरूर करते है। कांग्रेस लगातार इससे बचने की कोशिश करती रही है इसलिए भी चुनाव के समय उन्हे प्रदेश की सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया गया है।