कांग्रेस में फूट, भाजपा एकजुट
कांग्रेसी नेताओं के बयानों और वायरल वीडियो से उजागर हुई धरातली सच्चाई
भोपाल। 15 वर्षों से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस में आपसी फूट खत्म नहीं हो रही है। यह फूट चुनावी साल में भी सामने आ रही है। कांग्रेस आलाकमान की सीख भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को एकजुट करने में विफल साबित हो रही है। क्या ऐसी स्थिति में कांग्रेस के सत्ता वापसी के सपने पूरे हो पाएंगे? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा और कांग्रेस के बीच एक तरफ जहां बयानबाजी को लेकर घमासान मचा हुआ है तो वहीं तैयारियों में भी दोनों दल एक-दूसरे को पछाडऩे की भरपूर कोशिशों में जुटे हुए हैं, लेकिन यहां पर कांग्रेस की गुटबाजी फिर उभरकर सामने आ रही है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी एकजुट नजर आ रही है। भले ही पार्टी के अंदरखानों में विरोध के स्वर पनप रहे हों, लेकिन पार्टी के बाहर ऐसी कोई स्थिति नहीं है। दरअसल कांग्रेस में जहां टिकट को लेकर बड़े नेताओं के आपसी हित टकरा रहे हैं तो सार्वजनिक रूप से भी पार्टी के नेता एक-दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस की पूर्व विधायक कल्पना परूलेकर ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर हमला बोलकर इस गुटबाजी को और ज्यादा हवा दे दी है। उन्होंने जहां दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाढार कहा तो वहीं वे यह भी कह गईं कि यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार होती है तो इसके जिम्मेदार दिग्विजय सिंह ही होंगे। परूलेकर की यह नाराजगी ऐसे समय पर आई है जबकि कांग्रेस और भाजपा में टिकटों को लेकर मंथन किया जा रहा है। परूलेकर के बाद कांग्रेस के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की नाराजगी भी पार्टी के प्रति सामने आई है। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वे जनसंपर्क के दौरान एक परिवार के लोगों से यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि पार्टी गई तेल लेने मेरा ध्यान रखना। इस वीडियो को लेकर जमकर बबाल भी मचा हुआ है। कांग्रेस में नेताओं के बीच इस तरह की गुटबाजी एवं बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। आए दिन कांग्रेस नेता बयानबाजी करके पार्टी का संकट बढ़ा रहे हैं। अब तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने एक भी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है। दरअसल कल्पना परूलेकर महिदपुर विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी जता रही है। वे कांग्रेस की तेजतर्रार नेत्री हैं। वे 2008 में विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं। इस बार वे टिकट की प्रबल दावेदार भी बताई जा रही है।
कांग्रेस की गुटबाजी कई मौकों पर सामने आ चुकी है। पार्टी की इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए पार्टी आलाकमान भी कई बार नेताओं को नसीहत दे चुके हैं। पार्टी में एकता बनाए रखने के लिए इस बार कमलनाथ को प्रदेश की कमान सौंपी गई। उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर भेजा गया। जब से कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली है, तब से काफी हद तक वे इस गुटबाजी पर नकेल कसने में भी सफल रहे हैं, लेकिन पूरी तरह से इस गुटबाजी को अब तक समाप्त नहीं किया जा सका है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि कांग्रेस को भाजपा से अनुशासन का पाठ सीखना चाहिए। भाजपा अनुशासन के मामले में अव्वल है। उनके नेताओं का यह अनुशासन ही पार्टी को आज इस स्थिति में बनाए हुए हैं। कांग्रेस में अनुशासन की बहुत बड़ी कमी है। कांग्रेस के नेताओं की अनुशासनहीनता के कारण ही पार्टी अपना 15 वर्षों का राजनीतिक वनवास समाप्त नहीं कर पा रही है। इस बार पार्टी को कुछ उम्मीदें जागी हैं तो उनके नेता बयानबाजी करके कांग्रेस के इरादों पर पानी फेर रहे हैं। (हिस)