कांग्रेसियों के महाराज को भी मिलती रही है मात
-गुना विधानसभा क्षेत्र -न लोकसभा न विधानसभा जीते सिंधिया, तीन चुनावों से जीत को तरस रही है कांग्रेस
अभिषेक शर्मा/गुना। चंबल की वीरता और मालवा की मिठास को अपने मेें समाहित करने वाले गुना जिले की गुना विधानसभा शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र की एकमात्र ऐसी विधानसभा सीट है, जहां से पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के मुखिया और कांग्रेसियों के महाराज के साथ क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मात मिलती रही है। कांग्रेस (इसे सिंधिया पढ़े) के लिए यहां हालात इस कदर खराब है कि प्रत्याशी चाहे कांग्रेस का कोई दिग्गज नेता हो या फिर खुद श्री सिंधिया का हाथ गुना की जनता ने नहीं थामा है।
गुना में अपनी हार का दर्द श्री सिंधिया द्वारा कांग्रेस एवं विभिन्न समाजजनों की बैठक में भी झलकता रहा है। श्री सिंधिया भरे गले से कई बार यह सवाल बैठकों में कर चुके है कि इतना काम करता हूं, हर जगह जीतता हूँ फिर भी गुना क्यों हार जाता हूँ? जवाब इस बीच कई आते है, किन्तु कोई भी जवाब श्री सिंधिया को संतुष्ट नहीं कर पाता है। श्री सिंधिया आज भी अपने इस सवाल की भूलभुलैया में खोए हुए है। हालांकि संसदीय क्षेत्र की अन्य सीटों की तरह यह सीट भी पहले पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने से प्रभावित रही है और यहां से पूर्व मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया के खास सिपहसलार शिवप्रताप सिंह विजयी होते आए हैं (पांच बार), किन्तु उनके निधन और इसी बीच गुना विधानसभा से बमौरी अलग विधानसभा बनने के बाद से इस विधानसभा का मिजाज पूरी तरह बदल गया है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव से कांग्रेस यहां जीत की बाट जोह रही है, किन्तु जीत है कि उससे दूर और दूर होती जा रही है। वर्ष 2013 का चुनाव कांग्रेस जहां 45 हजार से अधिक मतों से हारी तो 2008 में भाजपा के मैदान में नहीं होने के बावजूद तीसरे नंबर पर रही। इस बार भी कांग्रेस अजा वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर अपनी पराजय को जय में बदल पाएगी, फिलहाल ऐसा लगता तो नहीं है । कारण दावेदारों की लंबी फौज है, सबमें द्वंद जबरदस्त है और सभी महाराज ( ज्योतिरादित्य सिंधिया ) के भरोसे है, जो गुना से खुद नहीं जीत पाते है। दूसरी ओर भाजपा यहां हर लिहाज से मजबूत है।
पन्नालाल या गोपीलाल
गुना विधानसभा की राजनीतिक चर्चा जिले की एक अन्य विधानसभा बमौरी की तरह ही फिलहाल भाजपा के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है। चर्चा प्रत्याशी चयन की, यहां वर्तमान में भाजपा के पन्नालाल शाक्य विधायक है, जो इस बार भी प्रबल दावेदार है, किन्तु उनकी प्रबल उम्मीदवारी में भाजपा के अशोकनगर विधायक गोपीलाल जाटव मजबूत अडंग़ा डाल रहे हैं। 2013 में अशोकनगर से विधायक बनने के बाद से ही श्री जाटव का अशोकनगर में मन नहीं लग रहा है और वह गुना आना चाहते हैं। अपनी यह इच्छा वह भाजपा नेतृत्व के समक्ष भी जता चुके हैं। गोपीलाल 5 बार के विधायक होने के साथ भाजपा के अजा वर्ग के कद्दावर नेता हैं तो पन्नालाल ने पिछला चुनाव 44 हजार से अधिक मतों से जीता था, इसलिए भाजपा नेतृत्व के लिए निर्णय करना आसान नहीं रह गया है। भाजपा नेतृत्व की इसी कशमकश ने इस सवाल को जन्म दिया है कि पन्नालाल या गोपीलाल।
2008 में भाजपा चुनाव से हो गई थी बाहर
गुना विधानसभा से एक रोचक घटनाक्रम जुड़ा है। बात 2008 की है कि जब गुना अजा वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी, तब गोपीलाल जाटव यहां से टिकट मांग रहे थे। भाजपा ने दिया अशोकनगर से और गुना से प्रत्याशी बनाया पन्नालाल शाक्य को। बाद में ऐन मौके पर पन्नालाल का टिकट काटकर गोपीलाल को दिया। वो नामांकन जमा करने का आखिरी दिन था और गोपीलाल अशोकनगर में नामांकन जमा करने की तैयारी कर रहे थे, भागते-दौड़ते गुना पहुँंचे, नामांकन जमा किया। जो बाद में तकनीकि कारणों से निरस्त हो गया और भाजपा चुनाव मैदान से ही बाहर हो गई। भाजपा ने मतदान से कुछ दिन पहले जगदीश खटीक को समर्थन दिया। चुनाव में भारतीय जनशक्ति के प्रत्याशी राजेन्द्र सलूजा ने जीत दर्ज कराई।
तीन चुनाव में बने तीन रिकॉर्ड
गुना से बमौरी के अलग होने के बाद तीन-तीन चुनाव अब तक हो चुके हैं और तीनों ही चुनाव में इस विधानसभा ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। वर्ष 2003 और 2013 के चुनाव में जीत के अंतर का रिकॉर्ड बना तो 2008 का चुनाव एक राष्ट्रीय दल की गैरहाजिरी में हुआ। वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा के कन्हैयालाल अग्रवाल ने कांग्रेस के पं. कैलाश शर्मा को करीब 45 हजार 319 मतों के अंतर से हराया तो 2013 का चुनाव भाजपा के ही पन्नालाल शाक्य 45 हजार 111 मतों के बड़े अंतर से जीते। जबकि वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गोपीलाल जाटव तकनीकि कारणों से चुनावी मैदान से बाहर हो गए। तब मतदान के महज 15 दिन पहले भाजपा ने जगदीश खटीक को समर्थन दिया, तब भी उन्होंने उल्लेखनीय मत हासिल किए।
नेताओं की राय
सबसे ज्यादा विकास कार्य पिछले चार, साढ़े चार साल में गुना विधानसभा में हुए हैं। सड़क, बिजली, पानी हर क्षेत्र में कार्य हुआ है। कांग्रेस की तो आदत ही आरोप लगानी की है। जब वह सबका साथ, सबका विकास वाली भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आई तो गुना विधानसभा की क्या कहें? हमने जनता से जो वादे किए गए थे, उन्हे पूरा किया गया है। आप सब देख रहे है, आप ही बताए? क्या गुना विधानसभा में विकास नहीं हुआ है। सबसे ज्यादा विकास हुआ है।
पन्नालाल शाक्य
विधायक, भाजपा
विधायक पन्नालाल शाक्य ने चुनाव में जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं किए गए है।ं गुना को इंदौर, भोपाल की तर्ज पर विकसित करना था, किन्तु आज स्थिति वही है। सड़क, बिजली, पानी और नाली जैसी मूलभूत आवश्यकताएं तक पूरी नहीं हो रही है। विकास के मामले में गुना विधायक का कार्यकाल पूरी तरह शून्य है। भावांतर योजना किसानों के लिए छलावा साबित हुई है तो बिजली संकट पिछले 15 सालों में और बढ़ा है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे। इस बार विधानसभा में कांग्रेस का विधायक चुना जाएगा।
नीरज निगम
निकटतम प्रत्याशी, कांग्रेस
मतदान केंद्र 256
कुल मतदाता 2,13,043
पुरुष मतदाता 1,11,755
महिला मतदाता 1,01,288
जातीय समीकरण
अनूसूचित जाति- 37 हजार, ब्राह्मण- 20 हजार, मुस्लिम- 19 हजार,
आदिवासी-13 हजार, कुशवाह-13 हजार, धाकड़- 12 हजार, रघुवंशी- 11 हजार, जैन- 10 हजार, शेष अन्य मतदाता।
संभावित प्रत्याशी
भाजपा- पन्नालाल शाक्य, गोपीलाल जाटव, रमेश मालवीय, लक्ष्मण जाटव, जगदीश खटीक, राजू पंत, नारायण पंत, कमरलाल परसोलिया, रामस्वरूप भारती।
कांग्रेस- नीरज निगम, बसंत खरे, चन्द्रप्रकाश अहिरवार, हरिओम खटीक, घासीराम अहिरवार, सुनील मालवीय, ओमप्रकाश नरवरिया, मोहन रजक, संगीता मोहन रजक।
2013 चुनाव परिणाम
पन्नालाल शाक्य भाजपा 81,444
नीरज निगम कांग्रेस 36,333
जेपी अहिरवार बसपा 5,297
जीत का अंतर 45,111
अब तक के विधायक
वर्ष जीते दल
1951 सीताराम ताटके कांग्रेस
1957 दौलतराम कांग्रेस
1962 वंृदावनप्रसाद तिवारी हिन्दू महासभा
1967 आरएल प्रेमी स्वतंत्रता पार्टी
1972 शिवप्रताप सिंह भाजपा
1977 धर्मस्वरुप सक्सेना जनता पार्टी
1980 शिवप्रताप सिंह कांग्रेस
1985 शिवप्रताप सिंह कांग्रेस
1990 भागचंद सौगानी भाजपा
1993 शिवप्रताप सिंह कांग्रेस
1998 शिवप्रताप सिंह कांग्रेस
2003 कन्हैयालाल अग्रवाल भाजपा
2008 राजेन्द्र सलूजा भारतीय जनशक्ति पार्टी
2013 पन्नालाल शाक्य भाजपा
क्षेत्र की बड़ी समस्याएं
गुना की सबसे बड़ी समस्या बड़े उद्योग स्थापित न होने की है। इससे रोजगार के अवसर भी नहीं खुल पा रहे हैं। खेल मैदान न होने से प्रतिभाएं उभरकर सामने नहीं आ पा रही है तो यातायात नगर बसना जरूरी है। सीवेज सिस्टम को लेकर लगभग काम पूरा हो चुका है तो पानी की समस्या एनीकट से दूर होने की उम्मीद है। पार्किंग न होने से अव्यवस्थित यातायात शहर की बड़ी समस्या बन चुका है। जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में तब्दील किए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही है। इसके साथ ही लोग चाहते हैं कि नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिया जाए। प्रदेश सरकार ने गुना को मिनी स्मार्ट सिटी घोषित किया है तो केन्द्र सरकार ने इसे आकांक्षी जिला माना है।