ग्वालियर/दिनेश शर्मा। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव कार्यक्रमों के एलान के साथ सियासी योद्धा रणभूमि में उतर आए हैं। इस बार बिना किसी लहर और मुद्दों के हो रहे इस चुनाव में व्यक्तित्व और चेहरा ही चयन का मुख्य आधार होगा, लेकिन चेहरे के मामले में कांग्रेस में गफलत की स्थिति है, जबकि भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी द्वारा घोषित और सर्वमान्य चेहरा हैं। यूं तो कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा मिस्टर बंटाढार के नाम से प्रसिद्ध दिग्विजय सिंह को भी कांग्रेस का चेहरा माना जा रहा है, लेकिन ताज किसके सिर पर रखा जाएगा? यह सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही जानते हैं। ऐसे में चेहरा और मुद्दा विहीन कांग्रेस इस बार धर्म की शरण लेती नजर आ रही है।
गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तरह इस बार मध्यप्रदेश में भी मंदिर पॉलिटिक्स का बोल-बाला नजर आ रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अब मतदाताओं को लुभाने के लिए मंदिरों का सहारा ले रहे हैं। हिन्दुओं के दिल में जगह पाने के उद्देश्य से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्यप्रदेश में लगातार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं। प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 109 सीटें ऐसी हैं, जिन पर आठ प्रमुख धर्मस्थलों का प्रभाव है। यही कारण है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जहां दो बार उज्जैन के महाकाल मंदिर जा चुके हैं तो वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी चित्रकूट के कामतानाथ मंदिर और विश्वकर्मा मंदिर में दर्शन कर चुके हैं।
कांग्रेस अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए इस बार हिन्दू मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। मतदाताओं को साधने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी हर उस मंदिर में जा रहे हैं, जहां से उन्हें चुनाव में लाभ मिल सकता है। इसी क्रम में सोमवार को ग्वालियर-चम्बल के दो दिवसीय दौरे पर आए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दतिया में पीताम्बरा पीठ और ग्वालियर में अचलेश्वर मंदिर पर पहुंचे। इसी उद्देश्य से कांग्रेस पार्टी ने अपनी राम पथ गमन यात्रा भी शुरू की थी। इस यात्रा का रथ चित्रकूट से चलकर सात जिलों की 27 सीटों से होकर गुजरने वाला था। इन 27 में से 15 सीटें भाजपा, 11 कांग्रेस और एक बसपा के पास है। राम पथ में 75 बड़े मंदिर पड़ते हैं। इनमें से 70 मंदिर भगवान राम के हैं, लेकिन चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाने से चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस की राम पथ गमन यात्रा रोक दी गई है, जिसे भाजपा के दबाव में लिया गया निर्णय बताकर कांग्रेस हाय-तोबा मचा रही है। यहां बता दें कि ये वही कांग्रेस है, जिसकी संप्रग सरकार ने राम सेतु मामले में सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत शपथ पत्र में राम को एक काल्पनिक किरदार बताया था। ये वही कांग्रेस है, जिसके वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय से राम जन्म भूमि मामले की सुनवाई वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक टालने का आग्रह किया था। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने सोमवार को चेन्नई में आयोजित 'द हिन्दू लिट फॉर लाइफ डायलॉग 2018 में कहा कि हिन्दू लोग अयोध्या में भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं, इसलिए कोई भी अच्छा व्यक्ति दूसरों के ढहाए गए पूजा स्थल पर राम मंदिर का निर्माण नहीं चाहेगा। यानी कि जो हिन्दू राम जन्म भूमि पर राम लला का भव्य मंदिर बनाना चाहते हैं, वे शशि थरूर की नजरों में बुरे हिन्दू हैं। इधर हिन्दुओं के वोट हासिल करने के लिए वही कांग्रेस मध्यप्रदेश में राम का सहारा ले रही है।
वे धर्मस्थल जिनका 109 सीटों पर है प्रभाव
धर्मस्थल कुल प्रभावित सीटें
महाकाल दरबार 33
सलकनपुर मंदिर 09
पीताम्बरा पीठ 28
मैहर, कामतानाथ व राम पथ गमन 28
रामराजा दरबार 11
कुल सीटें 109