इंदौर/स्वदेश वेब डेस्क। इंफोसिस में 12 लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़कर एक मूकबधिर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है। वह मूक-बधिरों और गरीब जनता की आवाज बनना चाहते हैं। उनका मानना है कि जो जनप्रतिनिधि बोल सकते हैं, पर मूक हैं। मैं बोल नहीं सकता पर चुप नहीं बैठूंगा।
सतना निवासी सुदीप पुत्र रमेश कुमार शुक्ला (36) चुनाव की तैयारियां के बीच शहर-शहर जाकर सांकेतिक भाषा के जानकारों से मिल रहे हैं। इसके लिए सतना में कार्यकर्ताओं की टीम भी तैयार कर ली है। इंदौर में वह उन बच्चों से मिले जो शेल्टर होम में यौन शोषण का शिकार हुए हैं। तुकोगंज स्थित पुलिस सहायता केंद्र चलाने वाले सांकेतिक भाषा के जानकार ज्ञानेंद्र पुरोहित के जरिये अपनी बात साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वह सतना से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। दो क्षेत्रीय दलों ने उन्हें समर्थन दिया है।
सुदीप के परिवार में पिता, मां प्रसून, दो बहनें श्रद्धा व कोमल और पत्नी दीपमाला हैं। दादा भगवान प्रसाद शुक्ला सतना में कांग्रेस नेता हैं। सुदीप व उनकी पत्नी दीपमाला ही परिवार में मूक-बधिर हैं, बाकि सभी बोल-सुन सकते हैं।
यौन शोषण और बढ़ते अपराध देख मन हुआ विचलित
सुदीप ने बताया कि मूक-बधिर युवक-युवतियों के साथ यौन शोषण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यौन शोषित बच्चे हर दल के पास मदद के लिए पहुंचे पर किसी ने उनका साथ नहीं दिया। यह बात मुझे विचलित कर गई। इसके बाद ही चुनाव लड़कर उनकी बात विधानसभा में उठाने का विचार आया।
तीन देशों में मूक-बधिर प्रतिनिधि
अमेरिका, युगांडा और नेपाल में मूक-बधिर जनप्रतिनिधि हैं। यदि मैं विधानसभा पहुंचा तो अपनी बात रखने के लिए सांकेतिक भाषा के जानकार को रखने के लिए कानूनी अनुमति लूंगा।
चुनाव लडऩे का संवैधानिक अधिकार
मप्र के मुख्य चुनाव अधिकारी एल कांताराव ने बताया हर नागरिक को चुनाव लडऩे का संवैधानिक अधिकार है।