जातिवाद के आगे विकास का मुद्दा बौना

पोहरी विधानसभा क्षेत्र सामान्य सीट से ब्राह्मण एवं धाकड़ समाज के नेताओं का रहा दबदबा

Update: 2018-08-03 07:33 GMT

उमेश भारद्वाज/शिवपुरी। जिले की अन्य विधानसभा सीटों की अपेक्षा कृत विकास के क्षेत्र में पिछले पायदान पर खड़ी दिखाई देने वाली पोहरी विधानसभा सीट रोजगार और व्यापार के नाम पर एकमात्र कृषि पर आधारित है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पेयजल और सिंचाई जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझने वाली पोहरी विधानसभा सीट के लिए 1962 से 2013 तक हुए आम विधानसभा चुनावों में जातिवाद मुद्दे के आगे विकास का मुद्दा बौना ही साबित हुआ है। मध्य प्रदेश की स्थापना से लेकर अभी तक हुए कुल 12 आम चुनाव में सात बार जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। जबकि चार बार कांग्रेस और एक बार समानता दल के पाले में रहने वाली विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और धाकड़ समाज के नेताओं का कब्जा रहा है।

1962 से लेकर 1972 तक आरक्षित होने के नाते गैर धाकड़ और ब्राह्मण समाज के अलावा अन्य समाज के विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। जातिगत आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी चुनाव में उम्मीदवार के रूप में 1977 से लेकर 2013 तक ब्राह्मण और धाकड़ समाज के नेताओं को प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतारती चली आ रही है। बहुजन समाज पार्टी द्वारा गैर ब्राह्मण धाकड़ समाज के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में करैरा के पूर्व विधायक लाखन सिंह बघेल को मैदान में उतारा लेकिन वह मुख्य मुकावले से काफी दूर खड़े दिखाई दिए। 2018 का विधानसभा चुनाव भी जातिगत समीकरणों का साधकर भाजपा और कांग्रेस पार्टी चुनाव वैतरणी पार करने की जुगाड़ में लगी हुई है। पोहरी विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 2 लाख 8457 हैं। जिनमें सर्वाधिक मत धाकड़ समाज, ब्राह्मण समाज के मतदाता हैं, चुनाव में आदिवासी, जाटव समाज के अलावा, कुशवाह, रावत, यादव, गुर्जर, बघेल, वैश्य समाज के मतदाता अपनी निर्णायक भूमिका का निर्वहन करते हैं। यह समाज जिस पार्टी की तरफ झुक जाता हैं उस पार्टी का उम्मीदवार विजयी हो जाता है।

अब तक रहे विधायक

यदि 1962 के बाद आंकड़ों पर नजर डालने पर पता चलता हैं कि यहां से पांच बार ब्राह्मण, 4 बार धाकड़ समाज के प्रत्याशी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। 1962 में आरक्षित सीट कांग्रेस के तुलाराम सगर, 1967 में जनसंघ के अर्जुन बाबूलाल धानुक, 1972 में पुन: जनसंघ से अर्जुन बाबूलाल धानुक, 1977 में जनता पार्टी से दामोदर प्रसाद शर्मा विधायक चुने गए। 1980 में सामान्य सीट होने पर कांग्रेस से हरिवल्लभ शुक्ला, 1985 में कांग्रेस के हिमांशु शर्मा चुनाव जीते। 1990 में भाजपा से जगदीश प्रसाद वर्मा, 1995 में कांग्रेस से समर्थन प्राप्त कर तीरकमान चुनाव चिन्ह पर श्रीमती बैजन्ती वर्मा, 1998 में भाजपा के नरेन्द्र बिरथरे, 2003 में कांग्रेस से बगावत कर समानता दल से हरिवल्लभ शुक्ला, 2008 में भारतीय जनता पार्टी के प्रहलाद भारती, 2013 के चुनाव में पुन: भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ने कांग्रेस के प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला को शिकस्त देकर विजय प्राप्त की।

नेताओं की राय

विधानसभा क्षेत्र 2003 से पूर्व पोहरी विधानसभा क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा था। लेकिन साढ़े 9 साल में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, स्टॉप डेम, एवं तालाबों का निर्माण कराकर क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। बैराड़ को तहसील एवं नगर पंचायत का दर्जा दिलाकर लोगों की समस्याओं को दूर किया है। सतनवाड़ा, छर्च, पोहरी, बैराड़ में उप स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कराया। हायर सेकेण्ड्री, हाईस्कूल का उन्नयन कराकर छात्र-छात्राओं की समस्याओं को दूर किया है। दर्जनों गांव में नल-जल योजना लागू कर ग्रामीणों को पेयजल समस्या से मुक्ति दिलाई है। क्षेत्र की प्रमुख दो समस्या पोहरी नगर पंचायत एवं सरक्यूला डेम शीघ्र बनाने की शुरुआत होगी। पचीपुरा तालाब निर्माण कराकर 20 गांव को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया गया हैं।

प्रहलाद भारती

विधायक, भाजपा

साढ़े 9 साल में पोहरी विधानसभा क्षेत्र में रूटीन का विकास तो हुआ हैं, लेकिन वहां की मूलभूत समस्याओं के निदान के लिए कोई बड़ा कार्य विधायक द्वारा नहीं किया गया। क्षेत्र में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कें अटल जी की देन हैं, जिसमें विधायक जी का कोई योगदान नहीं है। क्षेत्र की जो मूल भूत समस्या हैं पेयजल, सिंचाई, जिस पर कोई कार्य नहीं किया। गांव के लोग आज भी पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। तीन साल से क्षेत्र में सूखा पड़ा हुआ है। इस सूखे से निपटने के लिए क्षेत्र में अधोसंरचना के लिए योजना तैयार होना थी लेकिन विधायक ने कोई योजना नहीं बनाई। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा कई आदिवासी गांवों में पेयजल और सिंचाई के लिए नलकूपों का खनन कराया गया। पर्याप्त पानी होने के बाद भी वे ट्यूब बैल आज भी जस की तस पड़े हुए हैं।

हरिवल्लभ शुक्ला

निकटतम प्रत्याशी, कांग्रेस

मतदान केंद्र 294

कुल मतदाता 2,08,457

संभावित प्रत्याशी

भाजपा - प्रहलाद भारती, नरेन्द्र बिरथरे, प्रमेन्द्र सोनू बिरथरे, विवेक पालीवाल, श्रीमती सलौनी धाकड़, संजय गौतम, दिलीप मुदगल, कैलाश कुशवाह, इं. गजेन्द्र सिंह किरार।

कांग्रेस - हरिवल्लभ शुक्ला, एनपी शर्मा, सुरेश राठखेड़ा, प्रद्युम्न वर्मा, राजेन्द्र पिपलौदा, माताचरण शर्मा, अखिल शर्मा, विनोद धाकड़, कल्याण सिंह धाकड़ दुल्हारा।

2013 चुनाव परिणाम

प्रत्याशी - पार्टी - मिले मत

प्रहलाद भारती - भाजपा - 52,448

हरिवल्लभ शुक्ला - कांग्रेस - 49,117

लाखन सिंह बघेल - बसपा - 34,080

जीत का अंतर - 3,331

क्षेत्र की प्रमुख समस्या१

पिछले 10 साल में पोहरी विधानसभा क्षेत्र में सड़क और शासकीय भवनों का निर्माण तो काफी तेजगति से हुआ लेकिन क्षेत्र की प्रमुख मूलभूत समस्या पेयजल सिंचाई एवं रोजगार के क्षेत्र में अपेक्षाकृत काफी कम काम हुआ है। इन समस्याओं से क्षेत्रवासी आज भी जूझ रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में अस्पताल के भवन तो बने हैं लेकिन यहां डॉक्टरों के अभाव में मरीज आज भी दीगर विधानसभा क्षेत्रों उपचार के लिए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र गरीब आदिवासी परिवारों के बच्चे स्कूलों में शिक्षक न होने के कारण शिक्षा से वंचित बने हुए हैं। रोजगार हासिल करने के लिए गांव से लोगों का पलायन जारी हैं। 

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