एमपी में कांग्रेस के लिए 'लड़ो या मरो' का मुकाबला
संसद से म.प्र. की चुनावी तैयारी कर रहे दिग्गी, कमलनाथ और सिंधिया
नई दिल्ली। म.प्र. में सत्ता को कांग्रेस के हाथ में लाने की जिम्मेदारी कमलनाथ, दिग्विजय सिंह व ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गई है। कमलनाथ राज्य कांग्रेस अध्यक्ष हैं, दिग्विजय संयोजक हैं और सिंधिया प्रचार प्रमुख हैं। लेकिन ये तीनों ही इन दिनों अपना समय दिल्ली में लगा रहे हैं। इसके लिए इनके समर्थक, संसद का मानसून सत्र चलने और उसकी कार्रवाही में शामिल होने की बात कह रहे हैं। कमलनाथ व ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा सांसद हैं तथा दिग्विजय सिंह राज्यसभा सांसद। लेकिन कांग्रेस के बहुत से कार्यकर्ताओं व समर्थकों का कहना है कि इनको अब संसद की कार्रवाही में तभी उपस्थित होना चाहिए जब बहुत जरूरी हो क्योंकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का मुकाबला केवल शिवराज सिंह चौहान की भाजपा से नहीं, मोदी व शाह की भाजपा से भी है। इसका मतलब पूछने पर भोपाल के एक पक्के कांग्रेसी कार्यकर्ता राम प्रसाद का कहना है कि शिवराज अपने संसाधन व तरीके से अभी से खुद लगातार प्रचार, रैली, सभा कर रहे हैं| अपने मंत्रियों को भी लगा रखे हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी बहुत हद तक ऐसे काम कर रही हैं जिससे भाजपा का ही लाभ व प्रचार हो रहा है। राज्य विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब अपनी पूरी ताकत से उतरेंगे, रोड शो, मंदिर, मठ , महंत दर्शन , बुद्धिजीवी मिलन आदि करेंगे, तब रही सही कसर पूरा करके पूरा माहौल बना देंगे। उसके बाद रही-सही कमी चुनावी सर्वे पूरा कर देंगे। इस तरह भाजपा का म.प्र. विधानसभा चुनाव, इस बार भी जीतने की पूरी रणनीति बन गई है। इस पर अमल भी शुरू हो गया है। उसका लगभग आधा कार्य मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान व संगठन ने पूरा कर लिया है। दूसरी तरफ कांग्रेस है, जिसके म.प्र. के नेता जिन पर विधानसभा चुनाव जीतने व जिताने की जिम्मेदारी है, वे आपस में ही एकजुट नहीं हो पा रहे हैं, दिल्ली दौड़ रहे हैं। इस बारे में म.प्र. के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश मेहरोत्रा का कहना है कि कांग्रेस के पास इस बार मौका है। इसके नेता यदि एकजुट होकर दिसम्बर 2018 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़े, तो उसके बाद अगले 10 साल तक चुनाव जीतने के बारे में भूल जायें।
पंजाब में किस तरह से कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने तैयारी की और चुनाव जीता, इसके बारे में उ.प्र. कांग्रेस के पदाधिकारी अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि कैप्टन को जबसे पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, तबसे वह अपनी पूरी ताकत राज्य में चुनाव की तैयारी में लगा दिये थे। उसका परिणाम भी आया। राज्य में भाजपा-अकाली सरकार को हराकर कांग्रेस ने चुनाव जीत ली। इसी तरह से म.प्र. में भी कांग्रेस के बड़े नेताओं को एकजुट होकर करना पड़ेगा, क्योंकि मुकाबला तगड़ा है।