भोपाल। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों का फोकस यात्राओं पर है। यात्राओं के जरिए जनता के बीच पहुंचकर वे अपनी-अपनी उपलब्धियां बता रहे हैं तो वहीं जीत का आशीर्वाद भी मांग रहे हैं। यात्राओं की ये शुरुआत वैसे तो वर्ष-2017 में धार्मिक यात्राओं के साथ ही शुरू हो गई थी, लेकिन अब राजनीतिक यात्राओं का सिलसिला चल पड़ा है।
मध्यप्रदेश में जहां चौथी बार सरकार बनाने के इरादे से भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा लेकर चल रही है तो वहीं साढ़े 14 वर्षों से विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी जन-जागरण यात्रा के जरिए सत्ता में वापसी चाहती है। कांग्रेस की जन-जागरण यात्रा भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा के पीछे-पीछे चल रही है। चुनावी माहौल बनाने के लिए सभी राजनीतिक दल यात्राओं पर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं। यात्राओं के दम पर ही पार्टियां चुनावी मैदान में उतरेंगी, इसलिए चुनाव से पहले ये यात्राएं लोगों की नब्ज टटोलने के लिए बेहतर साबित हो सकती हैं। यात्राओं को लेकर तैयारियां भी बड़े स्तर पर की जा रही हैं। इसमें पार्टियां पैसा भी खूब खर्च कर रही है।
भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा
उज्जैन में 14 जुलाई से शुरू हुई भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा को प्रदेश में बहुत शानदार रिस्पॉंस मिल रहा है। यात्रा की शुरुआत के दिन से ही इसमें जनसैलाब उमड़ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यात्रा के दौरान जहां रथ सभाएं कर रहे हैं तो वे मंचों पर जाकर भी सभाएं कर रहे हैं। कई जगह तो रात को दो-दो बजे तक सभाएं हो रही हैं, जिसमें शिवराज सिंह चौहान को सुनने के लिए लोग उपस्थित रहते हैं। यात्रा का संयोजक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा को बनाया गया है। वे शिवराज सिंह चौहान के सारथी बनकर पूरी तरह यात्रा में साथ हैं। यात्रा में शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह भी पूरे समय साथ चल रही हैं। यात्रा अब तक कई पड़ाव पार कर चुकी है।
कांग्रेस की जन-जागरण यात्रा
भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा के पीछे-पीछे कांग्रेस भी अपनी जन-जागरण यात्रा लेकर चल रही है। कांग्रेस ने भी अपनी यात्रा की शुरुआत उज्जैन के समीप सैलाना से की। इसके बाद यात्रा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग निकाली जा रही है। विंध्य क्षेत्र में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह यात्रा निकाल रहे हैं तो वहीं मालवा की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी और बाला बच्चन ने संभाल रखी है। इसी तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और चुनावी समिति के संयोजक एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी जल्द ही एक यात्रा लेकर प्रदेश की जनता के बीच पहुंचने वाले हैं। इस यात्रा की तैयारियां चल रही हैं।
आप ने निकाली बदलेंगे मध्यप्रदेशÓ यात्रा
यात्राओं की इस कड़ी में आम आदमी पार्टी पहले ही बदलेंगे मध्यप्रदेश यात्रा निकाल चुकी है। आप की यह यात्रा 18 मार्च से शुरू हुई थी। इस दौरान सभी विधानसभा क्षेत्रों में यात्रा को पहुंचना था, लेकिन यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया। यात्रा को लेकर आप के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल कहते हैं कि आप ने बदलेंगे मध्यप्रदेश संकल्प यात्रा के जरिए भ्रष्टाचार, ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं और किसानों पर फोकस किया। मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गया है। किसानों की हालत भी दयनीय हो गई है।
दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्राÓ
10 वर्षों से ज्यादा समय से मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहे कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी प्रदेशभर में नर्मदा परिक्रमा यात्रा निकाली। उनकी यात्रा 30 सितम्बर 2017 से नरसिंहपुर जिले के वरमान घाट से प्रारंभ हुई थी। इसका समापन भी यहीं पर एक भव्य समारोह के साथ हुआ, जिसमें कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं के अलावा कई संत-महात्माओं ने भी शिरकत की। दिग्विजय सिंह की यात्रा को भी खासा समर्थन मिला था। उससे लगता था कि यात्रा के बाद मध्यप्रदेश का राजनीतिक माहौल पूरी तरह से बदल जाएगा, लेकिन ऐसा नजर नहीं आया। इस यात्रा में दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता सिंह भी पूरी समय उनके साथ पैदल चलीं। यात्रा के दौरान उनका जगह-जगह स्वागत, सत्कार भी खूब हुआ। हालांकि ये नर्मदा परिक्रमा यात्रा उनकी पूरी तरह से निजी यात्रा थी और वे इसको लेकर कह भी चुके थे कि उनकी यात्रा को राजनीतिक रंग न दिया जाए।
...इधर सरकार ने ये यात्राएं भी निकालीं
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने भी यात्राओं पर ही ज्यादा भरोसा जताया। यात्राओं की शुरुआत यूं तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के जरिए की थी, लेकिन इसके बाद से यात्राओं का दौर चल पड़ा है। 15 मई 2017 को नर्मदा सेवा यात्रा का शुभारंभ नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से हुआ था। इसमें कई साधु-संतों के अलावा अन्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया था। यात्रा अमरकंटक से होते हुए कई नर्मदा घाटों पर पहुंची।
इस दौरान यात्रा का कलश भी जगह-जगह पहुंचा। इसका अपार जनसमूह ने स्वागत किया और पूजा-अर्चना भी की। इस यात्रा के बाद सरकार ने नर्मदा नदी के किनारे 6 करोड़ पौधे लगाने की शुरुआत भी की थी। फिर सरकार आदि शंकराचार्य जी की मूर्ति बनाने के लिए एकात्म यात्रा पर निकल पड़ी।