सत्ता में बने रहने एक ही परिवार के सदस्य कर रहे अलग दलों की राजनीति
प्रमुख राजनीतिक दलों में प्रभावी भूमिका में हैं कई राजनेता
भोपाल/स्वदेश वेब डेस्क। प्रदेश में कई ऐसे राजनैतिक परिवार हैं जो प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों की राजनीति कर रहे हैं। खास बात यह है कि यह परिवार दोनों ही दलों में प्रभावशाली भी माने जाते हैं। यह बात अलग है कि इन परिवारों के सदस्यों को चुनाव में कभी भी विरोधी दलों से आमना-सामना नहीं हुआ है। हालांकि विरोधी दल के खिलाफ बयानबाजी हो या फिर बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन इनमें जरुर वे सक्रियता दिखाते हुए नजर आते हैं। इन परिवारों की प्रदेश की सत्ता में हमेशा भागीदारी रही है। वजह भी सफ है प्रदेश में सिर्फ भाजपा व कांग्रेस का ही प्रभाव है। जिसकी वजह से इन दोनों ही दलों की सरकार बनती हैं। इस दौरान वे दूसरे दल में बैठे परिवार के सदस्य के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोलते। अब ऐसे ही परिवारों में एक ओर नाम रीवा राजघराने का जुड़ गया है। दरअसल पूर्व विधायक पुष्पराज सिंह ने करीब एक दशक बाद कांगे्रस का दामन थाम लिया है। वर्तमान में उनके बेटे दिव्यराज रीवा जिले के सिरमाौर से भाजपा के विधायक हैं।
पति-पत्नी अलग-अलग दलों में
रीवा जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा कुछ माह पहले भाजपा से कांगे्रस में आए हैं। वे रीवा से टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं। उनकी पत्नी नीलम मिश्रा सेमरिया से भाजपा विधायक हैं। अभय और नीलम एक घर में रहते हैं। नीलम अपने पति अभय की गिरफ्तारी के खिलाफ विस में अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ चुकी हैं। भाजपा की उपेक्षा की वजह से ही अभय ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा है।
पत्नी कांग्रेस में तो पति भाजपा में
कांगे्रस के टिकट पर शहडोल लोकसभा सीट का उपचुनाव हार चुकी हेमाद्रि सिंह ने एक वर्ष पूर्व भाजपा नेता और राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र मरावी से विवाह किया है। मरावी पुष्पराजगढ़ से भाजपा से विस चुनाव के टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इसी सीट से हेमाद्रि सिंह कांग्रेस से टिकट मांग रही हैं। अब यदि भाजपा-कांगे्रस इनको टिकट देती है तो क्या पति-पत्नी एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ेंगे।
शाह बंधु और राजनीति के दो धु्रव
स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह और उनके एक भाई टिमरनी विधायक संजय शाह मकड़ाई भाजपा की राजनीति करते हैं जबकि दोनों के बड़े भाई अजय शाह कांग्रेस की एसटी सेल के अध्यक्ष हैं। अजय कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।
बड़े घराने में भी सियासत के दो धुवीय
सिंधिया परिवार लंबे समय से दो धुवीय राजनीति का केंद्र रहा है। राजमाता विजयराजे सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ जनसंघ का रास्ता चुना था। उनके पुत्र माधवराव सिंधिया जनसंघ छोडकऱ कांग्रेस में चले गए। राजमाता की दो पुत्रियां वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भाजपा में हैं। माधवराव के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में हैं। राजमाता के भाई ध्यानेंद्र सिंह और उनकी पत्नी माया सिंह भाजपा में हैं। यही हाल दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह का है। लक्ष्मण सिंह बीच में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए और फिर कांग्रेस में लौट आए। विस अध्यक्ष सीतासरन शर्मा के भाई गिरजाशंकर शर्मा भाजपा से निष्कासित होने के बाद भाजपा के धुर विरोधी हैं। खास बात यह है कि यह सभी टिकट के भी प्रबल दावेदार हैं।