चुनाव डेस्क। चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही मालवा अंचल से एक चौंकाने वाली बड़ी खबर आ रही है। मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे कांग्रेस के स्टार प्रचारक एवं चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया मालवा के जावरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जावरा नीमच-मंदसौर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, लेकिन यह आता रतलाम जिले में है। यहां से सिंधिया के खासमखास नेता महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन कुछ समय पहले उनका निधन हो गया था। मध्यप्रदेश में चुनावी रण का शंखनाद हो चुका है। पूरे प्रदेश में इस समय सबसे तेज चुनावी बुखार मालवा अंचल में चढ़ा हुआ है। हर पार्टी मालवा अंचल की 48 सीटों पर नजरें गड़ाए बैठी है।
कांग्रेस भी मालवा में अपना दम दिखाना चाहती है, इसलिए प्रदेश में सबसे पहली चुनावी सभा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मालवा के मंदसौर जिले के पिपलिया मंडी में की थी क्योंकि कांग्रेस जानती है कि किसान आंदोलन में झुलस चुके मालवा में इस बार उसकी राह आसान हो सकती है। चूंकि मालवा पूर्व में सिंधिया रियासत का हिस्सा था, इसलिए अपने हर भाषण में सिंधिया मालवा को अपना घर बताते हैं। सबसे खास बात यह है कि किसान आंदोलन से लेकर आज तक लगातार सिंधिया यहां आते रहे हैं और उन्होंने खासी जमीन भी तैयार कर ली है। इस क्षेत्र में सिंधिया का भाषण बेहद अपनत्व से भरा होता है। सिंधिया के जावरा से चुनाव लडऩे की खबरों के चलते ही पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जावरा आए थे, जहां उन्होंने भाजपा की जमीनी हकीकत जानी। जावरा से वर्तमान में भाजपा के राजेन्द्र पाण्डे विधायक हैं, जो भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद स्व. लक्ष्मीनारायण पाण्डे के बेटे हैं। हाल में कराए गए एक सर्वे में रिपोर्ट पाण्डे के पक्ष में नहीं है। ऐसे में सिंधिया यदि यहां मैदान संभालते हैं तो भाजपा को कोई कद्दावर नेता चुनाव मैदान में उतारना पड़ेगा। सिंधिया के जावरा से चुनाव लडऩे की खबरों ने भाजपा को परेशान कर दिया है। जानकार बता रहे हैं कि भाजपा कैलाश विजयवर्गीय को जावरा से चुनाव मैदान में उतार सकती है क्योंकि विजयवर्गीय का मालवा में खासा जनाधार है और वे एक कद्दावर नेता भी हैं। यदि चुनाव में यही समीकरण रहे तो मालवा बड़ा चुनावी अखाड़ा बन जाएगा। वैसे विजयवर्गीय के अलावा रतलाम विधायक चेतन कश्यप को भी भाजपा सिंधिया के सामने झोंक सकती है क्योंकि कश्यप आर्थिक रूप से बेहद ताकतवर माने जाते हैं। वहीं जावरा में जैन समाज ताकत में है और कश्यप स्वयं जैन हैं, इसलिए जैन समाज में वे अपनी बड़ी हैसियत रखते हैं।
..तो फिर ग्वालियर-चम्बल में कौन संभालेगा कांग्रेस की कमान
मालवा के जावरा विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया के चुनाव लडऩे की खबर यदि सही है तो बड़ा सवाल यह है कि फिर ग्वालियर-चम्बल में कांग्रेस की चुनावी कमान कौन संभालेगा? मालवा अंचल में यदि 48 सीटें हैं तो ग्वालियर-चम्बल अंचल में भी 34 सीटें हैं। चूंकि ग्वालियर-चम्बल अंचल में कांग्रेस के पास सिंधिया से बड़ा कोई और चेहरा नहीं है। कांग्रेस के पास मात्र सिंधिया ही एक ऐसे नेता हैं, जिनकी इस अंचल में मजबूत पकड़ है। चूंकि ग्वालियर-चम्बल की अधिकांश सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी खासा प्रभाव है। बसपा प्रदेश की सभी 230 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। बसपा के प्रत्याशी मैदान में होने से कांगे्रस प्रत्याशियों का ही चुनावी गणित बिगड़ेगा। स्वाभाविक है कि यदि सिंधिया जवारा से चुनाव लड़ेंगे तो वे ग्वालियर-चम्बल अंचल को कम से कम ही समय दे पाएंगे। ऐसे में यहां कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मोदी की नकल, 48 सीटों पर नजर
म.प्र. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नकल करती नजर आ रही है। विदित रहे कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 80 में से अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए रणनीतिक तरीके से नरेन्द्र मोदी वाणारसी से चुनाव लड़े थे। इसका प्रभाव यह हुआ कि भाजपा गठबंधन को वहां 72 सीटें मिली थीं। ऐसी ही रणनीति कांग्रेस की है। कांग्रेस का मानना है कि सिंधिया जैसा चर्चित युवा चेहरा यदि जावरा से चुनाव लड़ेंगा तो निश्चित रूप से उनके व्यक्तित्व का असर मालवा की अन्य सीटों पर भी पड़ेगा, जिसका लाभ कांग्रेस प्रत्याशियों को मिलेगा।