कृषि के लिये दिए 35,353 करोड़ के बजट से किसानों की स्थिति सुदृढ़ होगी : चौधरी

Update: 2021-03-03 14:47 GMT

भोपाल। मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के कार्यों के लिये 35,353 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया है, इससे राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही।

चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत मध्यप्रदेश के 78 लाख किसानों को अभी तक 8,000 करोड़ से अधिक मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिये मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत (वार्षिक 4 हजार रुपये) वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक 57 लाख 50 हजार किसानों को लगभग 400 करोड़ दिये हैं। वर्ष 2021-22 में इस योजना के तहत 3,200 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से वर्ष 2018-19 की लंबित फसल बीमा प्रीमियम राशि का भुगतान किया गया, जिससे 18 लाख 38 हजार किसानों को 3,262 करोड़ की राशि प्राप्त हुई। उसके बाद खरीफ वर्ष 2019-20 के लिये 23 लाख 59 हजार 500 किसानों को 5,418 करोड़ की बीमा राशि का भुगतान किया गया। इसके अतिरिक्त वर्ष 2020-21 के लिये 43 लाख किसानों को 8,000 करोड़ से अधिक का भुगतान फसल बीमा योजना के तहत किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 2,219.94 करोड़ का प्रावधान है।

चौधरी ने कहा कि 5 लाख 85 हजार किसानों से 37 लाख 26 हजार 446 मीट्रिक टन धान उपार्जित कर उन्हें 6,935 करोड़ का भुगतान किया गया। 3 लाख किसानों को चना, मसूर और सरसों की खरीदी के लिये 3,959 करोड़ का भुगतान किया गया है। वर्ष 2021-22 में कृषि विभाग की मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना द्वारा फसल उपार्जन हेतु 2,000 करोड़ का बजटीय आवंटन किया गया है। इससे सरकार एमएसपी पर किसानों की उपज खरीदी सुनिश्चित कर सकेगी। चौधरी ने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के माध्यम से किसानों को फसल ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। 1,000 करोड़ रुपये कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान के लिये रखे गये हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि के साथ उससे संबंद्ध क्षेत्रों में भी ध्यान दे रही है। पशुपालकों को कार्यशील पूँजी की व्यवस्था के लिये 76 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये हैं। गौवंश के संरक्षण हेतु एक हजार ग्राम पंचायतों में एक हजार गौ शालाएँ स्थापित की जा रही हैं। प्रदेश में पहली बार डेयरी साईंस एण्ड फूड टेकनालाजी महाविद्यालय की स्थापना की जायेगी। पशुओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिये उनके टीकाकरण और दवाईयों पर 37.53 करोड़ रुपये व्यय किये जायेंगे।

दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा खाद्य प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिये तीन योजनाओं प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना हेतु 179.86 करोड़, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास में 31.83 करोड़ और मुख्यमंत्री बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण योजना में 20 करोड़ रुपये रखे गये हैं। एक जिला, एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत हर जिले के लिये फसलें चिन्हित की जा रही हैं और उद्यानिकी फसलों के विकास के लिये 20 विकासखण्डों को चयनित कर आदर्श विकासखण्ड के रूप में विकसित किया जा रहा है। सरकार द्वारा संरक्षित खेती के माध्यम से किसानों को व्यावसायिक फसलों की खेती के लिये बढ़ावा दिया जा रहा है।

भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि सिंचाई का क्षेत्रफल बढ़ने से फसलीय क्षेत्र बढ़ने के साथ फसलोत्पादन भी बढ़ता है जिससे किसान की आय में बढ़ोतरी होती है। इसके लिये जल संसाधन विभाग का बजट 6,436 करोड़ किया गया है। आगामी वर्षों में राज्य सरकार ने सिंचाई का क्षेत्रफल 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 164 नवीन सिंचाई परियोजनाओं द्वारा अतिरिक्त 1 लाख 27 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जा सकेगी। श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश में उपलब्ध 4 लाख 33 हजार हेक्टेयर जलक्षेत्र में से लगभग 99 प्रतिशत क्षेत्र में मछलीपालन किया जा रहा है। प्रदेश के एक लाख 75 हजार मछुआरों को दुर्घटना बीमा योजना से जोड़ा गया है। मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिये मत्स्यपालकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना द्वारा 120 करोड़ उपलब्ध कराये जायेंगे। 

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