डिजिटल दौर में मीडिया के स्वरूप में दिखा क्रांतिकारी परिवर्तनः प्रो. केजी सुरेश

डिजिटल माध्यमों ने आम जनता को दी नारद और संजय जैसी ताकत

Update: 2021-06-14 17:57 GMT

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वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि में सात दिवसीय कार्यशाला की हुई शुरुआत

जौनपुर/भोपाल। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चित प्रकोष्ठ की ओर से 'डिजिटल दौर में मीडिया का बहुआयामी स्वरूप' विषयक सात दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत सोमवार को हुई। ऑनलाइन आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल, मध्य प्रदेश के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने कहा कि डिजिटल की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है। आज चार साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग ऑनलाइन कनेक्ट हो रहे हैं। कल तक जिन बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाता था, उन्हें आज मोबाइल से सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

प्रोफेसर केजी सुरेश ने कोरोना काल से पत्रकारों को निराश न होने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि फिक्की ने मीडिया सेक्टर में 25 प्रतिशत का उछाल आने की संभावना जताई है। प्रोफेसर केजी सुरेश ने वर्तमान दौर में डिजिटल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता का हवाला देते हुए कहा कि आज 28 प्रतिशत विज्ञापन डिजिटल की तरफ जा रहे हैं, जबकि प्रिंट को सिर्फ 25 प्रतिशत विज्ञापन मिल रहा है।

बतौर विशिष्ट अतिथि जनसंचार केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर संजीव भानावत ने कहा कि आज छापाखानों से निकलकर पत्रकारिता मोबाइल में कैद हो चुकी है। कंटेंट का डिस्ट्रिब्यूशन तेजी से हो रहा है। डिजिटल दौर में पत्रकारिता मल्टीटास्किंग हो चुकी है। डिजिटल मीडिया में न स्पेस का संकट है न समय का। प्रोफेसर संजीव भानावत ने प्राचीन काल से लेकर वर्तमान दौर में मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर चर्चा करते हुए महाभारत के संजय को पहला युद्ध संवाददाता बताया। उन्होंने कहा कि पहले नारद व संजय के पास जो ताकत थी, उसे आज डिजिटल माध्यम ने आम जनता को दी है। हर नई तकनीक कुछ नए खतरे को लेकर आती है, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। आज प्रिंट, इलेक्ट्रानिक सभी माध्यम मोबाइल में समा गए हैं।

कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि समय के साथ समाज की सोच बदलती है। बदलते युग के साथ जनसंचार में भी बदलाव आता है। कभी एक पन्ने से शुरू हुई पत्रकारिता आज डिजिटल माध्यम तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि समय की मांग के अनुरूप मीडिया का स्वरूप भी तेजी से बदल रहा है। आज इंटरनेट मीडिया के कारण अब मिनटों में पूरी दुनिया का हाल जान लेते हैं। कुलपति ने प्रिंट मीडिया की प्रासंगिकता हमेशा बरकरार रहने की भी बात कही।

अतिथियों का स्वागत आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चित प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो मानस पांडेय एवं कार्यशाला की रूपरेखा एवं संचालन संयोजक डॉ मनोज मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया। सात दिवसीय कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यशाला में सह संयोजक डॉ धर्मेंद्र सिंह, प्रो राजेश शर्मा, प्रो राघवेंद्र मिश्र, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ चंदन सिंह, डॉ कौशल पांडेय, डॉ बुशरा जाफरी, डॉ प्रभा शर्मा, डॉ छोटेलाल, लता चौहान,डॉ सतीश जैसल, डॉ राधा ओझा, डॉ दयानंद उपाध्याय, डॉ विजय तिवारी,डॉ शशि कला यादव, वीर बहादुर सिंह समेत देश के 21 राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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