2022 तक सात लाख मकान बनना होगा मुश्किल
भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से केन्द्र की योजनाओं पर संकट के बादल मंडराना शुरू हो गया है। किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि का माला हो या फिर कोई अन्य केन्द्र की योजना राज्य सरकार उनमें अड़ंगे डालने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। इसी तरह से अब नाथ सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना पर भी अडंग़ा लगा दिया है। उनकी सरकार ने एक जनवरी, 2019 के बाद मंजूर हुए नए मकानों के लिए कोई भी राशि का आवंटन करने से इंकार कर दिया है। जिसकी वजह से 2022 तक प्रदेश में पौने सात लाख मकानों का लक्ष्य हासलि करना मुश्किल नजर आने लगा है। केंद्र सरकार की इस योजना को राज्य, नगरीय निकाय और कुछ घटकों में हितग्राहियों की मदद से अमलीजामा पहनाया जा रहा है। ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी बनाए जा रहे हैं। भाजपा के शासन में योजना के लिए फंड की कमी आ रही थी। कांग्रेस सरकार में भी यही स्थिति बनी हुई है। ऐसे में सरकार ने योजना में केवल ईडब्ल्यूएस मकानों के निर्माण पर फोकस किया है।
स्वयं के भवन निर्माण के लिए 500 करोड़ का बजट
फिलहाल ईडब्ल्यूएस मकानों के निर्माण के लिए अर्फोडेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (एएचपी) और बेनिफिशियरी लेड इंडिविजुअल हाउस कंस्ट्रशन (बीएलसी) घटक पर ही काम हो रहा है। एएचपी में झुग्गी बस्ती के हितग्राही को ईडब्ल्यूएस मकान बना कर देने के लिए सरकार डेढ़ लाख रुपए देगी। वहीं खुद की जमीन पर मकान बनाने वालों के लिए राज्य ने काफी पैसा रखा है। नगरीय प्रशासन संचालनालय के पास बीएलसी के लिए 500 करोड़ रुपए उपलब्ध है। हितग्राही को मकान की निर्माण की प्रगति के मुताबिक किश्तों में राशि जारी की जा रही है। संचालनालय ने निकायों को उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के लिए कहा है ताकि किश्त जल्द जारी की जा सके।
फंडिंग के साथ दिक्कतें भी
भोपाल और इंदौर में 25 हजार मकान बनाने के लिए जमीन ही नहीं मिल पाई। हितग्राहियों से लोन की किश्त मिलने में समय लगेगा। मकान का भौतिक प्रगति देखने के बाद हितग्राही को दूसरी व तीसरी किश्त जारी करने की शर्त, निरीक्षण करने और किश्त देने में निकायों का उलझाना। सिया, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रेरा से अनुमति और फायर को एनओसी लेने की प्रक्रिया। नए तथा ग्राम निवेष संचालनालय (टीएंडसीपी) में अनुमति, भू उपयोग परिवर्तन में देरी।