तीसरा मोर्चा हुआ गायब
भोपाल/विशेष संवाददाता। प्रदेश में तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में जमकर चुनावी ताल ठोकने वाली करीब आधा दर्जन राजनैतिक दल लोकसभा चुनाव में अब तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके हैं। खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव से पहले अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति संरक्षण अधिनियम में संशोधन के विरोध में बने माहौल के बीच इस मामले को लेकर आधा दर्जन पार्टियां चुनाव मैदान में उतरी थीं, जो आम चुनाव से पहले नजर नहीं आ रही हैं। खास बात यह है कि तीसरा मोर्चा चुनावी मैदान में तो उतर रहा है पर वह विधानसभा चुनाव की तरह सक्रिय नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि वह दोनो प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस पर किसी तरह का दबाव नहीं बना पा रहा है। जबकि विधानसभा चुनाव से पहले छोटी पार्टियों के भाजपा-कांग्रेस से गठबंधन को लेकर खूब चर्चाओं का दौर चला था। आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 208 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। ऐसा कहा गया था कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में चुनिंदा सीटों पर प्रत्याशी उतारने को कहा था, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने उसकी बात को अनसुना कर 208 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए थे, इससे पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाराज थे और उन्होंने प्रदेश में एक भी चुनावी सभा नहीं की थी। सूत्रों का कहना है कि विधानसाा चुनाव में मिली करारी हार के चलते इस बार पार्टी प्रदेश में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही है। हालांकि पार्टी के प्रदेश संयोजक अलोक अग्रवाल का कहना है चुनाव लडऩे को लेकर इसी हफ्ते निर्णय लिया जाएगा।
सपा की कार्यकारिणी ही नहीं
समाजवादी पार्टी तीन सीटों-खजुराहो, टीकमगढ़ और बालाघाट सीट पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है। मजेदार बात यह है कि जनवरी से पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी तक गठित नहीं हो सकी है। ऐसे में पार्टी कितनी दमदारी से चुनाव लड़ेगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सपा के पूर्व प्रवक्ता यश भारतीय का कहना है कि पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छे वोट मिले थे, उसे देखते हुए तीन सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी चल रही है।
बसपा चुनावी मोड में नहीं
सपा और बसपा गठबंधन के तहत बसपा प्रदेश में 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसने तीन सीटें सपा के लिए छोड़ दी हैं। इस चुनाव में बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन के कोई प्रयास नहीं हुए। हालांकि मप्र में बसपा अब तक इक्लेशन मोड में नहीं आई है। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को प्रदेश में 3 प्रतिशत वोट मिले थे।
कांग्रेस के लिए जयस मुसीबत
विधानसभा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाडऩे वाला जयस यानि जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन इस बार कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करता दिखाई दे रहा है। जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ऐलान कर चुके हैं कि अगर उनकी पसंद के आदिवासी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिए गए, तो वो कांग्रेस से बगावत कर सकते हैं। उनके बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी इसी कतार में है। कयास लगाए जा रहे हैं कि गोंगपा नेता मनमोहन शाह बट्टी भाजपा में शामिल होकर मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं।
सपाक्स 15 सीटों पर लड़ेगी
सपाक्स पार्टी 109 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। आम चुनाव में वह 15 सीटों पर प्रत्याशी उतार रही है। सपाक्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि पार्टी प्रत्याशियों की सूची जल्द जारी की जाएगी।
गोंगपा भी आधा दर्जन सीटों पर कर रही तैयारी
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आधा दर्जन सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है। गोंगपा के राष्ट्रीय संयोजक गुलजार सिंह मरकाम ने कहा कि प्रत्याशियों को लेकर पार्टी नेतृत्व मंथन कर रहा है। 2 अप्रैल से पहले प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी। भाजपा या कांग्रेस से गठबंधन के सवाल पर वे कुछ नहीं बोले।