शिवराज सिंह का कमलनाथ पर पलटवार, कहा - कांग्रेस ने यह चुनाव नकुलनाथ और जयवर्धन के भविष्य का चुनाव बना दिया

शिवराज सिंह ने कहा मैं नारियल लेके चलता हूं, लेकिन कमलनाथ तो ताला लेके चलते हैं;

Update: 2023-10-21 14:57 GMT
शिवराज सिंह का कमलनाथ पर पलटवार, कहा - कांग्रेस ने यह चुनाव नकुलनाथ और जयवर्धन के भविष्य का चुनाव बना दिया
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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने शनिवार को एक बयान में कहा कि कमलनाथ आरोप लगा रहे हैं कि आप नारियल लेके चलते हैं। हां, मैं नारियल लेके चलता हूं, तो कमलनाथ ताला लेके चलते हैं और वो ताला सरकार आने पर जो मेरी योजनाएं, भाजपा सरकार की योजनाएं हैं, उन योजनाओं को बंद करके ताला डाल देते हैं। ये कमलनाथ थे, जिन्होंने सवा साल सरकार बनी तो बैगा, भारिया, सहरिया बहनों के आहार अनुदान पर ताला डाल दिया, एक हजार रुपया बंद। ये मुख्यमंत्री बनें तो संबल योजना पर ताला डाल दिया, गरीबों के कल्याण की योजना, संबल पर ताला डाल दिया, संबल योजना को बंद करने का काम कमलनाथ ने किया। 

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पन्द्रह महीने के लिए कमलनाथ की सरकार मध्यप्रदेश में आई तो इन्होंने मेरे बच्चों की साइकिल की योजना बंद करके ताला डाल दिया, लैपटॉप योजना बंद करके उस पर ताला डाल दिया, इन्होंने तो कन्या विवाह का पैसा बेटियों को नहीं दिया और उनके भविष्य पर भी ताला डाल दिया था। बुजुर्गों के लिए तीर्थ दर्शन योजना बनाई वो योजना भी बंद करके, उस योजना पर भी ताला डाल दिया। उन्होंने कहा कि मैं नारियल लेके चलता हूं, क्योंकि मैं विकास और जनकल्याण करता हूं। ये ताला लेके योजनाओं पर ताला लगाने का काम करते हैं। 

कांग्रेस ने यह चुनाव नकुलनाथ और जयवर्धन के भविष्य का चुनाव बना दिया 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ कह रहे कि यह प्रदेश के भविष्य का चुनाव है। लेकिन कांग्रेस ने यह चुनाव नकुलनाथ और जयवर्धन के भविष्य का चुनाव बना दिया है। कमलनाथ, नकुलनाथ को और दिग्विजय, जयवर्धन को स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कमलनाथ को टिकट बांटने की फ्रेंचाइजी दे दी है। लेकिन फ्रेंचाइजी लेकर कमलनाथ किसी की नहीं सुन रहे, दिल्ली का सर्वे नहीं, दिल्ली की सुनना नहीं, इंडी गठबंधन को अपमानित कर रहे हैं। अब वो ना तो इंडी गठबंधन वालों की सुन रहे हैं, ना खड़गे जी की सुन रहे हैं। कमलनाथ न मैडम सोनिया गांधी, न राहुल गांधी और न प्रियंका गांधी की सुन रहे हैं। वो तो सिर्फ अपनों को स्थापित करने के काम में लगे हैं।

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