Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के कचरे के निस्तारण पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, केंद्र और MP सरकार को जारी किया नोटिस

Update: 2025-02-17 12:07 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित जहरीले कचरे को मध्य प्रदेश के पीथमपुर में नष्ट करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया है। याचिका में इस कचरे से क्षेत्र में विकिरण (Radiation) और अन्य पर्यावरणीय खतरों की आशंका व्यक्त की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को तय की है।

याचिका में उठाए गए प्रमुख बिंदु

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह चिंता जताई है कि भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट करना स्थानीय लोगों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे का कारण बन सकता है। याचिका में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया गया है:

निपटान स्थल के एक किलोमीटर के दायरे में चार से पांच गांव स्थित हैं, जिनमें से एक गांव तो महज 250 मीटर दूर है। यहां रहने वाले लोग अब तक वहां से हटाए नहीं गए हैं, जिससे उनकी जीवनशैली और स्वास्थ्य गंभीर जोखिम में हैं।

इंदौर पीथमपुर से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर है और अत्यधिक घनी आबादी वाला शहर है। इस जहरीले कचरे के निपटान से प्रभावित हो सकता है।

इस कचरे के निस्तारण के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) या हालिया वैज्ञानिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। सरकार ने 2015 में किए गए परीक्षणों के आधार पर निस्तारण की मंजूरी प्राप्त की है, जबकि नए वैज्ञानिक रिपोर्टों की अनदेखी की गई है।

याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि जल और मिट्टी के प्रदूषण की निगरानी के लिए कोई समिति गठित नहीं की गई है। इसके अलावा जहरीले कचरे से निकलने वाले दूषित जल को शुद्ध करने के लिए कोई उपचार संयंत्र प्रस्तावित नहीं किया गया है।

क्षेत्र में प्रभावी आपदा प्रबंधन योजना का अभाव है, जिससे दुर्घटना की स्थिति में लोगों की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता कार्यक्रमों की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

सरकार पर लगा लापरवाही का आरोप

याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने 2023 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की निगरानी में इस कचरे के निस्तारण के लिए 126 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। हालांकि, अब तक जमीनी स्तर पर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। राज्य सरकार की लापरवाही के कारण 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा बिना उचित सुरक्षा उपायों के पीथमपुर भेजा जा रहा है।

अब तक नहीं निकला समस्या का हल

1984 की भोपाल गैस त्रासदी को चार दशक हो चुके हैं, लेकिन इससे उत्पन्न हजारों टन जहरीला कचरा आज भी निस्तारित नहीं किया जा सका है। इस कचरे के कारण आसपास के जल स्रोत, मिट्टी और वायुमंडल में प्रदूषण का खतरा बना हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर को निपटान स्थल के रूप में चुना था, लेकिन इसके लिए कोई वैज्ञानिक और ठोस योजना अब तक तैयार नहीं की गई है।

इससे पहले भी हो चुकी है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

इससे पहले इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपनी बात हाईकोर्ट में रखने का निर्देश दिया था। अब हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक नई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिस पर शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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