हंगामेदार रहा विधानसभा का तीसरा दिन, छाए रहे OBC आरक्षण, खाद्य और बिजली बिल के मुद्दे
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार का दिन हंगामेदार रहा। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों ने बिजली बिल और खाद्य संकट के मुद्दे पर जमकर हंगामा मचाया। प्रश्नकाल के दौरान इन मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब से दौरान के सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई और सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर हंगामा करते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।
मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। इस दौरान पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कोरोना काल में बिजली के बढ़े हुए बिजली बिलों का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस संकट के दौर में भी बढ़े हुए बिजली के बिल उपभोक्ताओं को भेज रही है। विदिशा के कांग्रेस विधायक शशांक भार्गव ने आरोप लगाया कि सरकार लोक अदालत और बिजली बिल समाधान योजना के माध्यम से किसानों को नोटिस भेजकर वसूली कर रही है। इसे रोका जाना चाहिए।
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सदन में सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने कोरोना काल में बिजली के बिलों की वसूली नहीं करने की कोई घोषणा नहीं की थी, लेकिन सरकार ने छूट जरूर दी थीl उन्होंने दावा किया कि यदि किसी उपभोक्ता को बिजली की खपत से ज्यादा बिल भेजा गया है तो उसे सुधारा जाएगा। इस जवाब से कांग्रेस विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया।
वहीं, कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से प्रदेश में खाद्य संकट का मुद्दा सदन में रखा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों को समय पर खाद नहीं मिलने के कारण परेशानी हुई। खाद की कमी के चलते किसानों को सड़क पर आना पड़ा और पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं।
इसके जवाब में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं थी। सरकार ने व्यवस्था के अनुसार सोसाइटियों को 70 फीसदी और निजी दुकानदारों को 30 फीसदी खाद उपलब्ध कराई थी। उन्होंने खाद की कमी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। कांग्रेस विधायक मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और सदन में हंगामा करने लगे। जोरदार हंगामे के बाद उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया।