ग्वालियर-चंबल संभाग में शनिवार से बौछारें पड़ऩे की संभावना, 20 से होगी तेज बारिश

Update: 2021-07-16 12:45 GMT

भोपाल।  आधा जुलाई बीतने के बाद भी मप्र में झमाझम बरसात के लिए लोग तरस रहे हैं। झुलसाती गर्मी और उमस ने हलकान कर रखा है। छिटपुट बारिश को छोड़कर देखा जाए तो अब भी लोगों को झमाझम का बेसब्री से इंतजार है।प्रदेश में मानसून को दस्तक दिए एक महीना होने को आया है लेकिन अब तक पूरे प्रदेश में एक जैसी बारिश नहीं हुई है। मौसम विभाग ने शनिवार से राजधानी सहित प्रदेश के कुछ जिलों में बौछारें पड़ऩे की संभावना जताई है।

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि मुख्य कारण विंड पैटर्न का सपोर्ट नहीं करने और लो प्रेशर एरिया ठीक से नहीं बन पाने के कारण मौसम का मूवमेंट ठीक नहीं बन पा रहा है। अमूमन बारिश के सीजन में जुलाई और अगस्त माह में सर्वाधिक बरसात होती है लेकिन इस बार जुलाई के पहले 15 दिनों में अपेक्षित बरसात नहीं हुई है। वातावरण में नमी कम रहने से धूप निकल रही है। मानसून के प्रभावी होने के बाद बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में एक भी ऐसा वेदर सिस्टम नहीं बना, जिससे प्रदेश में मानसून को पर्याप्त ऊर्जा मिल सके। इस वजह से बरसात का क्रम लगभग थमा सा रहा। उधर पिछले चार-पांच दिन से विदर्भ पर बने पूर्वी-पश्चिमी ट्रफ के कारण राजधानी सहित पूरे प्रदेश में हवा का रुख पूर्वी बना हुआ है। इस वजह से बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी भी नहीं मिल पा रही है।

यह सिस्टम शुक्रवार को कमजोर पड़क़र समाप्त होने लगेगा, जिसके चलते एक बार फिर हवा का रुख पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी होने लगेगा। साथ ही मानसून ट्रफ के भी प्रदेश में आने की संभावना है। इससे शनिवार से राजधानी सहित ग्वालियर, चंबल संभाग में तेज बौछारें पड़ऩे की संभावनाबन रही है। 20 जुलाई के बाद बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम बन रहा है। उससे बारिश की संभावना बन रही है। गुजरात और राजस्थान तरफ अभी मानसून थोड़ा एक्टिव है। इसी से मालवा-निमाड़ में हल्की बारिश होती रहेगी। हालांकि टुकड़ों-टुकड़ों में ही बारिश होगी। लोकल वेदर से ही हल्की बारिश होती रहेगी।

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