सभा मण्डपम पर खड़ी है भोपाल की जामा मस्जिद
- भोपाल विलीनीकरण दिवस पर विश्व संवाद केंद्र की संगोष्ठी संपन्न
- भोपाल वैदिक सभ्यता का समुन्नत केंद्र रहा है
- जिन्ना के एजेंट थे भोपाल के नबाब
भोपाल। भोपाल वैदिक सभ्यता का समुन्नत केंद्र रहा है इसकी मूल संरचना वैदिक प्रकृति की हैं।समग्र भोपाल लाखों बर्ष पूर्व से मानवीय सभ्यता के विकास क्रम का भी साक्षी है।ख्यात पुरातत्वविद स्व. बाकनकर के प्रामाणिक शोध यह बताते है कि यह क्षेत्र शिक्षा,चिकित्सा और उन्नत कृषि का केंद्र था।भोपाल का वर्तमान स्वरूप मुगल आक्रांताओं के बाद से परिवर्तित हुआ है।यह बात आज प्रख्यात पत्रकार और समाज विज्ञानी रमेश शर्मा ने भोपाल विलीनीकरण दिवस पर आयोजित ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।संगोष्ठी का आयोजन विश्व संवाद केंद्र भोपाल द्वारा किया गया।संगोष्ठी में इतिहासविद राजीव चौबे एवं डॉ आलोक गुप्ता ने भी संबोधित किया।
मुख्य वक्ता रमेश शर्मा ने दावा किया कि भोपाल की मौजूदा जामा मस्जिद का क्षेत्र मूल स्वरूप में सभा मण्डपम था जिसका जिक्र शोध पूर्ण दस्तावेजो में मिलता है।इस मण्डपम के आसपास गौशाला,आचार्यकुलम,एवं शिक्षा के वैदिक केंद्र थे।उन्होंने बताया कि वैदिक संरचनाओं में स्वास्तिक के चिहन सौर मंडल की अवस्थिति को ध्यान में रखकर बनाए जाते थे।भोपाल के मोहल्लों के नाम इतवारा,मंगलवारा,इसी वैदिक संरचना के अनुरूप है।उन्होंने दावा किया कि इसी सभा मण्डपम पर 1822 में आज की जामा मस्जिद निर्मित की गई है।इससे पहले इल्तुमिश,खिलजी,जैसे लुटेरों ने भी भोपाल पर आक्रमण कर यहाँ की वैदिक सभ्यता को नष्ट करने का काम किया है।उन्होंने भोपाल विलीनीकरण के ऐतिहासिक सन्दर्भो को भी विस्तार से रेखांकित किया।
नबाब एक अलग 'प्रिसिस्तान' बनाना चाहते थे -
इतिहासविद औऱ पूर्व चिकित्सा प्राध्यापक डॉ आलोक गुप्ता ने दस्तावेजो के आधार पर भोपाल नबाब औऱ उसकी कुत्सित भारत विरोधी मानसिकता का खुलासा करते हुए बताया कि नबाब मूलतः जिन्ना के एजेंट थे।भोपाल विलीनीकरण के विरुद्ध ही नही नबाब की मानसिकता भारत के खिलाफ भी थी इसीलिए वह जिन्ना के इशारों पर देश की मुस्लिम रियासतों को भारत के विरुद्ध लामबंद कर रहे थे।डॉ गुप्ता ने दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर बताया कि नबाब एक अलग 'प्रिसिस्तान' बनाना चाहते थे जिसमें मुस्लिम रियासते मुख्य थी।उन्होंने सरदार पटेल के आगे इस प्लान के फेल हो जाने के बाद एक स्वतंत्र सेंट्रल कॉरिडोर बनाने का प्रयास भी किया जिसमें जूनागढ,भोपाल,ढाका,हैदराबाद को शामिल किया जाना था।बाद में इन्ही रियासतों के लिए कराची से जोड़ने वाली स्वतंत्र फ्लाइट सेवाओं के लिए भी उन्होंने प्रयास किया।डॉ गुप्ता के अनुसार भोपाल विलीनीकरण को रोकने के लिए नबाब ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर के षड्यंत्र तक रचे।नबाब ने महात्मा गांधी को भी अपने मोहपाश में लेने के प्रयास किये।
आभार प्रदर्शन
संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन ख्यात इतिहासकार राजीव चौबे ने किया।आभार प्रदर्शन विश्व संवाद केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ अजय नारंग ने किया।संगोष्ठी का संचालन सहसचिव डॉ कृपाशंकर चौबे द्वारा किया गया।