सर्पदंश से किसान की मौत: सांप के काटने के बाद झाड़-फूंक में लगे रहे परिजन

देरी से पहुंचने वाले मरीजों की हो जाती है मृत्यु: डॉ. शर्मा

Update: 2023-08-04 02:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। श्योपुर गांव के निवासी एक बुजुर्ग किसान की मौत हो गई। किसान जानवरों को चराने के लिए खेत पर गया था, जहां सांप ने उसे काट लिया। लेकिन परिजन बुजुर्ग को अस्पताल ले जाने की जगह झाड़-फंूक में ही लगे रहे। जिसके बाद परिजन बुजुर्ग को जयारोग्य लेकर निकले तो रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

श्योपुर ग्राम कदवई निवासी 63 वर्षीय रामजीलाल धाकड़ गत दिवस गुरूवर की सुबह करीब 7 बजे खेत पर भैंस चराने के लिए गए थे। भैंसों को चरने के लिए छोड़ वह खेत में ली लगी सब्जियों को तोडऩे लगे। लेकिन सब्जियों के पैधों में छिपे सांप ने उन्हें काट लिया। सांप ने उनकी उंगली पर दो जगह काटा। सांप काटने के लिए रामजीलाल घर की तरफ भागे और रस्ते में एक राहगीन ने उन्हें घर तक छोड़ा। रामजीलाल ने जब घर पर सांप के काटे जाने की जानकारी दी तो परिजन अस्पताल ले जाने की जगह पास के ही एक गांव में स्थित मंदिर पर ले गए। मंदिर पर मौजूद बाबा ने उन्हें परिक्रमा लगवाई और झाड़-फूक शुरू कर दी। परिजन मंदिर पर ही 1 बजे तक रामजीलाल की झाड़-फूक कराते रहे और देखते ही देखते रामजीलाल बेहोश होने लगे तो घवराए परिजन जयारोग्य अस्पताल के लिए रवाना हुए। लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रामजीलाल ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

देरी से पहुंचने वाले मरीजों की हो जाती है मृत्यु: डॉ. शर्मा

जयारोग्य के मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि बरसात के मौसम में सांप बिलों, झाडिय़ों, नदियों व तालाब आदि से बाहर निकलते हैं, जिस कारण सांपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि सांप काटने पर जल्द इलाज शुरू करना चाहिए न कि झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास में पडक़र मरीज की जान को खतरे में डालना चाहिए। डॉ. शर्मा बताते हैं कि कई बार लोगों को ऐसे सांप काट लेते हैं, जो जहरीले नहीं होते। ऐसे में लोग यह समझ लेते हैं कि मरीज झाड़-फूंक से ठीक हो गया है। यही कारण है कि जहरीले सांप काटने पर लोग अस्पताल देरी से पहुंचते हैं और उनकी मौत हो जाती है। इसलिए सांप के काटने पर बेहद जरूरी हो जाता है कि समय पर सही इलाज शुरू किया जाए।

एक घंटे में लगाए जाते हैं दस इंजेक्शन

अस्पताल में सर्पदंश के मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही एंटी स्नेक बेनम का स्टाफ भी कम होने लगा है। जयारोग्य चिकित्सालय के केन्द्रीय दवा भण्डार में एंटी स्नेक बेनम के महज 150 इंजेक्शन की बचे हैं। जबकि अस्पताल में प्रतिदिन 12 से 15 के बीच मरीज पहुंच रहे है। चिकित्सकों का कहना है कि मरीज आने पर पहले एसे एक एमएल डोज लगाई जाती है। 15 से 20 मिनट तक देखा जाता है कि कहीं इसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है तो एक घंटे में दस इंजेक्शन लगवाए जाते हैं। हालांकि दवा स्टोर के प्रभारी डॉ. देवेन्द्र कुशवाह का कहना है कि इंजेक्शन के ऑर्डर लगाए जा चुके हैं, जल्द ही सप्लाई आ जाएंगे। 

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