सरकार ने लागू नहीं किया न्यूनतम वेतन अधिनियम, श्रमिकों को पांच से छह हजार रुपए प्रति माह हो रहा नुकसान

Update: 2022-05-15 07:56 GMT

ग्वालियर। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पिछले करीब सात साल से ठेका श्रमिकों का वेतन पुनरीक्षित नहीं किया गया है। इस वजह से ठेका श्रमिकों को प्रति माह पांच से छह हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। इस संबंध में म.प्र. संविदा ठेका श्रमिक कर्मचारी संघ (इंटक) के प्रदेश अध्यक्ष एल.के. दुबे ने श्रमायुक्त इन्दौर एवं श्रम मंत्री म.प्र शासन सहित मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव श्रम और प्रमुख सचिव ऊर्जा म.प्र. शासन को पत्र लिखकर वेतन पुनरीक्षित कराने की मांग की है।

पत्र में बताया गया है कि श्रमायुक्त म.प्र. शासन इन्दौर के पत्र क्रमांक 646 दिनांक 25-11-2014 से श्रमिकों को पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन एवं एक नई श्रेणी उच्च कुशल का आदेश पारित किया गया था। जिसके उपरांत न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 अंतर्गत धारा 3 (बी) के तहत प्रत्येक पांच वर्ष में न्यूनतम वेतन की दरें पुनरीक्षित करने का प्रवधान किया गया है जबकि म.प्र. शासन के स्तर से वेज बोर्ड का गठन नहीं किया जाकर विगत सात वर्षों से न्यूनतम वेतन को पुनरीक्षित नहीं किया गया है। संविदा श्रमिक (विनियम एवं उन्मूलन) 1970 के तहत प्रदेश के समस्त जिलों में कार्यरत ठेका श्रमिक जिन्हें विद्युत वितरण, पावर ट्रांसमीशन एवं पावर जनरेटिंग कम्पनियों में संविदा श्रमिक (विनियम एवं उन्मूलन) 1970 के ठेका कम्पनियों द्वारा अनुज्ञा प्रमाण पत्र सरकार से प्राप्त नहीं किया गया है वहां ठेकारत श्रमिकों को विद्युत कम्पनी का श्रमिक घोषित किया जाए। साथ ही बोनस भुगतान अधिनियम 1965 एवं म.प्र. सहपठित नियम 1961 एवं 1963 के प्रवधाननुसार बोनस राशि की दर 8.33 प्रतिशत की गई है जबकि म.प्र. पावर ट्रांसमीशन कम्पनी सहित अन्य कम्पनियों द्वारा बोनस दर 8.33 प्रतिशत या अधिकतम 7000 रुपए की गई है। अधिनियम के प्रावधान अनुसार श्रमिकों के वेतन का अधिकतम 20 प्रतिशत तक बोनस या अधिकतम 21000 रुपए तक देने के निर्देश जारी किए जाएं। वर्तमान में भारत सरकार एवं दिल्ली सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन 21000 रुपए दिया जा रहा है। म.प्र. शासन द्वारा अधिनियम के अनुरूप न्यूनतम वेतन पुनरीक्षित आदेश शीघ्र जारी होने पर अल्प वेतन भोगी श्रमिकों को लगभग पांच से छह हजार का लाभ प्राप्त होगा। वर्तमान में म.प्र. विद्युत कम्पनियों में कार्यरत कुशल व उच्च कुशल श्रमिकों को अधिकतम 10 से 12 हजार और अकुशल श्रमिकों को मात्र 8500 रुपए दिए जा रहे हैं जो इस भीषण मंहगाई के अनुरूप अत्यंत कम हैं।

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