किसे टिकट मिलेगा, किसे नहीं यह केंद्र का विषय : नरेंद्र सिंह तोमर
चंद्रवेश पांडे
- पार्टी का हर निर्णय स्वीकार
- लाड़ली बहना कोई “गेम”नहीं
- शिवराज सिंह लोकप्रिय नेता
ग्वालियर। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का भारत की संसदीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान है। सांगठनिक मामलों में खासी पकड़ रखने वाले श्री तोमर के अनुभवों और चुनावी रण कौशल को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें चुनाव प्रबंधक समिति का संयोजक बनाया और अब उन्हेंं उन्हीं के संसदीय क्षेत्र मुरैना की दिमनी विधानसभा से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। उनकी उम्मीदवारी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। हालांकि और भी केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद हैं, जिन्हें विधानसभा के टिकिट दिए गए हैं। लेकिन ऐसा क्यों? इस सवाल के जवाब में श्री तोमर कहते हैं कि हम सब पार्टी के कार्यकर्ता हैं। हमारे यहां सामूहिक निर्णय होते हैं। पहले भी पार्टी केन्द्रीय मंत्रियों या सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाती रही है। इस बार भी पार्टी ने रणनीतिक तौर पर यह समझा कि सांसदों को विधानसभा में टिकट दिया जाना चाहिए तो केन्द्रीय चुनाव समिति ने हमें टिकट दिया है। जहां तक मेरी बात है तो मैं तो पार्षदी से यहां तक पहुंचा हूं। मैं राज्य की राज्यनीति में भी रहा हूं। मेरा काम पार्टी के निर्णय को सिरोधार्य कर काम करने का है। आगे भी किसे टिकट मिलेगा किसे नहीं यह केंद्र का विषय है।
" स्वदेश" से विशेष बातचीत में श्री तोमर ने मुख्यमंत्री पद के चेहरे, चुनावी मुद्दों, रणनीति, लाड़ली बहना से लेकर कई विषयों पर बात की और बेवाकी से सवालों के जवाब दिए। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
इस बार भाजपा मुख्यमंत्री का चेहरा बताने में हिचकिचा रही है। क्या पार्टी प्रदेश को नया नेतृत्व देना चाहती है?
ऐसा नहीं है। भाजपा में हमेशा से सामूहिक नेतृत्व रहा है। हम कार्यकर्ता आधारित दल है। शिवराज सिंह चौहान हमारे मुख्यमंत्री हैं वे प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद संसदीय बोर्ड यह सब तय करता है। फिलहाल तो हम सब चुनावी तैयारियों में जुटे हैं। जब नेतृत्व की बात आएगी तब शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे पर सर्व सम्मति से निर्णय ले ही लेगा।
पार्टी ने आपको भी टिकट दिया दे ही दे ही दिया है दो सूचियां आ गईं, लेकिन अभी तक शिवराज जी का नाम नहीं आया, क्या आप मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं?
ऐसा सोचना और समझना कदापि उचित नहीं है। मेरे जैसे और भी बड़े नेताओं को टिकट मिले हैं, तो क्या सभी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं? मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार कभी नहीं था, न हूं और न ही रहूंगा। रही बात शिवराज जी की, वे निश्चित रूप से चुनाव लड़ेगे। पार्टी उन्हें अवश्य लड़ाएगी। वे प्रदेश के सबसे लोकप्रिय और सफलतम मुख्यमंत्री रहे हैं।
तो क्या आने वाल सूचियों में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी टिकट दिया जा सकता है?
ये मैं कैसे कह सकता हूं। यह बात तो केन्द्रीय चुनाव समिति के अधिकार क्षेत्र की है। पार्टी उनका जैसा उपयोग करना चाहेगी करेगी।
अभी तक घोषित नामों में कुछ स्थानों पर असंतोष के स्वर उभर रहे हैं?
ऐसा कदापि नहीं है। पार्टी ने बेहतर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। असंतोष की बात बेमानी है। हमारे प्रत्याशी जनता के बीच जा रहे हैं और उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
जन आशीर्वाद यात्राओं का क्या प्रतिसाद रहा, इस बार तो पार्टी ने पांच यात्राएं निकालीं थी?
यह हमारा महत्वपूर्ण चुनावी कार्यक्रम था। हम सबने इस यात्रा के माध्यम से पूरा प्रदेश कवर करने की कोशिश की। इन यात्राओं में जिस तरह स्वस्फूर्त लोगों का सैलाब उमड़ा, इससे मैं यह विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भाजपा की अभूतपूर्व जीत होगी।
कांग्रेस भी जनआक्रोश यात्राएं निकाल रही है?
कांग्रेस तो मुद्दा विहीन है। जनता के सामने रखने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। अच्छा है कि हम हमेशा जन आशीर्वाद यात्राएं निकालें और कांग्रेस हमेशा आक्रोश यात्राएं ही निकालती रहे।
इससे बाद भी बड़ी संख्या में भाजपा नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जा रहे हैं?
चुनावी मौसम में हमेशा इस तरह का आना-जाना लगा रहता है। भाजपा में भी दूसरे दलों के लोग शामिल हो रहे हैं।
लाड़ली बहना क्या गेमचेंजर साबित होगी। विपक्ष तो इसे रेबड़ी कल्चर कह रहा है?
लाड़ती बहना शिवराज सिंह की महत्वाकांक्षी योजना है। कुछ ही समय हुआ है इसे, लेकिन इससे महिलाओं की स्थिति में व्यापक परिवर्तन देखा जा रहा है। यह भाजपा की संवेदनाशीलता का परिचायक है। महिलाओं को फायदा मिले, इससे किसे ऐतराज होना चाहिए। यह कोई गेम नहीं है जो इससे चैंज की बात आए। कांग्रेस हो या तमाम विपक्षी दल उन्होंने महिलाओं के उत्थान की बात कभी सोची ही नहीं। सालों साल शासन करके कांग्रेस कभी महिला आरक्षण नहीं कर सकी, लेकिन मोदी सरकार ने यह करिश्मा कर दिखाया।
तो क्या इस चुनाव में चुनाव में महिला आरक्षण मुद्दा बनेगा? और क्या पार्टी महिलाओं को ज्यादा टिकट देगी?
देखिए, भाजपा हमेशा से ही महिलाओं को आगे बढ़ाने, उनकी तरक्की की बात करती रही है। हमारी कोशिश रही है कि महिलाएं आगे आएं। भाजपा में राष्ट्रीय स्तर से स्थानीय स्तर तक 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए अभी भी है। पार्टी यकीनन यथोचित महिलाओं को टिकट देगी।
इस बार भाजपा में टिकट वितरण में केन्द्रीय नेतृत्व हावी है। चर्चा है कि प्रदेश में किसी की भी नहीं सुनी जा रही?
ऐसा नहीं है। सारे टिकट सामूहिक निर्णय के बाद ही तय किए गए है और आने वाली सूचिया भी ऐसे तय होंगी। जहां जरूरी था वहां हमसे पूछा गया है। टिकट दिए जाने में कोई हावी नहीं रहता। हमारे यहां सभी निर्णय सर्वसम्मति से होते हैंं।
खबर है कि आने वाली सूचियों में गुजरात की तर्ज पर मंत्रियों व विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं।
किसके टिकट रहेंगे, किसे मिलेंगे यह सब चुनाव समिति को तय करना है। यदि कोई खुद से चुनाव नहीं लड़ना चाहता है तो वह नेतृत्व को बता देगा। पार्टी वैसा निर्णय करेगी।