पिता की कुर्सी का डंका: डूब क्षेत्र की नौ बीघा जमीन का किया अनुबंध

Update: 2022-05-24 07:58 GMT

ग्वालियर। पिता की कुर्सी का लाभ उठाकर उनके सुपुत्र द्वारा अपनी फर्म के नाम से ग्राम अलापुर में डूब क्षेत्र की नौ बीघा शासकीय भूमि का किसानों से औने पौने दामों अनुबंध करने का कारनामा सामने आया है। और तो और अनुबंध में डूब क्षेत्र की इस भूमि को वापस निजी कराए जाने की गारंटी ली गई है ताकि उस पर कॉलोनी विकसित की जा सके। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि बिल्डर पुत्र के पिता विकास से जुड़े बड़े पद पर है। जो उन्हें जमीन के इस कारोबार में पर्दे के पीछे अच्छी खासी मदद कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक एक जुलाई 2019 को मैसर्स ओशियन बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक आकाश शर्मा पुत्र वीके शर्मा ने किसान सूरत सिंह एवं रघुनाथ सिंह से एक अनुबंध पत्र संपादित किया है जिसमें ग्राम अलापुर पटवारी हल्का क्रमांक 78 डोंगरपुर परगना में सर्वे क्रमांक 306/6 व 342/7 रकवा 1.087 हेक्टेयर एवं सर्वे क्रमांक 387 रकवा 0.941 हेक्टेयर कुल किता दो कुल रकबा 2.028 हेक्टेयर भूमि है। जिसमें सर्वे क्रमांक 306/6 व 342/7 की ऋण पुस्तिका क्रमांक 135988 है। अनुबंध में स्पष्ट लिखा है कि 4 जुलाई 2011 से जिलाधीश भू अर्जन ग्वालियर के प्रकरण क्रमांक 82/2002-03 भू अर्जन में पारित अवार्ड से जल संसाधन विभाग ग्वालियर के नाम दर्ज किया गया है जिसमें सर्वे 1 ग्राम 387 लकवा 0941 हेक्टेयर भूमि को राजस्व अभिलेखों में शासकीय दर्ज किया गया है किंतु वर्तमान में उक्त भूमि एकमात्र हम पक्षकार क्रमांक 1 के आधिपत्य में होकर कहीं भी रहन, वय दान आदि नहीं है।

डूब क्षेत्र से मुक्त कराने की गारंटी

बिल्डर द्वारा लगभग उक्त 9 बीघा भूमि को 7 लाख रुपए प्रति बीघा के हिसाब से खरीदना तय करते हुए 10 प्रतिशत की राशि 6 लाख 30 हजार रुपए चेक के जरिए देना बताया गया है। मजेदार बात यह है कि बिल्डर द्वारा उक्त भूमि को भू अर्जन को राजस्व अभिलेखों से समाप्त, सीमांकन, नजूल एनओसी और डूब क्षेत्र से मुक्त कराने की संपूर्ण गारंटी ली गई है। इतना ही नहीं इस कार्यवाही का खर्च भी वही करेगा। इसके लिए किसानों को सदैव उपलब्ध रहने को कहा गया है। शर्त में किसानों से कहा गया है कि भूमि के डूब क्षेत्र से बाहर निकलने के पश्चात बगैर किसी टालमटोल के जमीन के नामांकन के एक माह के भीतर बिल्डर अथवा उसके बताए गए अन्य व्यक्ति के पक्ष में विक्रय पत्र संपादित करना होगा। इस मामले में जब मै. ओशियन बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक आकाश शर्मा को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया जबकि उनके साझेदार जयशंकर गौड बंटी ने कहा कि ठीक है मैं बात करता हूं।

भू माफियाओं का निराला खेल

सूत्रों ने बताया कि अलापुर क्षेत्र में किसानों द्वारा पूर्व में ही मुआवजा ले लिया है किंतु प्रशासन और और जल संसाधन विभाग की लेतलाली व मिली भगत से जमीन उनके नाम ही चढ़ी हुई है। बस इसी बात पर बिल्डर किसानो से इस तरह का अनुबंध कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। बाद में बिल्डर इस जमीन को अपने अथवा साझेदार के नाम कराने के बाद यहां कॉलोनी विकसित कर करोड़ों रुपए कमाएंगे, क्योंकि ओने पौने दामों पर खरीदी गई भूमि लगभग 4 हजार रुपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से बेची जाएगी। इसमें भूमाफिया खूब पनप रहे हैं।

इनका कहना

डूब क्षेत्र की भूमि का अनुबंध नहीं किया जा सकता। इसपर तो एनजीटी को भी आपत्ति रहेगी। यदि अलापुर क्षेत्र में ऐसा किया गया है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

सीबी प्रसाद

एसडीएम झांसी रोड

हम अलापुर बांध के डूब क्षेत्र में पानी भरने की सोच रहे हैं ऐसे में डूब क्षेत्र की जमीन का अनुबंध कैसे किया जा सकता है जिसने भी इस तरह का अनुबंध किया है हम कागजात दिखवाकर कार्रवाई करेंगे।

आरपी झा

मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग 

अलापुर बांध के आसपास की जमीनों का किसानों द्वारा मुआवजा लिया जा चुका है। लेकिन कुछ किसान बिल्डरों के झांसे में आकर इन जमीनों का अनुबंध कर रहे हैं। इस तरह खुर्द खुर्द की जा रही जमीनों के प्रति प्रशासन की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस तरह के अनुबंध की जांच कराना जरूरी है।

रामप्रकाश सिंह बघेल

भाजपा नेता

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