ग्वालियर में अब स्मार्ट सिटी लगाएगी स्वर्ण रेखा में जालियां, 10 करोड़ होंगे खर्च

Update: 2023-09-10 23:30 GMT

ग्वालियर,न.सं.। शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली स्वर्ण रेखा नदी के नाला बनने के बाद उसके जीर्णोद्धार के लिए पिछले तीन दशक से प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन भू माफियाओं निजी स्वार्थ और नेताओं और अधिकारियों की जुगलबंदी के कारण स्वर्णरेखा में आज भी सीवर का बदबूदार पानी बह रहा है। जबकि स्वर्णरेखा का कायाकल्प करने के नाम पर अभी तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन उसके बाद भी स्वर्णरेखा नदी का रूप धारण नहीं कर पाई है। इतना ही नहीं इस दौरान स्वर्ण रेखा में स्वच्छ पानी बहाने के नाम पर कई अधिकारी आए और चले गए। अब इस नाले में गंदगी को रोकने के लिए स्मार्ट सिटी द्वारा दिल्ली की तर्ज पर स्थायी जालियां लगाई जाएगी। ताकि इसमें कोई भी कचरा न फैंक सके। यहां बता दे कि स्वर्ण रेखा को लेकर उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को हिदायत दी थी कि स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी को रोका जाए।

पहले चरण में 1.65 करोड़ रुपए की लागत से कार्य कराने के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। इसमें लोहे के पिलर लगाकर आठ फीट ऊंची जालियां लगाई जाएंगी। इन सब कार्य के लिए 10 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

23 साल बीते फिर भी सपना नहीं हुआ पूरा

सात-आठ वर्ष पूर्व स्वर्ण रेखा नदी में हनुमान बांध से शर्मा फार्म तक 13 किमी के क्षेत्र में साफ पानी बहाने और नाव चलाने की कवायद हो चुकी है।

-नदी के सीमेंट कांक्रीटीकरण व दोनों और बाउंड्रीवाल के लिए वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 46 करोड़ की योजना मंजूर की गई। इसमें तानसेन नगर, कालू बाबा की बगिया, गायत्री नगर सहित अन्य 6 स्थानों पर पुल भी बनना थे।

-योजना में 5 करोड़ की राशि भू-अर्जन पर खर्च की गई। पहले चरण में योजना का काम अधूरा रह गया। उसे पूरा करने के लिए 2004-05 में वल्र्ड बैंक से 1900 करोड़ की वाटर री-चार्जिंग योजना के तहत 38 करोड़ की योजना मंजूर हुई।

-हनुमान बांध से हजीरा तक नाले किनारे ग्रीनरी और सडक़ बनाने का प्लान था, लेकिन तारागंज से ढोली बुआ का पुल, रामद्वारा, जीवाजीगंज, गेंडेवाली सडक़, भैंसमंडी, गुरुद्वारा तक सडक़ निर्माण हो सका।

-नदी से नाला बनी स्वर्ण रेखा में साफ पानी और बोट क्लब के रूप में पिकनिक स्पॉट तैयार करने का काम 2008 से शुरू हुआ और 2011 में खत्म हो गया। फिर भी सीवर का पानी नाले में आता रहा।

-इस प्रोजेक्ट के तहत आखिर 2014 में बारादरी से लक्ष्मीबाई प्रतिमा के पास बने पुल तक नाव(बोट) चलना शुरू हुई, लेकिन लगातार गंदे पानी के कारण उसे अगले ही साल बंद करना पड़ा।

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