एक हजार बिस्तर का सी ब्लॉक तैयार, फिर भी हादसे का इंतजार

असुरक्षित भवन में उपचार कराने को मजबूर मरीज, कभी भी ढह सकता है भवन

Update: 2022-04-21 05:41 GMT

ग्वालियर, न.सं.। अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य चिकित्सालय में उपचार के लिए पहुंच रहे मरीज इन दिनों सुरक्षित नहीं हैं। पॉटरीज की जमीन पर एक हजार बिस्तर के अस्पताल का सी ब्लॉक तैयार होने के बाद भी विभागों को सिफ्ट करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। जिसको लेकर शासन व प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल 22 वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जयारोग्य अस्पताल में बने पत्थर वाले भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है, भवन के असुरक्षित होने का प्रमाण भी अस्पताल प्रशासन को कई बार दिया जा चुका है। उसके बाद भी शासन स्तर पर इसकी अनदेखी की जा रही है। जबकि नए एक हजार बिस्तर के अस्पताल का सी ब्लॉक तैयार हो चुका है। उसके बाद भी यहां मरीजों को सिफ्ट नहीं किया जा रहा। अधिकारियों का कहना है कि शासन के निर्देश हैं कि एक हजार विस्तर के अस्पताल के तीनों ब्लॉक तैयार होने के बाद ही मरीजों को सिफ्ट किया जाएगा। ऐसे में शासन व प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं और अधिकारी भी किसी बड़े हादसे के इंतजार में हैं।

कोरोना के लिए तैयार किए थे 300 पलंग

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरार जब अस्पतालों में पलंग नहीं बचे थे तो तीसरी लहर से निपटने के लिए एक हजार विस्तर अस्पताल के सी ब्लॉक में 300 से अधिक मरीजों को भर्ती करने के लिए सारी व्यवस्थाएं जुटाई गईं थीं। लेकिन अब सी ब्लॉक में रखे पलंग व उपकरण धूल खा रहे हैं। जबकि सी ब्लॉक में मेडिसिन विभाग को सिफ्ट किया जा सकता है।

कई घट चुकी हैं घटनाएं

पत्थर वाले भवन में अलग अलग हिस्सों के दरकने और गिरने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। कुछ वर्ष पहले पत्थर वाले भवन में भर्ती मरीज पर पंखा गिरने की घटना सामने आई थी। जिसमें मरीज की जान जाते जाते बची थी, वहीं कुछ वर्ष पहले स्वास्थ्य मंत्री के भ्रमण के दौरान भी पत्थर गिरा था। इसके साथ एक बार इमारत के आगे की ओर का एक छज्जा टूट कर गिरा पड़ा था। इतना ही नहीं गत वर्ष भी चिकित्सक ड्यूटी रुम की छत्त गिरने की घटना सामने आई थी।

30 माह में पूरा होना था निर्माण

पॉटरीज की जमीन पर एक हजार विस्तर के अस्पताल का निर्माण कार्य तीन वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। उक्त अस्पताल को 30 माह में तैयार किया जाना था। लेकिन धीमी गति से किए जा रहे निर्माण कार्य के कारण अस्पताल अभी तक तैयार नहीं हो सकता है। इतना ही जनवरी माह तक निर्माण कार्य पूरा करने को लेकर प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने एजेंसी को निर्देश भी दिए थे। लेकिन उसके बाद भी निर्माण कार्य अभी तक अधूरा है।

इमारत पर लगाई चेतावनी की सूचना

लोक निर्माण विभाग द्वारा जर्जर हो चुके पत्थर वाले भवन पर जगह-जगह चेतावनी लग दी गई है। जिसमें विभाग ने लिखा है कि भवन के छज्जे, बॉलकनी, मुढ़ेर, कंगूरे जर्जर स्थिती में है, कृपया इरसे दूर रहे।

124 वर्ष से अधिक पुरानी है, इमारत

इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण सन 1898 में किया गया था। लोकनिर्माण विभाग का कहना है कि इमारत के निर्माण में स्थानीय चूना पत्थर का उपयोग किया गया था। इमारत में फंसे पत्थर भी अपनी जगह छोड़ चुके हैं। विभाग ने यह भी कहा है कि दीवारों में कोई ठोस चिनाई नहीं है, पत्थरों में 2 से 5 एम.एम. दरारें भी आ चुकी हैं। जिसके कारण इमारत कभी भी ढह सकती है।

अभी यह विभाग हो रहे संचालित

जर्जर हो चुके भवन में इन दिनों मेडिसिन, आर्थोपेडिक, सर्जरी, चर्मरोग विभाग संचालित हो रहे हैं। इन विभागों में 24 घंण्टे लगभग 200 से अधिक मरीज भर्ती रहते है, साथ ही चिकित्सकों सहित लगभग 20 से 30 स्वास्थ्य कर्मचारी भी ड्यूटी पर रहते है। लेकिन इस भवन में कब क्या घटना घट जाए, इसका अंदाजा लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट से ही लगाया जा रहा है, फिर भी शासन को न तो इन मरीजों की चिंता है, और न ही उन चिकित्सकों की जो अपनी जांच को खतरे में डाल कर मरीजों का उपचार कर रह है।

एजेंसी से अगस्त माह तक निर्माण कार्य पूरा कर अस्पताल को हेण्डओवर करने की बात कही है। सी ब्लॉक में मरीजों को सिफ्ट करने के लिए अभी शासन से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।

डॉ. समीर गुप्ता

अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय

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