विश्व धरोहर दिवस : गुजरी महल के संग्रहालय में हैं बेशकीमती धरोहर, कई भाषाओं में शिलालेख भी

Update: 2024-04-17 23:45 GMT

ग्वालियर।  ग्वालियर अपने इतिहास के लिए जाना जाता है, जहां एक तरफ इस शहर के कई ऐतिहासिक प्रमाण हैं, वहीं दूसरी ओर यहां ग्वालियर दुर्ग के तलहटी में बने गुजरी महल संग्रहालय में देश के विभिन्न शहरों से खुदाई के दौरान प्राप्त हुए अवशेषों को सहेज कर रखा गया है। ये अवशेष पहली शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक के बताए जाते हैं।

इतना ही नहीं ये अवशेष अपने तत्कालीन समय की वैभव और देश के गौरव को भी प्रदर्शित करते हैं। वर्तमान में संग्रहालय में बेहद प्राचीन धरोहर को संगठित कर रखा गया है। जिनका दीदार करने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में गुजरी महल संग्रहालय आते हैं। इन धरोहरों में विशेषकर प्रतिमाएं, प्राचीन मुद्राएं, चित्रकारी, वाद्य यंत्र और अस्त्र-शस्त्र प्रदर्शित हैं, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।

संग्रहालय में विशेष धरोहरें हैं

प्राचीन समय में तोमर कालीन राजा मानसिंह तोमर की रानी गुजरी का महल है और उन्हीं के नाम पर इस संग्रहालय का नाम भी रखा गया है। महल में सबसे मुख्य बात यह है कि इसके गर्भगृह में आज भी तत्कालीन समय की रानी की शर्त अनुसार राई नदी से पानी लाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन के अवशेष मौजूद हैं। इसके साथ ही गर्भगृह को संगीत कक्ष के रूप में बनाया गया है। जहां विभिन्न प्राचीन वाद्य यंत्र मौजूद हैं। जो अब देखने को नहीं मिलते हैं। इसके साथ ही वर्तमान में विदिशा के ग्यारसपुर से प्राप्त हुई शालभंजिका की प्रतिमा है, इसे विशेष सुरक्षा में रखा जाता है।

भगवान की मूर्तियां

इसके अलावा पहली शताब्दी से 18वीं शताब्दी के मध्य की प्रतिमाओं में भगवान गणेश, विष्णु, विभिन्न देवियां, नायिकाएं, बुद्ध, महावीर, कई प्रकार के लिंटन, गरुड़ चरण आदि शामिल हैं। ये सभी तत्कालीन समय की कला का बेजोड़ नमूना है। वर्तमान में इनकी कीमत का आकलन करना भी बेहद कठिन है।

प्राचीन शिलालेख भी मौजूद

संग्रहालय में वर्तमान में प्राचीन समय की विभिन्न लिपियों जैसे देवनागरी, ब्राह्मी, फारसी आदि भाषाओं के 50 से अधिक शिलालेख संग्रहित हैं। इसके अलावा विभिन्न कालखंडों में प्रचलित मुद्रा के सिक्के भी यहां सुरक्षित रखे हुए हैं।  

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