जानिए शिव को क्यों प्रिय है सावन महीना, ग्वालियर के ये शिव मंदिर हैं खास
ग्वालियर। भगवान शिव और माता पार्वती को प्रिय सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हो रहा है। ख़ास बात यह है की इस बार श्रवण मास का आरंभ और समापन दोनों ही सोमवार को हो रहा है । वैसे भगवान् शिव् की पूजा के लिए सोमवार का बहुत महत्व है लेकिन सावन महीने में सोमवार व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। सावन माह में सोमवार व्रत और शिव पूजा विशेष फलदायी माने जाते है। इस बार सावन माह की शुरुआत 6 जुलाई सोमवार,फिर अगला सोमवार 13 जुलाई,20 जुलाई,27 जुलाई व अंतिम सोमवार 3 अगस्त को है।
शिव को सावन इसलिए प्रिय-
स्कंद पुराण की कथा अनुसार सनत कुमार भगवान शिव से पूछते है कि आपको श्रावण मास क्यो पसंद है,तो भोलेनाथ ने बताया कि देवी सती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति के रूप में पाने का प्रण लिया था।पिता के खिलाफ होकर माता सती ने भगवान शिव से विवाह किया था। इसके बाद अपने पिता द्वारा शिव को अपमानित करने पर सती ने अपने हवन की अग्नि में जलकर अपने शरीर को त्याग दिया था। इस घटना के बाद सती ने राजा हिमालय और रानी मैनावती के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। इस जन्म में शिव से विवाह करनेे के लिए माता पार्वती ने श्रावण मास में निराहार रहते हुए कठोर व्रत कर भगवान शंकर को प्राप्त किया था। इसलिए तब से ही भगवान शिव को श्रावण मास पसंद है।
इस बार है पांच सोमवार-
भगवान भोलेनाथ का प्रिय श्रावण मास इस बार 6 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इसके बाद अगले सोमवार 13 जुलाई, 20 जुलाई, 27 जुलाई व अंतिम सोमवार 3 अगस्त को है।
शहर के शिव मंदिरों में उमड़ते है भक्त -
सावन के महीने में देश के बड़े मंदिरों के साथ शहर के शिव मंदिरों में भी भक्तों की बड़ी भीड़ उमड़ती है। सावन सोमवार में शिव भक्त भोले नाथ को बेल पत्र, फूल,दूध,दही,घी एवं जल आदि से अभिषेक करते हैं। सावन के पहले दिन से लेकर पूरे महीने शिव मंदिरों में रौनक बनी रहती है। लेकिन इस महीने में पड़ने वाले सोमवारों के लिए मंदिरों तैयारियां दो दिन पूर्व से ही शुरू हो जाती है।
शहर के प्रमुख शिवालय -
1. अचलेश्वर मंदिर -
शहर में इंदरगंज चौराहे के समीप अचलेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध मंदिर में विराजित शिवलिंग को अचलनाथ कहा जाता है। यहाँ स्थित शिवलिंग के प्राकट्य को लेकर अनेकों किवदंतियां हैं। रियासत काल में यह क्षेत्र अत्यंत वीरान था। उस समय राजमार्ग के बीच भगवान अचलनाथ का शिवलिंग एक कच्चे मिट्टी के चबूतरे पर स्थित था। तत्कालीन महाराज ने शिवलिंग को यहां से हटाने के लिए हाथियों द्वारा चेन से खींचने का प्रयास किया, लेकिन शिवलिंग नहीं निकला। इसके बाद जियाजी राव सिंधिया ने यहाँ एक मंदिर बनवाया। अब यह मंदिर विशाल आकार ले चुका है। वर्तमान में यहां मंदिर के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ विशेष व्यवस्था की गई है, जिसके तहत पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग लाइनें लगाई जाएंगी।
2. कोटेश्वर मंदिर -
शहर में उरवाई गेट रोड पर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण महाराज महादजी शिन्दे द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के विषय में कहा जाता है की यह शिवलिंग ग्वालियर किले पर स्थित शिवमंदिर में स्थापित था। जिसकी स्थापना तोमर वंश के प्रतापी शासक महाराज मानसिंह तोमर ने कराई थी। तोमर वंश के पतन के बाद किला मुगलों के अधीन हो गया था। औरंगजेब के शासन काल में इस देवस्थान को तोड़ कर शिवलिंग को किले से नीचे परकोटे की खाई में फेंक दिया गया। वर्तमान में मंदिर की देखरेख सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट द्वारा की जाती है। सावन सोमवार के साथ शिवरात्रि पर यहां मेला लगता है। जिसमें हजारों श्रद्धालु शिवदर्शन के लिए पहुंचते हैं।
3. गुप्तेश्वर मंदिर-
शहर के प्रवेश द्वारा पर स्थित गुप्तेश्वर पहाड़ी पर स्थित शिवालय गुप्तेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। रियासत काल में इस मंदिर का निर्माण शहर के प्रवेशद्वार पर किया गया था। यह मंदिर 500 फीट ऊंचाई पर बना है। मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए 84 सीढ़ियां चढ़ना पड़ती हैं। सावन में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए शहर से काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं।यह मंदिर करीब 300-400 साल पुराना है।सावन के महीने में इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते है। मान्यता है की सावन मास में सच्चे मन से यहाँ भक्त जो भी मन्नत मांगते है। वह अगले सावन तक पूरी हो जाती है।
4. हजारेश्वर मंदिर -
रामकुई जैन मंदिर गेंडे वाली सड़क स्थित हजारेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए ग्वालियर-चंबल से भक्त यहां आते हैं।महादेव की पिंडी की चौड़ाई अधिक होने के कारण इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मोटेश्वर महादेव के लिए कहा जाता है कि यहां सहस्त्र पिण्डियों का अभिषेक करने का फल मिलता है। कारण यह कि हजारेश्वर मंदिर की प्रतिमा 1101 ज्योतिर्लिंगों तथा 55 शिव के मुखों से मिलकर बनी है। हजारेश्वर महादेव का ये शिवलिंग देखने पर तांबिया रंग का लगता है, लेकिन वास्तव में ये पत्थर का शिवलिंग है।सावन के महीने में हजारों भक्त दर्शन करने इस मंदिर में आते है।
5. मार्कण्डेश्वर महादेव
फूलबाग के समीप स्थित मारकंडेश्वर महादेव मंदिर को लेकर किवदंती है की यहाँ सावन महीने में दर्शन करने से विशेष लाभ मिलता है। इस मंदिर का निर्माण करीब 300 साल पहले सिंधिया शासकों ने कराया था। इस मंदिर में भगवान् शिव के साथ ऋषि मार्कण्डेय एवं यमराज की भी पूजा होती है। यहाँ स्थित शिवलिंग से मारकंडे की लिपटी हुई प्रतिमा है जिसके ठीक सामने यमराज की मूर्ति स्थापित है।यह मंदिर ग्वालियर अंचल का इकलौता ऐसा मदिर है जहां शिव के साथ यमराज की भी पूजा होती है। मान्यता है की सावन के महीने में यहाँ शिव पूजनकरने से यमराज की कुदृष्टि नहीं पड़ती।