भोपाल l मध्य प्रदेश के उपचुनाव में जीत के लिए भाजपा पूरा दमखम लगा रही है। वहीं मंत्रियों, सांसदों और पूर्व मंत्रियों को भी हर एक सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जीत के लिए भाजपा का पूरा फोकस कम अंतर से जीतने वाली 6 सीटों पर है। जहां 2018 के चुनाव में 06 सीटें 10 हज़ार से भी कम वोटों से जीती जीती थी, इन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी वही है, जो 2018 में कांग्रेस से प्रत्याशी थे। 10 हज़ार से कम अंतर से जीतने वाली सीटों पर भाजपा जीत के लिए जोर लगा रही है। ताकि इन कमजोर सीटों पर अपनी ताकत मजबूत की जा सके।
मुंगावली, सांवेर, अंबाह, पोहरी अशोकनगर, सुवासरा सीटों पर भाजपा जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इन 6 सीटों पर साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कम अतंर से जीते थे। अब इन 06 सीटों पर सभी कांग्रेस प्रत्याशी दल बदल कर भाजपा से मैदान में उतरे हैं। ऐसे में भाजपा इन कमजोर कड़ी मानी जाने वाली सीटों पर जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है। इन 6 सीटों पर 4 प्रभारियों के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत भी अपनी नजर बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री भी रोजाना इन सीटों का फीडबैक ले रहे हैं।
सांसद, मंत्री और विधायकों को दी गई जिम्मेदारी
भाजपा ने कम अंतर वाली 6 सीटों पर जीत के लिए मजबूत प्लान तैयार किया है, जिसमें 19 मंत्रियों, 25 सांसदों और 95 विधायकों की टीम मैदान में मोर्चा संभाले हुए हैं। हर सीट पर चुनाव प्रभारी के साथ जिला अध्यक्ष और उनकी टीम भी जीत के लिए जोर आजमाइश में जुटी हुई हैै। सीट से लेकर बूथ और पन्ना प्रमुख तक 60 से 70 लोगों की टीम तैनात की गई है। हर पन्ना प्रमुख के पास 30 से 50 वोटरों का जिम्मा है। मतदाताओं को घरों से निकालकर मतदान केंद्रों तक लाने की जिम्मेदारी पन्ना प्रमुखों को सौंपी गई है। ताकि इन कमजोर कड़ी साबित होने वाली सीटों पर भाजपा अब बड़े अंतर से जीत हासिल कर सके।