दागियों की भरमार: कांग्रेस ने उतारे 50 प्रतिशत उम्मीदवार

Update: 2020-11-03 01:00 GMT

 भोपाल l मध्यप्रदेश की 28 सीटों में होने वाले उपचुनाव को लेकर भले ही सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को टिकट देकर प्रचार किया हो, लेकिन टिकट देने में पार्टियों के लिए सबसे महत्यपूर्ण होती है जीत, जिसके हिसाब से पार्टियां टिकट देती है। लेकिन जनता के लिए जरूरी होता प्रत्याशी उसका व्यवहार और आचरण। इसके अलावा सबसे ज्यादा जरूरी होता है, प्रत्याशी का पृष्ठभूमि, तो आइए जानते हैं, क्या है मध्य प्रदेश के प्रत्याशियों का आपराधिक रिकार्ड।

हाल ही में जिन 28 सीटों पर चुनाव हो रहे है उन सीटो में 18 फीसदी ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 11 फीसदी ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन पर गंभीर अपराध यानी हत्या, हत्या का प्रयास, रेप जैसे संगीन अपराध करने अथवा उनमें संलिप्त होने के मामले दर्ज हैं। एडीआर ने मध्यप्रदेश की 28 सीट पर होने वाले उपचुनाव में खड़े हुए राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का बायोडेटा निकाला है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता की मांग

आरटीआई कार्यकर्ता मनीष शर्मा ने मांग की है चुनाव आयोग को इस ओर ध्यान देना आवश्यक है कि जो प्रत्यासी जनता का बहूमूल्य वोट पाकर विधानसभा तक पहुंचते है, उनकी छवि दागदार तो नही है। क्योंकि अगर आपराधिक लोगों के जीतने पर अंदेशा रहता है कि कहीं उसने अपने बाहूबल का उपयोग करके तो चुनाव नहीं जीता है। मनीष शर्मा बताते हैं कि उपचुनाव में खड़े हुए 355 प्रत्याशियों में से 63 यानी 18 प्रतिशत नेता ऐसे है, जिनके खिलाफ कई गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं।

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टीयों में 40 से 50 प्रतिशत तक प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं, जिनके खिलाफ कई जघन्य अपराध दर्ज हैं। हालांकि इन प्रत्याशियों का अपने अपराध को छिपाने के लिए दावा होता है कि हमारा प्रकरण अभी न्यायालय में विचाराधीन हैं, और जब तक अपराध साबित नहीं हो जाता तब तक हमें अपराधी न माने। रिपोर्ट में सामने आया है कि हाल ही में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस के 50 प्रतिशत, तो भारतीय जनता पार्टी के 43 प्रतिशत ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामले- 365 में से 63 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज।

उम्मीदवारों के गंभीर आपराधिक मामले- उपचुनाव में खड़े 63 आपराधिक बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों में से 39 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर अपराध दर्ज हैं।

होता है बाहूबलियों का दबदबा

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अब चुनाव धनबल के बूते ही लड़ा जा रहा है। जनता की सेवा करने की अब कोई भी राजनीतिक दल को चिंता नहीं है, उनका यह एकमात्र उद्देश्य होता है सत्ता, जिसके लिए वो साम-दाम-दंड-भेद जितनी भी तरह की चीजें होती हैं, उसे आजमाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा, आज पार्षद जैसे छोटे चुनाव में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक आम आदमी जो अच्छी छवि का व्यक्ति है, वो राजनीति से दूर हो जाता है।

बता दें कि एडीआर वह संस्था है, जो कि चुनाव में होने वाले कई तरह के गड़बडिय़ां जैसे कि ईवीएम, प्रत्याशियों का अपराधिक रिकॉर्ड सहित कई मामलों में शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर चुकी है। हालांकि अभी तक किसी भी मामले में निर्णय सामने नहीं आया है। बहरहाल, देखना यह होगा कि आगामी तीन नवंबर को होने वाले मतदान में जनता इतने आपराधिक उम्मीदवारों में से किस को कितना समर्थन देते हैं।

उम्मीदवारों पर दर्ज आपराधिक मामले

एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस 50 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं भाजपा के 43 तो सपा, बसपा के 29-29 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि निर्दलीय मैदान में उतरे प्रत्याशियों में केवल 9 प्रतिशत उम्मीदवारों पर ही आपराधिक मामले दर्ज हैं।

दल कुल प्रत्याशी दागी उम्मीदवार प्रतिशत

भाजपा 28 12 43

कांग्रेस 28 14 50

बसपा 28 08 29

सपा 14 04 29

निर्दलीय 178 16

उम्मीदवारों पर दर्ज गंभीर अपराधिक मामले

एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर अपराधिक दर्ज मामलों के प्रत्याशियों की संख्या को लेकर यहां कांग्रेस के 6 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं बसपा के 3 और सपा के 4 और 13 निर्दलियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

दल कुल प्रत्याशी गंभीर मामले प्रतिशत

भाजपा 28 08 29

कांग्रेस 28 06 21

बसपा 28 03 11

सपा 14 04 29

निर्दलीय 178 13 07

Tags:    

Similar News