भोपाल। मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में धर्म, संस्कृति, संस्कार और आस्था के प्रतीक नारियल को लेकर राजनीतिक वार पलटवार का दौर तेज हो गया है। अर्थात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच नारियल को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है। कमलनाथ ने जब शिवराज पर जेब में नारियल लेकर घूमने और झूठे नारियल फोडऩे का आरोप लगाया, तो शिवराज ने पलटवार करते हुए कहा कि वह नारियल लेके चलते हैं, शैम्पेन की बोतल नहीं, नारियल हमारी संस्कृति और संस्कार है। शिवराज के जबाव पर अब फिर से कमलनाथ ने पलटवार किया है।
दरअसल, चुनावी सभा में कमलनाथ ने कहा था कि शिवराज सिंह चौहान पहले एक जेब में नारियल रखकर घूमते थे और अब दोनों जेबों में नारियल रखकर घूम रहे हैं, जहां मौका मिला वहां नारियल फोडक़र एक नई घोषणा करते हैं। इस पर अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि नारियल लेकर घूम रहा हूं कोई शैम्पेन की बोतल लेकर नहीं घूम रहा। कांग्रेस ने अपनी सरकार रहते तो विकास के काम कभी किये ही नही, हम कर रहे हैं, तो कह रहे हैं मुख्यमंत्री नारियल लेकर घूम रहा है। नारियल हमारा स्वभाव है, नारियल हमारा संस्कार है। नारियल हम भगवान को अर्पित करते हैं मेरी जनता ही मेरा भगवान है।
आरोप : 15 साल सिर्फ नारियल ही फोड़े
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान पर कमलनाथ ने फिर टिप्पणी की। उन्होंने ट्वीट कर कहा- शिवराज जी , आपने ठीक कहा कि नारियल पवित्रता का प्रतीक है, सेवा का प्रतीक है, इसका उपयोग हम पूजा में करते हैं, इसीलिए तो मैं कहता हूं कि आप झूठे चुनावी नारियल फोडक़र पवित्रता के प्रतीक इस नारियल का मजाक मत उड़ाइये, इसे गुमराह व भ्रमित करने वाली राजनीति का हिस्सा मत बनाइये। आप तो चुनाव को देखते हुए सिफऱ् झूठे भूमिपूजन और शिलान्यास के नारियल फोड़ रहे है, जैसे आपने पिछले 15 वर्ष फोड़े। जिन 13 हज़ार किलोमीटर की सडक़ों के लोकार्पण का आप जिक्र कर रहे हैं, जऱा प्रदेश की जनता को यह भी बता दीजिये, क्या यह सडक़े आपकी सरकार ने बनायी है, क्या इसकी शुरुआत आपने की थी ?
जनता के सामने शीश झुकाता रहूंगा
इससे पहले कमलनाथ ने शिवराज की मंच पर घुटनों के बल बैठने की फोटो शेयर करते निशाना साधा था। इस पर शिवराज ने कहा जनता हमारी भगवान है,अहंकार कांग्रेस को मुबारक हो। मंदसौर नीमच की जनता ने 2018 की चुनाव में भाजपा को एक तरफा जीत दी थी केवल 300 वोट से हारे थे बाकी सब जीते थे। मुझे लगा कि जनता का धन्यवाद शीश झुकाकर करना चाहि एक बार नहीं लाखों बार जनता को शीश झुकाता रहूंगा।