भाजपा और कांग्रेस में से किसे आसरा देगी सुवासरा

Update: 2020-10-14 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। मध्यप्रदेश में मार्च से शुरू हुए राजनीतिक दंगल का परिणाम अब 28 विधानसभा क्षेत्रों की जनता के हाथ में है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने पांसे फेंक दिए हैं, लेकिन हमेशा उपचुनाव से दूरी बनाए रखने वाली बहुजन समाज पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से मैदान में कूदकर कई सीटों पर चुनावी समर को त्रिकोणीय बना दिया है। जनता की अदालत में राजनैतिक दलों की पेशियां शुरू हो गई हैं, जिसमें बड़े-बड़े नेता अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। लोकतंत्र की खासियत इसी बात में है कि चुनाव के समय जनता ही जनार्दन होती है। ये उपचुनाव शिवराज और कमलनाथ का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे। जनता का निर्णय ही मध्यप्रदेश की राजनीति की तकदीर लिखेगा।

बात मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट की करें तो यहां 1962 से अब तक हुए चुनावों में दो बार जनसंघ, एक बार जनता पार्टी, पांच बार भाजपा और पांच बार ही कांग्रेस को जीत मिली है। यहां से 2018 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए हरदीप सिंह डंग द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में त्याग पत्र देकर भाजपा में शामिल हो जाने से पहली बार उपचुनाव हो रहा है और भाजपा ने हरदीप सिंह डंग को ही अपना प्रत्याशी घोषित किया है, जबकि कांग्रेस की ओर से राकेश पाटीदार उम्मीदवार हैं। इन दोनों के बीच ही कड़ी टक्कर होगी, लेकिन बसपा प्रत्याशी शंकरलाल चौहान जंग को त्रिकोणीय बना सकते हैं। सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों पर नजर डालें तो एक अनुमान के अनुसार यहां सवर्ण वर्ग 55 हजार, पिछड़ा वर्ग 65 हजार, अनुसूचित जाति वर्ग 70 हजार, जनजाति वर्ग पांच हजार और लगभग 25 हजार मुस्लिम मतदाता हैं, जो इस चुनाव में अपनी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

इस बार भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रहे हरदीप सिंह इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं, जबकि एक बार उन्हें पराजय का भी सामना करना पड़ा था। 2008 में हरदीप सिंह को भाजपा के राधेश्याम पाटीदार ने 6849 मतों से पराजित किया था। राधेश्याम पाटीदार को 66753 और हरदीप सिंह को 59904 मत मिले थे, जिबकि 2013 में हरदीप सिंह ने भाजपा के राधेश्याम पाटीदार को 7125 मतों से पराजित कर 2008 का बदला ले लिया था। इस चुनाव में हरदीप सिंह को 87517 और राधेश्याम पाटीदार को 83392 मत मिले थे, जबकि 2018 में हरदीप सिंह मात्र 350 मतों से चुनाव जीत पाए थे। हरदीप सिंह को 93169 और राधेश्याम पाटीदार को 92719 मत मिले थे। इससे पहले 2003 के चुनाव में भाजपा के जगदीश देवड़ा ने 74240 मत प्राप्त कर कांग्रेस की पुष्पा देवी भारतीय को पराजित किया था। पुष्पा देवी भारतीय को 38604 मत मिले थे।

ससुर-बहू और पिता-पुत्र रहे विधायक

मंदसौर जिले का सुवासरा एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां से ससुर-बहू और पिता-पुत्र विधायक चुने गए और ये चारों ही पूर्व विधायक वर्तमान राजनीति में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। परिसीमन से पहले कांगे्रस नेता रामगोपाल भारतीय 1972 में इस सीट से विधायक चुने गए। उनकी पुत्र वधु पुष्पा भारतीय 1998 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और वे भाजपा के जगदीश देवड़ा को पराजित कर विधायक बनीं, लेकिन 2003 में पुष्पादेवी को भाजपा के जगदीश देवड़ा के सामने पराजय का सामना करना पड़ा। वर्ष 2008 से पहले सीतामऊ और सुवासरा दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र थे, तब भाजपा नेता मन्नालाल पाटीदार सीतामऊ सीट से तीन बार विधायक चुने गए। 2008 में हुए परिसीमन के बाद सीतामऊ को सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में मिला दिया गया और इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक मन्नालाल पाटीदार के पुत्र राधेश्याम पाटीदार को अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस के हरजीत सिंह डंग को 6849 मतों से पराजित किया। ये चारों ही पूर्व विधायक उपचुनाव में अपनी-अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक रामगोपाल भारतीय 92 साल की उम्र में भी अपने घर पर रहते हुए ही पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने का काम कर रहे हैं तो उनकी पुत्र वधु पूर्व विधायक पुष्पा भारतीय गांव-गांव पहुंचकर पार्टी का प्रचार कर रही हैं। इसी प्रकार अपने जीवन के 90 बसंत पूर्ण कर चुके भाजपा के पूर्व विधायक मन्नालाल पाटीदार अपने घर से पार्टी कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन दे रहे हैं, जबकि उनके पुत्र पूर्व विधायक राधेश्याम पाटीदार को भाजपा ने उपचुनाव संचालक का दायित्व सौंपा है।

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