विक्रमोत्सव 2025: दिल्ली में आकर्षण का केन्द्र बना मध्यप्रदेश का भील आर्ट...

दीपक उपाध्याय, नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला स्थित माधवदास पार्क में चल रहे सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य के दौरान लगी प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश की भील कला सभी को आकर्षित कर रही है। मध्यप्रदेश पर्यटन द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में भील आर्ट की नाटक देखने आ रहे दर्शक काफी तारीफ कर रहे हैं।
यह भील आर्ट कागजों की लुगदी बनाकर फिर उसे किसी मुखौटे या किसी अन्य रूप में तैयार किया जाता है और उसके बाद इस पर भील कला उकेरी जाती है।
इस आर्ट को यहां प्रदर्शित करने भोपाल से दिल्ली पहुंचीं सीमा ने बताया कि भील कलाकार माननीय भूरी बाई ने हमारी इस कला को देश विदेश में एक पहचान दिलाई थी। अब सरकार भी हमारी मदद कर रही है। हम लोगों को यहां भी मध्यप्रदेश सरकार ही लेकर आई है।
हमारे साथ काफी संख्या में कलाकार जुड़े हुए हैं, जोकि इस तरह की कला विभिन्न तरीकों से बनाते हैं। स्टॉल पर खरीदार करने आईं स्नेहा ने बताया कि यह हम लोगों के लिए एक नए तरीके का मुखौटा है। दरअसल, यहां कागज की लुगदी से बने कई तरह के मुखौटे थे, जिनपर भील आर्ट बनी हुई थी।
इन मुखौटों को लेकर लोगों में काफी उत्साह था। घर में शो पीस की तरह लगने वाले यह मुखौटे अपनी अलग तरह की पैंंटिंग को लेकर यहां काफी देखी और खरीदी जा रही है।
राजधानी दिल्ली के सबसे भीड़भाड़ और ऐतिहासिक स्थान चल रहे विक्रमोत्सव को देखने आने वाले सभी लोग सबसे पहले प्रदर्शनी वाले कॉरिडोर से ही आगे गुजरते हैं। ऐसे में इस भील आर्ट की ओर सबका ध्यान बरबस ही खींचा चला जाता है।
विभिन्न तरह की कला को लेकर उत्साहित रहने वाले अरविंद गुप्ता ने बताया कि बड़ी-बड़ी आर्ट गैलरियों में तो आप जो कला देखते हैं, उसमें और इस तरह की सामाजिक कला में बहुत अंतर होता है। यह कला एक तरह समाज के भीतर से जन्म लेती है और पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला से जुड़ी रहती हंै। यह भील आर्ट मध्यप्रदेश के झाबुआ इलाके के आदिवासियों की विशेष पहचान है।