Waqf Amendment Bill: दुनिया में सबसे अधिक वक्फ भूमि भारत में...जानिए मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में क्या - क्या कहा

Waqf Amendment Bill
Waqf Amendment Bill : नई दिल्ली। मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया। लगभग 1 घंटे के लंबे भाषण में मंत्री किरेन रिजिजू ने न केवल वक्फ बिल को लाने के पीछे की सरकार की मंशा बताई बल्कि उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा। जानिए किरेन रिजिजू ने क्या - क्या कहा।
किसी की बात कोई बद-गुमा ना समझेगा। जमीन का दर्द कभी आसमान नहीं समझेगा...यह कहते हुए किरेन रिजिजू ने अपनी बात की शुरुआत की।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा - आज तक किसी बिल पर इतनी व्यापक चर्चा नहीं हुई। 97,27,722 याचिका ऑनलइन, फिजिकल और मेमोरेंडम के रूप में आई थी। सरकार द्वारा इन सभी पर ध्यान दिया गया है। 284 डेलिगेशन ने कमेटी के सामने अपनी बात रखी है। 25 स्टेट और UT ने भी संशोधन प्रस्ताव दिए हैं। इसके आलावा विद्वानों ने भी संशोधन दिए हैं।
जमीन के मैनेजमेंट का मुद्दा :
यह वक्फ बिल धार्मिक भावना नहीं बल्कि जमीन के मैनेजमेंट का मुद्दा है। क्या आपको (विपक्ष) इतनी सी बात समझ नहीं आती। तीन केस का जिक्र करते हुए किरण रिजिजू ने अदालत के फैसले बताए : केरला हाई कोर्ट ने एक फैसले में बताया कि, वक्फ बिल कानूनी बॉडी है यह मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता। एक अलग केस में कहा गया कि, मुतवल्ली एक सेकुलर कैरेक्टर है। इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं। एक और अन्य केस में यह बताया गया कि, मंदिर की प्रॉपर्टी को मैनेज करना भी धार्मिक गतिविधि नहीं है। यह तीनों बातें अलग - अलग केस में अदालत ने कही है।
दुनिया की सबसे ज्यादा वक्फ प्रॉपर्टी भारत में :
लैंड बैंक पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा - यह बोला जाता है कि, रेलवे और डिफेंस के बाद वक्फ के बाद सबसे अधिक प्रॉपर्टी है। रेलवे और डिफेंस की प्रॉपर्टी तो देश की है। यह किसी की निजी भूमि नहीं है। दुनिया की सबसे ज्यादा वक्फ प्रॉपर्टी भारत में है। अगर इतनी प्रॉपर्टी है वक्फ के पास तो क्यों आज तक मुसलमान वंचित है। सदियों तक यह याद रखा जाएगा कि, कौन इस बिल का समर्थन कर रहा है। हमारे देश में अब वोट बैंक की राजनीति नहीं होगी। गरीब मुसलमानों के लिए हमें सोचना होगा।
नए एक्ट का नाम उम्मीद :
जब कमेटी बनती है तो खुलकर बहस होती है। कुछ सुझाव बहुत अच्छे थे जिन्हें हमने माना है। नया संवेरा आने वाला है। नए एक्ट का नाम उम्मीद (यूनिफाइड एक्ट ऑफ एम्पावरमेंट एंड वक्फ मैनेजमेंट) है।
हमने सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस और ट्रैकिंग, निगरानी समेत डिजिटल पोर्टल की व्यवस्था की है। आखिर में इसके ऑडिट के लिए जिम्मेदारी राज्य सरकार करेगी। राज्य सरकार को हम फुल अथॉरिटी देते हैं। जो भी वक्फ प्रॉपर्टी बनेगी उसकी निगरानी केंद्र करेगा।
कानून किसी की जमीन छीनने का नहीं :
वक्फ की डेफिनेशन में बदलाव का उद्देश्य यह है कि, अभी हम किसी धर्म या किसी जाति के चलते सांसद नहीं बने हैं। अगर कोई ट्रस्ट है तो चैरिटी कमिश्नर गवर्नेंस का काम देखता है। वक्फ बोर्ड के मामले में गैर मुस्लिम लोगों को शामिल किए जाने का मसला गवर्नेंस का है धर्म का नहीं। कहा जा रहा है कि, हम दरगाह, मस्जिद छीन लेंगे। हम किसी न किसी भाग से आते हैं लेकिन हम सब भारतीय हैं। यह कानून किसी की जमीन छीनने का नहीं है। यह कानून रेट्रोस्पेक्टिव (पिछली तारीख से लागू होना) नहीं है बल्कि आगामी तारीख से लागू होने वाला है। CAA को लेकर भी यही बातें कहीं गई थी।
आदिवासी क्षेत्र में नहीं बनेगी वक्फ संपत्ति :
आदिवासियों के संरक्षण को देखते हुए शेड्यूल 5 और 6 में वक्फ प्रॉपर्टी को क्रिएट नहीं किया जाएगा। वक्फ ट्रिब्यूनल में 3 मेंबर होंगे। इनका टेन्योर 6 महीने का होगा। वक्फ ट्रिब्यूनल के आर्डर से अगर कोई खुश नहीं है तो वह अदालत जा सकता है। मुतवल्ली के कंट्रीब्यूशन को घटाकर 7 से 5 प्रतिशत कर दिया है। लिमिटेशन जो पहले इससे हटा दिया गया था उसे भी अब शामिल किया गया है। सेक्शन 40 के तहत वक्फ किसी भी जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी बना देते थे। इसे अब हटा दिया गया है। यह सबसे खतरनाक प्रावधान था। देश की क्रिश्चन कम्युनिटी भी इसलिए वक्फ का समर्थन कर रहा है क्योंकि वे जानते हैं इसका कितना दुरूपयोग किया गया।
1995 के प्रावधान को फिर से लागू कर दिया :
इस विधेयक में कुछ विसंगतियां थीं, इसलिए इसमें संशोधन करना ज़रूरी था। मैंने पहले भी कहा था कि कोई भी भारतीय वक्फ बना सकता है लेकिन 1995 में ऐसा नहीं था। 2013 में आपने बदलाव किए और अब हमने 1995 के प्रावधान को फिर से लागू कर दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि सिर्फ़ वही व्यक्ति वक़्फ़ बना सकता है जिसने कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन किया हो।
UPA ने 123 संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया :
2012-2013 में किए गए काम के बारे में मैं यह बताना चाहता हूँ कि साल 2013 में चुनाव नजदीक आ रहे थे और आचार संहिता लागू होने वाली थी। अप्रैल-मई 2014 में चुनाव हुए। 5 मार्च 2014 को यूपीए सरकार ने आवास और शहरी विकास मंत्रालय के तहत 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया। क्या जरूरत थी? चुनाव से पहले बस कुछ दिन बचे थे। क्या आप इंतजार नहीं कर सकते थे? आपको लगा कि इससे आपको चुनाव जीतने में मदद मिलेगी लेकिन आप चुनाव हार गए, तो क्या फायदा हुआ? ऐसी हरकतों से वोट नहीं मिलते।"
किरेन रिजिजू ने अंत में कहा - "मेरी हिम्मत को तो सराहो, मेरे हमराही बनो मैंने एक शमा जलाई है हवाओं के खिलाफ...मुझे यह बिल पेश करने का मौका मिला बड़ा पुण्य का काम है। मैं चाहता हूँ आप (विपक्ष) भी इस पुण्य के भागीदारी बनें।"