शिक्षा विभाग में प्रमोशन का खेल: घर से 30 किलोमीटर में पोस्टिंग 5 लाख में! सचिव ने जारी किए सख्त निर्देश
रायपुर। शिक्षा विभाग में वरिष्ठ लेक्चरर्स और प्रधान पाठकों के प्रमोशन और पोस्टिंग लेन- देन का खेल शुरू हो गया है। दलालों ने इसके लिए रेट तय कर जरूरतमंदों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। गृह नगर के करीब 25 से 30 किलोमीटर रेंज के लिए पांच लाख रुपए, जबकि 30 से 50 किलोमीटर रेंज के लिए 3 लाख रुपए की राशि तय की गई है। इस तरह की शिकायतें स्कूल शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों तक पहुंची है।
इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव, सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी हाल में पोस्टिंग में कोई भी गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि काउंसलिंग प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और निष्कलंक बनाया जाए ताकि किसी को भी गड़बड़ी का मौका न मिले। डीपीआई के अधिकारियों से कहा गया है कि स्कूलों में प्राचार्यों के पदों की स्थिति में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार, कुछ ज्वाइंट डायरेक्टर स्कूलों की वास्तविक संख्या छुपाते हैं, जिसके बाद बड़े पैमाने पर लेन-देन के जरिए पोस्टिंग की जाती है। विभाग ने ध्यान दिया है कि डीपीआई से जुड़े कुछ दलाल, जिनमें कुछ शिक्षक नेता भी शामिल हैं, पहले से ही प्रमोशन के आदेश निकलने से पहले सेटिंग में जुट गए हैं।
पांचों ज्वाइंट डायरेक्टरों से मांगी पदों की स्थिति
गड़बड़ी के मद्देनजर डीपीआई के डिप्टी डायरेक्टर ने राज्य के सभी पांचों ज्वाइंट डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन को पत्र लिखकर प्राचार्यों के पदों की स्थिति की जानकारी मांगी है। पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि पदों की संख्या में कोई बदलाव हुआ, तो जेडी को खुद इसका जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस बार स्कूल शिक्षा विभाग का मुख्य उद्देश्य यह है कि दलालों को अपना खेल खेलने का कोई मौका न मिले।
ऑनलाइन काउंसलिंग की तैयारी
पोस्टिंग विवादों से बचने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ऑनलाइन काउंसलिंग की योजना बना रहा है। विभाग इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है और जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन काउंसलिंग में भी गड़बड़ी हो सकती है। काउंसलिंग से पहले स्कूलों की जानकारी साझा करने में खेल हो सकता है, जिससे विभाग के अधिकारी जानबूझकर कुछ स्कूलों की जानकारी छुपा लेते हैं।
हाईकोर्ट पहुंचा मामला
छत्तीसगढ़ में प्राचार्य प्रमोशन का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस बार मांग की जा रही है कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए बीएड डिग्री को अनिवार्य किया जाए। इसके लिए एक याचिका दायर की गई है, जिसमें बीएड डिग्री की आवश्यकता को लेकर विवाद उठाया गया है।
बीएड पर बवाल
इससे पहले, राज्य सरकार ने बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवारों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया था, लेकिन डीएलएड डिप्लोमा धारकों ने इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति को अवैधानिक करार दिया और उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया। इसके बाद बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया, जिसके खिलाफ वे अब आंदोलनरत हैं।