राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक लक्ष्मीनारायण भाला उपाख्य लक्खी दा

लेखक - अजय नागर;

Update: 2025-01-19 10:01 GMT

फोटो - लक्ष्मीनारायण भाला उपाख्य लक्खी दा

आज आपको एक ऐसे व्यक्तित्व से परिचय करवाते है जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। आज भी आयु के आठवें दशक में वे राष्ट्र सेवा में लगे हुए है। इनको देखकर कोई भी नही कहेगा कि, आयु का प्रभाव चेहरे पर झलक रहा है। इन्होंने संविधान में चित्रित चित्रों के ऊपर एक बहुत ही सुंदर पुस्तक का लेखन कार्य किया है। जिसने लेखक के नाते इनकी पहचान को गरिमा प्रदान की है। इस पुस्तक का नाम है। *हमारा संविधान भाव एवं रेखांकन*। इस पुस्तक का प्रकाशन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली ने किया है। इस व्यक्तित्व का नाम है लक्ष्मीनारायण भाला। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव जीवन के कल्याण हेतु राष्ट्र को समर्पित कर दिया।

लक्ष्मीनारायण भाला जी का जन्म महाराष्ट्र के एक गांव चिखली में हुआ था। चिखली जिला बुलढाणा में एक तहसील केंद्र है।राजस्थान से महाराष्ट्र में जाकर चिखली निवासी बने बंसीलाल श्रीराम भाला जी के घर इनका जन्म हुआ। जन्म तिथि संवत 2001की माघ शुक्ल अष्टमी तदनुसार 21 जनवरी 1945 थी। आपकी माताजी का नाम श्रीमती मनीबाई भाला। आपकी प्राथमिक शिक्षा और बालपन चिखली में ही व्यतीत हुआ। बालपन में ही आप शाखा जाने लगे, संघ से जुड़ गए।

लेखक - अजय नागर

आपने अपनी शिक्षा नागपुर विश्वविद्यालय से पूर्ण की। नागपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य विषय मे स्नातक उपाधि प्राप्त करने के साथ ही वर्धा से हिंदी विशारद और चित्रकला में प्रमाण पत्र प्राप्त किया। आपकी गणित में भी रुचि है। आज भी आप से मिलने वाले विद्यार्थियों को गणित की पहेलियां देकर खेल-खेल में गणित के प्रति उनकी रुचि बढ़ाने का प्रयास आप करते रहते हैं।

आप विद्यार्थी अवस्था में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बुलढाणा के जिला प्रमुख रहे। 6 महीने तक शेगांव, खामगांव में संघ के विद्यार्थी विस्तारक के नाते कार्य किया। जुलाई 1968 को राष्ट्र सेवा हेतु निकल पड़े और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक बन गए। आपने प्रचारक रहते हुए सर्वप्रथम बंगाल के मालदा नगर, सिलिगुडी, दार्जिलिंग व सिक्किम में 7 वर्षो तक शाखा कार्य का विस्तार किया। आपातकाल में भी आप सेवा कार्य मे पीछे नही रहे। आपातकाल के समय पश्चिम बंगाल में *"अनिमेष गुप्त"* इस छद्मनाम से वंदे मातरम् शत वर्ष पूर्ति उत्सव समिति का कार्य किया। सन 1976 से 1985 तक पूर्वोत्तर तथा उत्तर क्षेत्र में विद्यार्थी परिषद के क्षेत्रीय संगठन मन्त्री के रूप में कार्य को आगे बढ़ाया। असम तथा ओडिसा के छात्र आन्दोलनों में सहभागिता की। भारत मेरा घर तथा अंतर्राज्य छात्र जीवन दर्शन के आयोजनों में भी सहभागिता की।

आपको सन 1986 के जनवरी मध्य से मार्च मध्य के बीच दो महीने नागपुर में रहकर एक विशेष प्रकल्प का कार्य सौंपा गया। जिसके तहत कुछ वर्ष संघ प्रचारक के नाते कार्यरत रहने के बाद किसी भी कारण से जो प्रचारक जीवन से लौटकर नागपुर में आकर बस गए है, ऐसे कार्यकर्ताओं की जानकारी संकलित करने का कार्य था। यह कार्य केवल 50 दिनों में 105 लोगों को खोज कर तथा उनकी विस्तृत जानकारी संकलित कर आपने सम्पन्न किया। इसके बाद किसी भी क्षेत्र में कार्य करने को तत्पर रहे। परिणामत: आपको 1986 से 2011 तक असम प्रान्त के संगठन मंत्री से प्रारंभ कर विद्या भारती के राष्ट्रीय सहमन्त्री तक विभिन्न दायित्वो का निर्वहन करने का दायित्व मिलता रहा। कार्य के प्रति आपके समर्पण को देखते हुए आपको सुदूर मॉरीशस में शिशु शिक्षा केंद्र की स्थापना करने हेतु भेज दिया गया। फिर 2011 में मॉरीशस से लौटकर हिंदुस्थान समाचार के केन्द्रीय सह प्रभारी का दायित्व देकर दिल्ली बुला लिया गया। हिन्दुस्थान समाचार के उद्धारक श्रीकांत जोशी जी के असामयिक निधन के सदमे से संगठन को उबार कर आपने अन्तिम दो वर्ष, 2015 तक राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व निभाया। आपके इस कार्यकाल में हिंदुस्थान समाचार स्वयं वित्तपोषी संस्था बनकर अपने पैरों पर चल पाने की स्थिति में आ गयी थी। इसी कालखंड में पूरे भारतवर्ष में हिंदुस्थान समाचार के 16 भाषाओं के जगह-जगह कार्यालय खुले। लगभग 300 पत्र-पत्रिकाओं ने हिन्दुस्थान समाचार से समाचार लेकर ग्राहकता स्वीकार की। नये पत्रकारों को स्थान-स्थान पर नियुक्त किया गया। बहु भाषा संवाद एजेंसी के रूप में हिंदुस्थान समाचार की प्रभावी पुनर्स्थापना हुई। *तत्पश्चात 2016 में संघ ने आपको एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेवारी सौपी। संघ की गीता कहे जाने वाली कृति रूप संघ दर्शन का अद्यतन तथ्यों के साथ पुनर्लेखन का कार्य आपके जिम्मे दिया गया। इस समय आपका केंद्र भोपाल एवं नागपुर रहा। आपने 2018 तक कृतिरूप संघ दर्शन पुस्तक माला के 6 खण्डों का लेखन व प्रकाशन का कार्य पूर्ण किया।*

कार्य के प्रति आपके समर्पण को देखते हुए अगस्त 2018 में आपको एक और बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौपी गई। तदनुसार अगस्त 2018 से मार्च 22 तक आपने हिन्दू आध्यात्मिक सेवा मेलों के आयोजन का दायित्व निर्वहन किया। इस दौरान आपने भारतभर में भ्रमण करते हुए साधु-संतो के द्वारा मठों के माध्यम से हो रहे सेवा कार्यों को प्रसिद्धि देने का काम किया। मेलों का आयोजन और उसके प्रयोजन के विषय में लेखन, इन दोनों मोर्चों पर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए आपने चार वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया। निर्धारित दायित्व के अंग के नाते लक्खीदा को सन 2008 से 21 के बीच स्वदेशी जागरण मंच, संघ का सेवा विभाग तथा संघ की प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव टोली के सदस्य के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता रहा। इसी अनुभव के सहारे 2021 के बाद से आप संघानुकूल विविध प्रकल्पों के संरक्षक तथा मार्गदर्शक के नाते सक्रिय बने हुए है। आपका वर्तमान में केंद्र दिल्ली है।

आपकी रुचि लेखन, काव्य रचना, जन संपर्क एवं जन सहयोग में निरंतर बनी हुई है। भाषा एवं गणितीय पहेलियाँ खोजना आपका स्वभाव बन गया है। साहित्य सृजन में भी विशेष रूचि है। आपने अपनी साहित्य साधना को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलीराम हेडगवार के जीवनी पर "केशव शतक स्वरांजली" सहित तीन काव्य संग्रह लिखे। हमारा संविधान: भाव एवं रेखांकन के लेखन के पश्चात संविधान से संबंधित एक और पुस्तक संविधान की जन्मकथा लिखी। इससे पूर्व शिक्षा पर भी शिक्षा पंचामृत नामक पुस्तक लिखी थी। इसके साथ ही 11 गद्य पुस्तके, दशाधिक पुस्तकों की प्रस्तावना, समीक्षा, शताधिक लेख व कविताएं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। आपने दूरदर्शन में प्रसारित धारावाहिक महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव का शीर्षक गीत एवं कथानक भी लिखा है। कुछ विश्वविद्यालयों के कुलगीत, कुछ संस्थानों के शीर्ष गीत, कुछ संगठनों के समूह गीत लिख कर आपने उनकी आवश्यकता की पूर्ति की है।

वर्तमान में भी विविध विषयों पर आपका लेखन कार्य जारी है। आपकी दो काव्य रचनाओं पर नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत की गई है। डॉ हेडगेवार के जीवन पर आधारित केशव-कल्प तथा असम के महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के जीवन पर आधारित शंकरदेव चरित नृत्य नाटिका। आपको भारत की बहुत सी भाषाओं का भी ज्ञान है। आप भाषाओं के धनी है। मारवाड़ी, मराठी, हिंदी, असमिया, गुजराती, बंगाली, नेपाली, अंग्रेजी, संस्कृत और ओड़िया आदि भाषाएं आपको आती है।

आप अनेक संस्थाओ द्वारा सम्मानित हो चुके है। जिनमे नेपाली सांस्कृतिक परिषद द्वारा *भानु भक्त नेपाली गोरखा मित्र तथा समरसता पुरस्कार 2019* अध्ययन एवं अनुसंधान पीठ, भारत द्वारा *शिक्षा विभूषण 2020* तथा कोलकाता के विचार मंच द्वारा *आचार्य विष्णुकांत शास्त्री प्रतिभा सम्मान 2021,* रचनाकार द्वारा *दिनकर साहित्य शिरोमणि सम्मान 2024* सम्मान आपको प्राप्त हो चुके है।

आपने प्रचारक के नाते भारत के सभी प्रदेशों का प्रवास किया है। कई प्रदेशों का सघन प्रवास भी किया है। इसके साथ ही विदेशो में भी यात्राएं की है। जिनमे भूटान, मॉरीशस, दुबई, इंग्लैंड, नेपाल, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अमेरिका और फिजी की यात्राएं प्रमुख रही है।

वर्तमान में भी आप अपनी लेखन कला को आगे बढ़ा रहे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, भारत का संविधान, संगठन शास्त्र तथा समसामयिक विषयों पर विमर्श हेतु यायावरी करने वाले लक्खीदा ने अपने आपको *"व्यस्त रहो और मस्त रहो"* के मंत्र के अनुसार ढाल लिया है। आप अभी हिन्दुस्थान समाचार, राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास दिल्ली-मुंबई, रामायण रिसर्च काउंसिल दिल्ली-सीतामढ़ी तथा नाशिक से संचालित एक शैक्षिक अभियान मेरा समर्थ भारत के ट्रस्टी के रूप में सक्रिय सहयोग कर रहे है।

दिल्ली निवासी 92 वर्षीय साहित्यकार श्री भारत भूषण चड्डा द्वारा विगत 60 वर्षों से संपादक तथा प्रकाशक का संयुक्त दायित्व निभाने का विश्व किर्तिमान स्थापित करने जा रही मासिक पत्रिका जाह्नवी के तथा केवल 10 वर्ष में हिंदी को वैश्विक पहचान दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली डॉ अमित जैन द्वारा संपादित पाक्षिक पत्रिका चाणक्य वार्ता के संरक्षक के नाते भी आप सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय दिव्य परिवार सोसायटी द्वारा गुरुग्राम में निर्माणाधीन प्रकल्प भारत अन्तरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के पालक एवं संरक्षक के नाते भी आप मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही भारतीय संस्कृति की प्रगति के लिए समर्पित वृहद भारतीय प्रगति संस्थान को अध्यक्ष के रूप में मार्गदर्शन कर रहे हैं। हिन्दी साहित्य भारती की वैश्विक केन्द्रीय टोली के सदस्य के नाते और पत्रकारिता की ई-मिडिया में बहु-भाषी समाचार प्रसारण करने वाले न्यूज एशिया संस्थान के मार्गदर्शक के नाते भी आप सक्रिय हैं। निर्धारित दायित्व के साथ सामंजस्य रखते हुए समाज सेवा में कार्यरत रहने वाले समाज सेवी स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे विविध प्रयोगों को प्रोत्साहन देने का संकल्प ही मानों आपके आचरण से झलकता है। व्यस्तता पूर्ण इस वर्तमान में भी विविध विषयों पर आपका लेखन कार्य भी जारी है। इस जन्म दिन के अवसर पर लोकार्पित की जाने वाली रचना संगठन शास्त्र चालीसा अपने आप में एक नया प्रयोग है। प्रयोग धर्मी व्यक्तित्व के धनी लक्ष्मीनारायण भाला उपाख्य लक्खीदा को ईश्वर स्वस्थ दीर्घायु प्रदान करें। इसी प्रार्थना के साथ अपनी कलम को विराम देता हूं।

स्वस्ति!

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