स्वामी राघव देवाचार्य को सिर तन से जुदा करने की धमकी: हिन्दू संगठन ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

Update: 2025-04-14 05:45 GMT
हिन्दू संगठन ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
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Swami Raghav Devacharya Death Threat : मध्य प्रदेश। दिगंबर अखाड़े के जगदगुरु स्वामी राघव देवाचार्य को सिर तन से जुदा करने की धमकी मिली है। स्वामी राघव देवाचार्य ने इस धमकी की शिकायत मदनमहल पुलिस थाने में की है। राघव देवाचार्य ने पुलिस प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

 पुलिस लापरवाही बरत रही 

इस धमकी के संबंध में स्वामी राघव देवाचार्य ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की अपील की। स्वामी राघव देवाचार्य ने कहा कि, पुलिस को नामजद शिकायत दी थी, लेकिन मामले को अज्ञात में दर्ज कर लिया। पुलिस लापरवाही बरत रही है और आरोपियों की गिरफ्तारी में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

यहां से शुरू हुआ विवाद

रिपोर्ट्स के मुताबिक, विवाद की शुरुआत 8 अप्रैल को हुई थी। दरअसल, हनुमान ताल निवासी अब्दुल मजीद नाम के शख्स ने सोशल मीडिया पर बूढ़ी माता के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की। इसके बाद 9 अप्रैल को साधु-संतों के नेतृत्व में हनुमान ताल थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया।

स्वामी राघव देवाचार्य ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि अगर किसी ने हमारे धर्म और भगवान के खिलाफ अपशब्द कहे, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद पुलिस ने 11 अप्रैल को अब्दुल मजीद को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ एनएसए की कार्रवाई शुरू की।

विरोध जताने के बाद 13 अप्रैल को स्वामी राघव देवाचार्य को सिर तन से जुदा कर जान से मारने की धमकी दी गई। देवाचार्य का कहना है कि यह धमकियां उन्हें तब मिलीं, जब उन्होंने हिंदू धर्म और भगवान के खिलाफ की गई टिप्पणियों का विरोध किया। स्वामी राघव देवाचार्य को मिली धमकियों पर हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। इसके साथ ही 24 घंटे के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने पर शहर में उग्र आंदोलन करने की बात कही है।

इस मामले में सीएसपी रितेश शिव ने बताया कि मदनमहल थाने में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और साइबर टीम उनकी पहचान करने में जुटी हुई है। जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। 

गौरतलब है कि, इससे पहले भी स्वामी राघव देवाचार्य को धमकियां मिल चुकी हैं। मार्च 2018 में उनके घर के बाहर बम फेंके गए थे। 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के दौरे के दौरान भी उनके काफिले पर पत्थर फेंके गए थे। इन घटनाओं के बाद उन्होंने राज्य सरकार से सुरक्षा की मांग की थी। 

 

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