बुधनी विधानसभा उपचुनाव: प्रतिष्ठा के इस मुकाबले में क्या है जमीनी हालात, कांग्रेस प्रत्याशी पर भारी भाजपा का संगठन...

Update: 2024-11-11 02:03 GMT

भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव और कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल 

(Budhni Assembly By-election) बुधनी विधानसभा उपचुनाव : विनोद दुबे, भोपाल। मध्यप्रदेश की जिन दो विधानसभा सीटों बुधनी और विजयपुर में उप चुनाव हो रहा है ये दोनों ही सीटें भाजपा के लिए महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठापूर्ण हैं। बुधनी सीट वह हाईप्रोफाइल सीट है, जहां से शिवराज सिंह चौहान 2005 से 2023 के बीच लगातार 5 बार जीते और मुख्यमंत्री बने और अब उन्हीं की अनुशंसा पर पार्टी ने विदिशा से दो बार के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल इस सीट से 1993 में और उनके भाई देव कुमार पटेल 1998 में विधायक चुने जा चुके हैं।

बुधनी विधानसभा सीट पर सत्तापक्ष भाजपा जहां विगत 21 वर्ष में विकास और उन्नति की उपलब्धियों को लेकर चुनाव मैदान में है, वहीं कांग्रेस बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और किसानों के मुद्दों को चुनावी हथियार बनाकर भाजपा पर प्रहार कर रही है। जीत के लिए पूरी तरह आश्वस्त होने के बावजूद भाजपा संगठन इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल, उनके परिजन और समर्थक पार्टी नेताओं के बिना ही मैदान में नजर आ रहे हैं। ‘मध्य स्वदेश’ संवाददाता ने बुधनी क्षेत्र की जनता के बीच पहुंचकर वहां का चुनावी हालचाल जाना।

बकतरा से शाहगंज : भाजपा को कड़ी टक्कर

भोजपुर और उदयपुरा विधानसभा क्षेत्रों के बीच फंसा बुधनी विधानसभा क्षेत्र का अंतिम गांव बकतरा कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल का गृहग्राम है। बकतरा से शाहगंज तक के कई गांवों में जातिगत समीकरण कांग्रेस प्रत्याशी को मजबूत दिखा रहे हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहग्राम जैत से सटे इस क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता और संगठन भी सक्रिय नजर आ रहा है।

शिवराज के पुत्र कार्तिकेय चौहान भी अपनी ‘टीम शिवराज’ के साथ लगातार मैदान में डटे हैं। शाहगंज भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव का गृह नगर है तथा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनाव प्रबंधन का काम लम्बे समय तक उन्होंने ही संभाला है। स्थानीय मतदाताओं से उनका सीधा जुड़ाव भी है, इस कारण यहां मुकाबला कांटे का नजर आता है।

शाहगंज से बुधनी : मुख्यमंत्री नहीं, इस बार विधायक का चुनाव

शाहगंज से आगे बुधनी तक कांग्रेस प्रत्याशी का प्रभाव कुछ कमजोर नजर आता है। स्थानीय मतदाता बेवाकी से कहते हैं कि 18 साल तक हमने विधायक नहीं, मुख्यमंत्री को चुना, इस बार चुनाव विधायक का और सीधा भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच है। यहां विकास का मुद्दा तो भाजपा को छूता भी नजर नहीं आ रहा है। यहां कांग्रेस पार्टी का जनाधार नहीं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी का व्यक्तिगत मेल-मिलाप और जनसंपर्क उन्हें मुकाबले में बनाए हुए है।

बुधनी से सलकनपुर : मतदाता अभी मौन

बुधनी से सलकनपुर के बीच मतदाता विधायक चुनने को लेकर अभी मौन है। हालांकि दोनों प्रत्याशियों अपना जोर लगा रहे हैं। इस क्षेत्र में हर जाति-समाज का मतदाता हैं। विगत चुनावों के परिणामों पर नजर डालें तो भाजपा मजबूत नजर आती है।

सलकनपुर से सतराना : मिलीजुली प्रतिक्रया

रेहटी, सोयत और सतराना जैसे प्रमुख ग्रामीण क्षेत्रों मतदाता की मिलीजुली प्रतिक्रया आ रही है। हालांकि विकास के नाम पर जनता सरकार के साथ नजर आती है।

सलकनपुर से गोपालपुर : भाजपा और कांग्रेस के चुनाव प्रचार की टक्‍कर

सलकनपुर से नसरुल्लागंज तथा इसके 20 किलोमीटर आगे सीहोर विधानसभा का आखिरी छोर गोपालपुर चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के चुनाव प्रचार की टक्‍कर यहां नजर आती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित पार्टी नेता और जनप्रतिनिध इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार पर विशेष जोर दे रहे हैं।

सपा और सेना समर्थित प्रत्याशी बेअसर

बुधनी उप चुनाव में स्थानीय जनता के केन्द्र में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां कांग्रेस छोडक़र आए अर्जुन आर्य को उतारा है तो करणी सेना के समर्थन से अजय राजपूत निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में हैं। चर्चा है कि अजय भाजपा के और अर्जुन कांग्रेस के कुछ वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं। भाआप, रागोंपा, क्रांति जनशक्ति पार्टी, राइट टू रिकॉल जैसे छोटे दलों के अलावा 13 निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि, सपा और सेना समर्थित प्रत्याशी बेअसर साबित होंगे।

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