स्वस्थ कैसे होगा मध्यप्रदेश: सिस्टम है भ्रष्ट और जनता लापरवाह, झोलाछाप डॉक्टर्स पर सख्त एक्शन की दरकार

Update: 2025-04-07 06:07 GMT
सिस्टम है भ्रष्ट और जनता लापरवाह, झोलाछाप डॉक्टर्स पर सख्त एक्शन की दरकार
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भ्रष्ट सिस्टम और जनता के लापरवाही भरे रवैय्ये से मध्यप्रदेश स्वस्थ कैसे हो सकता है...? लगातार सामने आ रहे फेक डॉक्टर्स के केस चिंताजनक है और इन मामलों के बाद यह सवाल और भी अधिक नाजमी हो गया है

स्वास्थ संबंधी परेशानी होने पर व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है विश्वास करता है कि, अब डॉक्टर उसकी जिंदगी बचा लेगा। अगर आप मध्यप्रदेश में हैं तो थोड़ा संभल कर क्योंकि यहां फर्जी डॉक्टर्स के मामले कम होने का नाम ही नहीं ले रहे। जिलों के CMHO को स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए थे कि, वे अपने - अपने क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर्स को पकड़ें और उन पर सख्त एक्शन लें। हालांकि मुख्यमंत्री यादव द्वारा दिए गए सख्त निर्देश का पालन होते नजर नहीं आ रहा है।

दमोह के मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर एक बहस छेड़ दी है। नकली दूध और दवाई के बाद अब नकली डॉक्टर जनता के सामने स्वास्थ संबंधी नई चिंता है। आइए जानते हैं मध्यप्रदेश में झोलाछाप डॉक्टर्स के कुछ चर्चित केस और समझते हैं कि, आखिर गलत इलाज करने पर किसी व्यक्ति को क्या सजा मिल सकती है।

जबलपुर में एक साल तक किया फर्जी डॉक्टर ने इलाज :

फरवरी, 2025 में ही एक मामला सामने आया था जिसमें एक व्यक्ति ने फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करके खुदको डॉक्टर साबित किया और जिला अस्पताल में पदस्थ होकर एक साल तक लोगों का इलाज करता रहा। आरोपी की पहचान शुभम अवस्थी के रूप में हुई थी। शुभम अवस्थी एक साल तक जबलपुर के जिला अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदस्थ रहा। इस दौरान उसे सरकार की ओर से वेतन भी मिला। शिकायत बावजूद शुभम अवस्थी के खिलाफ जांच नहीं हुई। जब मामला अदालत पहुंचा तो पुलिस ने FIR लिखी। बहरहाल इस मामले की जांच जारी है। शुभम अवस्थी पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं।

खरगोन में बीएससी की डिग्री वाला 15 साल से डॉक्टर :

सितंबर 2024 में यह खरगोन से खबर सामने आई थी। इसके अनुसार एक व्यक्ति जिसके पास बीएससी की डिग्री थी वह 15 साल से लोगों का इलाज कर रहा था। आसपास की जनता भी उसे डॉक्टर ही मानती थी। इस व्यक्ति की पहचान टेमरना गांव निवासी दिलीप यादव के रूप में हुई थी। इसे CMHO से स्वास्थ रक्षक का सर्टिफिकेट मिला था। इसी को दिखाकर वह खुद को डॉक्टर बताता था। हालांकि यह सर्टीफिकेट इलाज करने के लिए किसी को पात्र नहीं बनाता। ग्रामीण इस बात से अनजान रहे और सर्दी, बुखार समेत हर बीमारी का इलाज इसी शख्स से करवाते रहे।

अब दमोह ने बंटोरी सुर्खियां :

ताजा मामला मध्यप्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल का है। यहां नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक एक व्यक्ति ने खुद को लंदन के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जॉन कैम बताकर 15 हृदय सर्जरी कीं। इस्सके चलते कई मरीजों की मौत हो गई। सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन और डीएचओ डॉ. विक्रम चौहान ने लापरवाही से हुई मौतों की पुष्टि की है। कलेक्टर सुधीर कोचर ने जांच के लिए विशेष टीम बनाई है और फिलहाल टिप्पणी से इनकार किया है। एनएचआरसी ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है।

दमोह फर्जी डॉक्टर मामले ने सभी को चौंका दिया है अब बड़ा सवाल है कि, आखिर असली - नकली डॉक्टर की पहचान कैसे हो...।

आयुष्मान डिजिटल मिशन के तहत डॉक्टर को मिलने वाला QR

असली - नकली डॉक्टर की पहचान के लिए डॉक्टर QR को कोड दिए जाने थे। यह व्यवस्था अयुष्मान डिजिटल मिशन के तहत की जा रही थी। बताया जा रहा था कि, डॉक्टर्स को जारी होने वाले QR कोड को स्कैन कर मरीज अपने डॉक्टर की डिग्री और योग्यता की जांच कर सकता था। रजिस्टर्ड डॉक्टर्स को इसे अपने क्लीनिक पर लगाना था। मध्यप्रदेश में करीब 1 लाख डॉक्टर्स को ऐसे QR कोड मिलने थे लेकिन आज भी किसी क्लीनिक में इस इस तरह QR कोड दिखाई नहीं देते। शहर इलाकों में अगर यह हाल है तो गांव - देहात और पिछड़े इलाकों में तो लोगों तक इसकी जानकारी ही नहीं पहुंच पाई है।

बिना एमबीबीएस डिग्री के लोगों का इलाज नहीं :

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम, 2019 की धारा 34, राज्य/राष्ट्रीय रजिस्टर में नामांकित चिकित्सक के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को योग्य चिकित्सक के रूप में चिकित्सा का अभ्यास करने से रोकती है। कोई भी व्यक्ति जो इसका उल्लंघन करता है, उसे एक वर्ष तक की कैद या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा भी अधिनियम के तहत दी जाती है।

मेडिकल नेग्लिजेंस से होने वाली मौतें :

देश भर में या किसी राज्य विशेष में कितने फेक डॉक्टर्स पकड़े गए हैं इसकी कोई आधिकारिक जानकारी एकत्र नहीं की गई। हालांकि, एनसीआरबी के डेटा मुताबिक मेडिकल नेग्लिजेंस से देश में 2021 में 133 , 2022 में 142 और 2023 में 118 मौत हुई है। मध्यप्रदेश में मेडिकल नेग्लिजेंस से होने वाली मौत की संख्या 13 है।

बड़ा सवाल : आखिर कब होगी फेक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई

दमोह हो खरगोन हो या मध्यप्रदेश का कोई ग्रामीण क्षेत्र, हर कहीं झोलाछाप डॉक्टर्स देखे जा सकते हैं। एक बार के लिए शहरी क्षेत्रों में फर्जीवाड़े की दुकान न चले लेकिन ग्रामीण और आदिवासी बहुल क्षेत्र में इस तरह के फर्जी डॉक्टर्स सिस्टम के लूप होल निकालकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं। ऐसे में आवश्यकता है इस फर्जीवाड़े के खिलाफ मुहीम छेड़ कर अच्छी स्वास्थ सुविधाओं की पहुंच लोगों तक पहुंचाया जाए। गलत इलाज से एक व्यक्ति की मौत भी चिंता का विषय है।

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