जुर्म किए हुए हांथों का हुनर: जेल के कैदियों ने बनाईं शहीद राजगुरू, भगत सिंह, और सुखदेव की प्रतिमांए…
अमन शुक्ला, सतना। सेंट्रल जेल में वह हांथ भी अपना हूनर दिखाने में पीछे नहीं है जिन्होने जेल की चार दीवारी से बाहर रहने के दौरान किसी न किसी जुर्म को अंजाम दिया था। अमूमन जेल में बंदी मां दुर्गा, गणेश-लक्ष्मी की मूर्तिंया समेत झांकी का निर्माण तो करते हैं, लेकिन जेल के बंदियों ने शहीद राजगुरू और शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव सिंह की मूर्तिंयों को पीओपी समेत अन्य सामग्री से तैयार किया है।
इन प्रतिमांओं को बनाने में इतने होनहार बंदियों ने काम किया कि उनकी कला को लायंस क्लब सदस्यों ने देखा तो इसे विद्यालय में रखवाने की मंशा जताई। लिहाजा लायंस हेल्पिंग हैंड क्लब ने कुल 15 हजार रूपए जेल के कोष में जमा कर उक्त तीनों शहीदों की प्रतिमांओं को खरीद कर इन्हे उत्क्रष्ट विद्यालय व्यंकट क्र. 01 में लगवाया है।
जेल में चलते हैं कारखाने
सेंट्रल जेल में ऐसा नहीं है कि किसी विशेष अवसर पर ही बंदी अपने हूनर को दिखा पाए या फिर रिहा होने के बाद बाहरी दुनिया में काम करें। असल में उन्हे सजा के दौरान ही उनके कार्यो को देखते हुए सामग्री जेल प्रशासन उपलब्ध करवाता है। उदाहरण के तौर पर जो बंदी मूर्तिकला या फर्नीचर समेत जो जिस कार्य में पारंगत होता है जेल उसे वह सामग्री उपलब्ध करवाता है। इसके बाद वह जेल प्रशासन की निगरानी में कार्य करता है, जिसका उसे पारिश्रमिक दिया जाता है।